जॉर्ज कुरियन : केरल में एनडीए सरकार के दूसरे कैबिनेट मंत्री कौन हैं?

जॉर्ज कुरियन : केरल में एनडीए सरकार के दूसरे कैबिनेट मंत्री कौन हैं? जून, 9 2024

जॉर्ज कुरियन : केरल में एनडीए सरकार के दूसरे कैबिनेट मंत्री कौन हैं?

जॉर्ज कुरियन का नाम हाल ही में केरल की राजनीति में एक नया आयाम लेकर आया है। 63 वर्षीय कुरियन, जो कि कन्नाकारी, कोट्टायम से एक क्रिश्चियन हैं, उन्हें एनडीए सरकार में राज्य के दूसरे कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है।

भाजपा से जुड़ाव और प्रारंभिक संघर्ष

साल 1980 में, जब कुरियन मात्र 19 साल के थे, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का सदस्यता ग्रहण की थी। उस समय एक क्रिश्चियन युवा के लिए भाजपा से जुड़ना काफी दुर्लभ था। परिवार और समाज के विरोध के बावजूद, कुरियन ने पार्टी के प्रति अपने समर्पण को बनाए रखा और चार दशकों तक विभिन्न महत्वपूर्ण पदों को संभाला।

भाजपा के भीतर महत्वपूर्ण भूमिकाएं

कुरियन ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में, युवामोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में सेवा की है। इसके अतिरिक्त, वह भाजपा के राज्य इकाई के कोर कमिटी के सदस्य और उपाध्यक्ष भी रहे हैं। खास बात यह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य दौरों पर अनुवादक के रूप में भी काम किया है।

शिक्षा और प्रारंभिक करियर

कुरियन ने एमए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है और वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले पहले मलयाली हैं। उन्होंने पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री ओ राजगोपाल के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) के रूप में भी काम किया है।

राजनीतिक रणनीति और भविष्य की सोच

भाजपा की यह नियुक्ति पार्टी की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे ईसाई प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना चाहते हैं। कुरियन की नियुक्ति, सुरेश गोपी की त्रिशूर में जीत के बाद आई है, जहाँ ईसाई वोट महत्वपूर्ण थे। यह कदम पहले मोदी सरकार के समय में अल्फोंस कन्ननंथानम के कैबिनेट में शामिल होने के समान है।

पारिवारिक जीवन

कुरियन की पत्नी, अन्नाकुट्टी, भारतीय सेना से रिटायर्ड नर्सिंग ऑफिसर हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में, कुरियन ने पुथुपल्ली से उम्मन चांडी के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।

जॉर्ज कुरियन की यात्रा, उनके संघर्ष और समर्पण का प्रमाण है। उनकी नियुक्ति एनडीए सरकार में बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जो ईसाई समुदाय के भीतर पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास है।