बुद्ध पूर्णिमा 2024: भगवान बुद्ध के महत्व और प्रेरक उद्धरण

बुद्ध पूर्णिमा 2024: भगवान बुद्ध के महत्व और प्रेरक उद्धरण
23 मई 2024 9 टिप्पणि jignesha chavda

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे बुद्ध जयन्ती या वैशाख के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत ही खास दिन है। यह दिन सिद्धार्थ गौतम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने आगे चलकर भगवान बुद्ध के रूप में प्रसिद्धि पाई। बौद्ध धर्म के अनुसार, कई सारे महत्वपूर्ण घटनाएँ इसी पूर्णिमा के दिन हुई थीं। पहले, इसी दिन गौतम का जन्म हुआ था और उन्होंने अपनी यात्रा का आरंभ किया था। इसी दिन उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की थी और बाद में इसी दिन उन्होंने कुशीनगर में महासमाधि पाई थी।

बुद्ध पूर्णिमा 2024 का यह महत्वपूर्ण दिन 22 मई की शाम 6:47 बजे शुरू हुआ और 23 मई की शाम 7:22 बजे समाप्त हो जाएगा। इस पूरे दिन को बौद्ध धर्म और उसके सिद्धांतों के अनुसरण में विभिन्न गतिविधियों से भरपूर किया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा का अद्वितीय त्योहार

बुद्ध पूर्णिमा का अद्वितीय त्योहार

इस विशेष दिन के अवसर पर दुनिया भर में कई तरह के कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। बौद्ध मंदिरों की सफाई और सजावट की जाती है, और भगवान बुद्ध की मूर्तियों की पूजा की जाती है। लोग मंदिरों में दीये जलाते हैं, और प्रार्थनाएं करते हैं। कई जगहों पर शांति मार्च और ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं। इनके माध्यम से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को फैलाने और उनको याद करने का प्रयास किया जाता है।

भारत के उत्तर भाग में भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु के आठवें और भगवान कृष्ण के नौवें अवतार के रूप में माना जाता है, जबकि दक्षिण भारत और बौद्ध धर्मानुयायी इस मान्यता से अभिन्न होते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर धार्मिक और सामुदायिक सेवा में लिप्त रहने वाले लोग गरीबों और जरूरतमंदों को दान देते हैं, प्रवचन सुनते हैं और ध्यान में तल्लीन रहते हैं।

भगवान बुद्ध के प्रेरक उद्धरण

भगवान बुद्ध के प्रेरक उद्धरण

गौतम बुद्ध के उद्धरण आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं और जीवन जीने का सही मार्ग दिखाते हैं। उनके उद्धरणों में जीवन का सार और सकारात्मकता की दिशा में बढ़ने का आग्रह होता है। उदाहरणस्वरूप:

  • “सुख और दुख केवल एक मानसिक स्थिति होती है, उनका असली रूप हमारे दृष्टिकोण में ही छुपा होता है।”
  • “अपने विचारों पर काबू रखें, वे आपके शब्द बनते हैं। अपने शब्दों पर काबू रखें, वे आपके कर्म बनते हैं। अपने कर्मों पर काबू रखें, वे आपके चरित्र का निर्माण करते हैं।”
  • “अतीत पर ध्यान मत दो, भविष्य की चिंता मत करो, वर्तमान क्षण में जियो।”
  • “संयम ही सबसे बड़ी कुशलता है। क्रोध पे काबू पाना ही सबसे बड़ी वीरता है।”
समरसता और शांति का संदेश

समरसता और शांति का संदेश

बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म और उससे जुड़े सभी मान्यताओं का व्यापक रूप से पालन किया जाता है। भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ खासतौर पर शांति और करुणा पर आधारित हैं। इन सिद्धांतों का पालन करके ही व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और समरसता ला सकता है।

विश्वभर में बुद्ध पूर्णिमा का यह पावन त्योहार शांति और समझदारी का संदेश फैलाने का माध्यम बनता है। यह दिन हमें अपने भीतर की करुणा, सहयोग और संवेदनशीलता को जागृत करने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, बुद्ध पूर्णिमा न केवल एक धार्मिक पालन, बल्कि एक ऐसा अवसर भी है, जिसमें लोग अपने जीवन के प्रति जागरूकता और समझदारी को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। उनके माध्यम से हम सभी को यह सीखने का अबसर मिलता है कि सच्ची खुशी और शांति स्वयं के अंतर्मन में ही निहित है।

9 टिप्पणि

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    Tejas Srivastava

    मई 23, 2024 AT 16:56

    बुद्ध पूर्णिमा का जश्न! क्या लुभावना माहौल है!! हर मंदिर में धूप की रोशनी, हर कोने में दीपों की चमक, मानो ब्रह्मांड खुद ही धड़क रहा हो!!! इस पावन दिन पर मन की शांति और आत्मा की पवित्रता दोनो मिलती हैं!!

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    JAYESH DHUMAK

    मई 23, 2024 AT 17:03

    बुद्ध पूर्णिमा के इतिहासिक महत्व को समझना वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में अत्यावश्यक है। सिद्धार्थ गौतम का जन्म और बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञानोद्घाटन दोनों ही घटनाएँ इसी पावन पूर्णिमा के दिन घटित हुईं, जिससे यह दिवस आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक बन गया। बौद्ध धर्म में इस दिन को ज्ञान, शांति और करुणा के प्रतिवर्ती के रूप में मनाया जाता है। इतिहासकर्ता द्वारा दर्शाया गया है कि प्राचीन भारतीय शिल्पों में भी इस तिथि को विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। इस वर्ष की पूर्णिमा का समय 22 मई शाम 6:47 बजे से शुरू होकर 23 मई शाम 7:22 बजे तक विस्तारित है, जो आध्यात्मिक अनुयायियों के लिए एक विस्तारित प्रार्थना और ध्यान कार्य सत्र प्रदान करता है। कई बौद्ध मंदिरों में इस अवधि में विस्तृत प्रवचन, ध्यान सत्र और सामाजिक सेवा कार्य आयोजित किए जाते हैं। विशेष रूप से भारत के उत्तर भाग में बुद्ध को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में मान्यता देने की प्रथा एक अद्वितीय धार्मिक समन्वय को दर्शाती है। दक्षिण भारत में इस मान्यता का अभाव भी भारतीय धार्मिक विविधता को उजागर करता है। इस अवसर पर दान-पुण्य, भोजन वितरण और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करना सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है। विभिन्न शांति मार्च और सार्वजनिक ध्यान सत्रों के माध्यम से युवाओं को सद्भावना एवं सामुदायिक चेतना के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है। आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ध्यान एवं माइंडफुलनेस के लाभ सिद्ध हो चुके हैं, जिससे इस पहल का वैज्ञानिकी आधार भी मजबूत हो गया है। इस प्रकार, बुद्ध पूर्णिमा न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने का एक मंच भी बन गई है। इस पावन अवसर पर व्यक्तिगत रूप से भी आप ध्यान, शांति और करुणा के सिद्धांतों को अपनाकर अपने जीवन में संतुलन स्थापित कर सकते हैं। अंत में, यह कहा जा सकता है कि बुद्ध पूर्णिमा का वास्तविक सार व्यक्तिगत परिवर्तन और सामाजिक प्रगति दोनों में निहित है।

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    Santosh Sharma

    मई 23, 2024 AT 17:11

    बुद्ध के शिक्षाओं में निहित शांति और करुणा को अपनाना व्यक्तिगत विकास की दिशा में एक सशक्त कदम है। इस पावन दिन पर हम सभी को अपने भीतर के द्वंद्व को समाप्त कर, सकारात्मक ऊर्जा के विम्ब को उजागर करने का अवसर मिल रहा है। आइए, इस पूर्णिमा को आत्मनिरीक्षण एवं सामाजिक सेवा के साथ मिलाकर अपने जीवन में नई रोशनी लाएँ।

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    yatharth chandrakar

    मई 23, 2024 AT 17:20

    बुद्ध पूर्णिमा के दौरान विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यशालाएँ अक्सर प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान करती हैं; क्या आपने सुना है कि इन कार्यशालाओं में बौद्ध विद्वानों द्वारा आधुनिक मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को भी सम्मिलित किया जाता है? यह पहल सहभागियों को अधिक गहन समझ प्रदान करती है। इस प्रकार की जानकारी साझा करना आवश्यक है ताकि हम सभी सामूहिक रूप से लाभ उठा सकें।

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    Vrushali Prabhu

    मई 23, 2024 AT 17:28

    बुद्ध जेयान्ती के समय तो पूरे मन्दिर मे रोशनियो... नजारा किस्से जाता है!! मजा आ गया देखते-देखते मैं भी लाइट लगा डाला 😂 थोडा टाइपो हो गया है पर मस्त है 😅

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    parlan caem

    मई 23, 2024 AT 17:36

    इतने सारे रोमांचक लेज़र इफ़ेक्ट्स के पीछे असली आध्यात्मिकता का क्या अर्थ है? यह केवल दिखावे का भ्रम है, वास्तविक ध्यान और करुणा तो व्यक्तिगत प्रयास से ही आता है।

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    Mayur Karanjkar

    मई 23, 2024 AT 17:46

    बुद्ध पूर्णिमा को एक काल-स्थायी क्षणिक तटस्थता के रूप में देखें, जहाँ आत्मा‑समुदाय अनुष्ठानात्मक स्मृति संचरण करता है।

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    Sara Khan M

    मई 23, 2024 AT 17:56

    है, थोड़ा ओवर दिंग हो गया है... 😐 लेकिन फिर भी एक पवित्र दिन है। 🙏

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    shubham ingale

    मई 23, 2024 AT 18:06

    बुद्ध दिवस मुबारक 🎉

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