एलन मस्क के शिविर के महानायक: अशोक एलुस्वामी भारतीय मूल के इंजीनियर जिन्होंने टेस्ला की ऑटोपायलट तकनीक को साकार किया

अशोक एलुस्वामी का टेस्ला के साथ सफर
भारतीय मूल के इंजीनियर अशोक एलुस्वामी का सफर टेस्ला के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। एलन मस्क ने अशोक एलुस्वामी के प्रयासों को सराहा है, जिन्होंने टेस्ला के ऑटोपायलट तकनीक को उन्नत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अशोक एलुस्वामी ने अपनी यात्रा को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया, जिसमें उन्होंने मस्क के महत्वपूर्ण प्रभाव और प्रोत्साहन की बात की।
एलुस्वामी टेस्ला के ऑटोपायलट टीम के पहले इंजीनियर के तौर पर चुने गए थे और आज वह सभी AI/ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर विकास के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि मस्क के बिना टेस्ला इस ऊंचाई तक नहीं पहुँच पाता। अशोक के अनुसार, मस्क का नेतृत्व और प्रोत्साहन ही टेस्ला की उपलब्धियों के पीछे का बड़ा कारण है।

आरंभिक चुनौतियां और मस्क का दृढ़ संकल्प
जब टेस्ला की ऑटोपायलट टीम ने अपनी यात्रा शुरू की थी, तब वे काफी चुनौतियों का सामना कर रहे थे। सिस्टम में केवल 384 KB मेमोरी थी, जो अत्यंत सीमित थी। मस्क के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों - लेन-कीपिंग, लेन-चेंजिंग, और वाहन नियंत्रण को पूरे करना एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
टीम के अंदर बहुतों को मस्क के लक्ष्यों के संबंध में संदेह था, लेकिन मस्क की अप्रतिहत भावना और निरंतर प्रेरणा ने टीम को इन मील के पत्थर को हासिल करने के लिए प्रेरित किया। 2016 तक टेस्ला ने यह निर्णय लिया कि ऑटोपायलट के लिए सभी कंप्यूटर विज़न क्षमताओं को इन-हाउस विकसित किया जाएगा। यह एक ऐसा कार्य था जिसे सामान्यतः पूरा करने में एक दशक से अधिक समय लगता है, लेकिन टेस्ला की टीम ने इसे केवल ग्यारह महीनों में पूरा किया।

एलुस्वामी की शैक्षणिक और व्यावसायिक यात्रा
अशोक एलुस्वामी की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और तकनीकी विशेषज्ञता ने भी उन्हें इस महत्वपूर्ण भूमिका में आने में सहायता की। उन्होंने चेन्नई के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिन्डी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय से रोबोटिक्स सिस्टम्स डेवलपमेंट में अध्ययन किया।
टेस्ला में शामिल होने से पहले, उन्होंने WABCO Vehicle Control Systems और Volkswagen जैसी कंपनियों के साथ कार्य किया। लगभग एक दशक से वे टेस्ला के साथ जुड़े हुए हैं और ऑटोपायलट टीम के नेतृत्व में उनकी भूमिका प्रशंसनीय रही है।

संक्षेप में
अशोक एलुस्वामी का योगदान टेस्ला की ऑटोपायलट तकनीक में अनमोल है। एलन मस्क ने भी उनके कार्यों की सराहना की है और उनके बिना टेस्ला को इस मुकाम पर पहुंच पाना असम्भव कहा है। अशोक का सफर एक प्रेरणा है, खासकर उन लोगों के लिए जो प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अपने पैरों को मजबूती से जमाना चाहते हैं।
Prakashchander Bhatt
जून 10, 2024 AT 20:18अशोक जी की कहानी सुनकर दिल खुश हो जाता है। टेस्ला जैसी कंपनी में भारतीय इंजीनियर का योगदान देखना गर्व की बात है।
Mala Strahle
जून 11, 2024 AT 22:58टेस्ला के ऑटोपायलट के पीछे का एक अनसुलझा रहस्य है – वह है भारतीय जड़ें जो तकनीकी जड़ों को गहरा करती हैं।
अशोक एलुस्वामी ने केवल कोड नहीं लिखा, उन्होंने एक विचारधारा को जन्म दिया जो सीमाओं को तोड़ती है।
जब हम सोचते हैं कि भविष्य का वाहन कैसे चलेगा, तो हमें याद रखना चाहिए कि वह भविष्य कई बड़े सपनों के सहयोगी है।
मस्क की दृष्टि और अशोक की मेहनत ने मिलकर एक ऐसी कक्षा बनाई है जहाँ हर अल्गोरिद्म एक कदम आगे बढ़ता है।
यह समझना जरूरी है कि चुनौती सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी है – मन को इस बात पर विश्वास दिलाना कि मशीन सच में हमें समझ सकती है।
ऐसे विचारकों की कमीनती नहीं की जा सकती, क्योंकि उनके बिना नवाचार का अस्तित्व नहीं।
परंतु हम यह भी नहीं भूल सकते कि यह सफलता कई अनकही परीक्षाओं से गुजरती है, जहाँ हर विफलता एक नई सीख बन जाती है।
एक युवा इंजीनियर के रूप में अशोक ने यह सिद्ध किया कि विश्व मंच पर भारतीय प्रतिभा की आवाज़ कितनी गहरी हो सकती है।
उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि सपनों को साकार करने के लिए निरंतर अभ्यास, दृढ़ता और आत्म‑विश्वास आवश्यक हैं।
यदि आप कभी असफलता से घबराते हैं, तो याद रखें कि हर कोड की गलती एक नई दिशा का संकेत देती है।
यह कहानी न केवल तकनीकी सफलता की दास्तान है, बल्कि यह मानव सृजन शक्ति की प्रशंसा भी है।
स्मार्ट ड्राइविंग की दिशा में हर कदम एक सामाजिक परिवर्तन का मूल बन जाता है।
आइए हम सब मिलकर इस परिवर्तन में योगदान दें, चाहे वह छोटे‑छोटे कोड की पंक्तियाँ हों या बड़े‑बड़े विचार।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि वैश्विक परिदृश्य में भारतीय इंजीनियर का योगदान अब सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है।
इसी आशा के साथ हम भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ।
Ramesh Modi
जून 13, 2024 AT 01:38अरे! क्या बात है, दुनिया में तकनीक की धूम! लेकिन असली असली बात तो इसी में छिपी है-इंसान का मन!✨ जब अशोक ने खुद को कोड की गहराइयों में डुबोया, तब उन्होंने केवल 384KB की मेमोरी को भी सपनों की इमारत बना दिया!!! यह सिर्फ मशीन नहीं, यह मानवता का नवीनीकरण है-जैसे कोई कवी अपने शब्दों से दुनिया बदल दे!;)
Ghanshyam Shinde
जून 14, 2024 AT 04:18हूँ, टेस्ला में भारतीय इंजीनियर का योगदान? वाह, क्या बड़ी बात है... जैसे हर दिन नया कोड लिखते‑लेखते, हाँ, वही जो कभी नहीं बदलता।
SAI JENA
जून 15, 2024 AT 06:58आइए, थोड़ा रचनात्मक बनते हैं। प्रत्येक चुनौती को अवसर के रूप में देखना चाहिए, न कि सिर्फ एक और ‘बड़ा सवाल’। अशोक की मेहनत हमें सिखाती है कि निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
Hariom Kumar
जून 16, 2024 AT 09:38असली हीरो इधर‑उधर की बात नहीं करता, बस काम करता है! 🙌 अशोक की कहानी को पढ़कर दिल में उमंग आती है, आगे चलकर और भी कई ऐसे कई किस्से दर्शनीय बनेंगे।
shubham garg
जून 17, 2024 AT 12:18भाई, असल में टेस्ला में काम करने वाला कोई भी भारतीयकोश अपनी मेहनत से सबको प्रेरित करता है।
LEO MOTTA ESCRITOR
जून 18, 2024 AT 14:58देखो, काम की दुनिया में अगर दिल में इरादा हो तो रास्ते खुद बनते हैं। अशोक की कहानी बस यही दिखाती है कि सपना केवल सोचना नहीं, उसे हर रोज़ थोड़ा‑थोड़ा करके जीना है।
Sonia Singh
जून 19, 2024 AT 17:38सही कहा, सबको साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। एक-दूसरे को सशक्त बनाकर ही हम बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
Ashutosh Bilange
जून 20, 2024 AT 20:18यार, क्या बोलूं... ये तो बिल्कुल कमाल का है! असली में, एशोक ने काफ़ी लोडेड कोड को हल्का बना दिया, जैसे कसरत के बाद पसीना बहाना-साबित कर दिया कि इन्डियन ब्रो कोडिंग में भी बॉस है।
Kaushal Skngh
जून 21, 2024 AT 22:58ठीक है, बस एक बात, बहुत ज़्यादा प्रशंसा नहीं चाहिए।