हाथरस में भयानक भगदड़: भक्ति सभा में 121 की मौत, भीड़ के दबाव में मची अफरा-तफरी
जुल॰, 3 2024हाथरस जिले के एक पाखरण क्षेत्र में मंगलवार को जबरदस्त भगदड़ मच गई, जब हिंदू गुरु भोले बाबा, जिन्हें सूरज पाल के नाम से भी जाना जाता है, की भक्ति सभा में एकत्रित भीड़ ने अचानक अपना संतुलन खो दिया। इस भयावह घटना में कम से कम 121 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। अशांत भीड़ के दौरान अधिकतर मृतक महिलाएं थीं, जिनकी संख्या 112 बताई जा रही है, जबकि सात बच्चे भी शिकार हो गए। यह घटना गुरु भोले बाबा के भक्ति सभा के दौरान हुई, जिसमें करीब 250,000 भक्तों ने भाग लिया था।
यह हादसा उस समय हुआ जब भोले बाबा मंच पर अपना संबोधन समाप्त कर अपने वाहन की ओर जा रहे थे। जैसे ही उन्होंने मंच छोड़ा, उनके अनुयायियों का एक बड़ा समूह उनके पास पहुंचने की कोशिश में तेजी से आगे बढ़ा। अचानक, पूरा माहौल बड़ा ही गड़बड़ हो गया और भीड़ ने अपना संतुलन खो दिया। मौके पर अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस भीड़ के दबाव में कई लोग धक्का खाकर गिर गए और दूसरों के पैरों तले कुचले गए।
सूत्रों के अनुसार, कई लोगों की मौत दम घुटने के कारण हुई, जबकि अन्य एक पास के कीचड़ भरे खेत में गिर गए और उनकी बुझी सांसे वहीं थम गईं। इस दुर्घटना में मारे गए लोगों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इन महिलाओं का संबंध अक्सर समाज के निचले तबकों से था, क्योंकि भोले बाबा, जो दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, इन्हीं वर्गों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं।
इस भयानक घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन ने भक्ति सभा के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और भोले बाबा की खोज शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना स्थल का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर अपनी संवेदना प्रकट की है।
यह घटना एक बार फिर से भारत में बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान होने वाली भगदड़ की समस्या को उजागर करती है। इससे पहले भी कई धार्मिक आयोजनों में इस प्रकार की दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर, मध्य प्रदेश के रतनगढ़ मंदिर, और राजस्थान के चामुंडा मंदिर में हुई दुर्घटनाएं। यह समय है कि प्रशासन इन आयोजनों पर सख्त निगरानी रखे और सुरक्षा के प्रबंधों को और कड़ा करे, जिससे कि भविष्य में इस प्रकार की त्रासदियों को टाला जा सके।
भगदड़ का असर और उसके कारण
इस गंभीर दुर्घटना ने कई परिवारों को गहरे दुख में डुबो दिया है। अनगिनत लोगों ने अपने परिजनों को खोया, जिनमें से अधिकांश गरीब और निम्न जाति से ताल्लुक रखते थे। भोले बाबा के भक्तों में अधिकतर दलितों की बड़ी संख्या थी, जो शांति और सामाजिक समानता के उद्देश्य से उनकी भक्ति करते हैं। उनकी इस आशाभरी दुनिया में अचानक का यह अंधकार लाखों दिलों को तोड़ गया।
भविष्य में उठाए जाने वाले कदम
भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान इस प्रकार की समसामयिक घटनाओं ने सरकार और स्थानीय प्रशासन को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। भीड़ के नियंत्रण और सुरक्षा के लिए कड़े उपाय आवश्यक हैं। सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इससे बचा जा सके।
आशा है कि इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में इस प्रकार की त्रासदियों को टाला जा सकेगा और लोगों की जान बचाई जा सकेगी। यह घटना प्रशासन और आयोजनकर्ताओं के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें और भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।