भारत ने 2025 ख़ो-खो विश्व कप में पुरुष‑महिला दोनों टीमों से दोहरी जीत

भारत ने 2025 ख़ो-खो विश्व कप में पुरुष‑महिला दोनों टीमों से दोहरी जीत
11 अक्तूबर 2025 2 टिप्पणि jignesha chavda

जब प्रकटिक वैकार, भारत की पुरुष ख़ो-खो टीम के कप्तान ने नेपाळ को 54‑36 से हराया, तो प्रियांका इंगल की महिला टीम भी 78‑40 से विजयी हुई, और भारत ने inaugural ख़ो‑खो विश्व कप 2025इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में दोहरी जीत हासिल की। यह जीत न सिर्फ़ खेल‑इतिहास में एक मील का पत्थर है, बल्कि ख़ो‑खो को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की रणनीति का भी प्रमाण है।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्त्व

ख़ो‑खो, जो मूल रूप से भारत के ग्रामीण इलाकों में खेला जाता रहा, पहली बार 2025 में इंटरनेशनल ख़ो‑खो फ़ेडरेशन (आईकेएफएफ) द्वारा विश्व स्तर पर आयोजित टूर्नामेंट के रूप में सामने आया। पिछले दो दशकों में इस खेल ने स्कूल‑कॉर्ट में पुनर्जन्म देखा, लेकिन विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना अभी तक कोई चुनौती नहीं थी। इस पहल के पीछे सुधांशु मिश्राल, आईकेएफएफ अध्यक्ष की दृढ़ इच्छा थी, जिन्होंने भारतीय सरकार और कई बहुराष्ट्रीय खेल संगठनों के साथ मिलकर 23‑24 देशों को सहभागी बनाने की व्यवस्था की।

विस्तृत विकास और तथ्य

  • टूर्नामेंट 13 जनवरी से 19 जनवरी 2025 तक चलाया गया।
  • कुल 39 टीमें (पुरुष 20, महिला 19) शामिल हुईं, जो छह महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करती थीं।
  • इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में फाइनल मैच के दौरान दर्शकों की संख्या लगभग 12,000 थी।
  • पुरुष फाइनल का आधा घंटा में 54‑36 स्कोर बना, जिसमें रमजी कश्यप ने 12 टर्न में 8 रनों की उल्टी बारी लिखी।
  • महिला फाइनल में बी चैतरा ने चौथे टर्न में "ड्रीम रन" का प्रदर्शन करके 20‑सेकंड में 10 रनों का इजाफ़ा किया।

समय‑समय पर रिपोर्टों में स्कोर में अंतर दिखता है—कुछ स्रोत 54‑36 बताते हैं, जबकि The Logical Indian ने 68‑45 दर्ज किया। अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, पर अधिकांश भारतीय मीडिया ने 54‑36 को अंतिम माना है।

सभी प्रमुख व्यक्तियों और संस्थाओं की प्रतिक्रियाएँ

सभी प्रमुख व्यक्तियों और संस्थाओं की प्रतिक्रियाएँ

फाइनल के बाद किरन रिज़ीऊ, संसदीय मामलों एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा, "यह जीत हमारे युवा वर्ग को नई ऊर्जा देगी।" वहीं, पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने टूर्नामेंट में महिला खिलाड़ियों की रणनीतिक सोच की प्रशंसा की। इंदीरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित समारोही समारोह में सुप्रीम कोर्ट जज पंकज मिथाल और ओडिशा के खेल मंत्री सुर्याबंशी सूरज भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर दोनों टीमों को बधाई देते हुए लिखा, "इतिहास रचना में आपका योगदान अमूल्य है। ख़ो‑खो अब युवा दिलों में असली जलसा बन गया है।"

प्रभाव एवं व्यापक विश्लेषण

ख़ो‑खो की इस विश्व स्तर पर पहचान से कई बदलाव की उम्मीद है। पहले खेल का स्वरूप केवल ग्रामीण या शारीरिक शिक्षा की कक्षा तक सीमित था; अब इसे ओलंपिक में शामिल करने की संभावनाएँ स्पष्ट हो गई हैं। खेल विशेषज्ञ डॉ. अंशु चंद्र, राष्ट्रीय खेल अनुसंधान संस्थान (नासी) के प्रमुख ने टिप्पणी की, "जैसे बैडमिंटन और कबड्डी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह बनाई, ख़ो‑खो भी इस गति को हासिल कर रहा है।"

व्यापारिक दृष्टिकोण से भी इस जीत का असर पड़ेगा। स्टेडियम में आयोजित आधे दिन के दौरान पेट्रोल पंपों, होटल बुकिंग और स्थानीय शॉपिंग में 15‑20% की बिक्री वृद्धि देखी गई, जिससे श्रमिकों के लिए अस्थायी रोजगार के अवसर बने। इस पहल के बाद भारतीय खेल मंत्रालय ने ख़ो‑खो को स्कूल‑पाठ्यक्रम में अनिवार्य करने की योजना को तेज किया है।

आगे क्या?

आगे क्या?

आगामी दो वर्षों में ख़ो‑खो विश्व कप 2027 का प्रस्थान पहले से ही तय हो चुका है, जिसमें अधिकतम 30 देशों की उम्मीद है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने 2032 के लंदन/पेरिस खेलों में ख़ो‑खो को प्री‑ऑलिम्पिक स्पोर्ट के रूप में मान्यता देने पर विचार कर रहा है।

यदि इस गति को जारी रखा गया, तो भारतीय युवा वर्ग में ख़ो‑खो क्लबों की संख्या अगले पाँच वर्षों में दोगुनी हो सकती है, जैसा कि भारतीय खेल प्राधिकरण (एसपीओआई) के आंकड़े दर्शाते हैं।

सामान्य प्रश्न (FAQ)

ख़ो‑खो विश्व कप 2025 में भारतीय टीम को कौन‑सी प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

मुख्य चुनौती तेज़ गति वाले नेपाळी खिलाड़ियों की रणनीतिक झलक थी, जो शुरुआती टर्न में कई बार रिफ्लेक्स पकड में तेजी लाते थे। भारतीय टीम ने टर्न‑बाय‑टर्न योजना बनाकर, विशेषकर रमजी कश्यप और बी चैतरा की बेजोड़ फॉर्म से इस बाधा को मात दी।

क्या ख़ो‑खो को ओलंपिक खेलों में शामिल किया जा रहा है?

इंटरनेशनल ख़ो‑खो फ़ेडरेशन ने आधिकारिक तौर पर खेल को 2032 के लंदन‑पेरिस ओलंपिक के प्री‑ऑलिम्पिक सूची में प्रस्तावित किया है। आईओसी की जांच अभी जारी है, पर कई देशों के समर्थन से संभावना बढ़ी है।

ख़ो‑खो विश्व कप में भाग लेने वाले देशों की संख्या कितनी थी?

आधिकारिक आँकड़े के अनुसार 23 देशों ने हिस्सा लिया, पर कुछ मीडिया स्रोतों ने 24 देशों की रिपोर्ट दी थी। दोनों आंकड़े छह महाद्वीपों की व्यापक भागीदारी को दर्शाते हैं।

भारत की जीत से युवा खिलाड़ियों पर क्या असर पड़ेगा?

प्रमुख खेल प्रशिक्षकों का मानना है कि यह जीत स्कूल‑किंडरगार्टन स्तर पर ख़ो‑खो को पाठ्यक्रम में शामिल करने की धुरी को तेज़ करेगी, जिससे अगले पाँच वर्षों में युवा क्लबों की संख्या दोगुनी हो सकती है।

फ़ाइनल में स्कोर के अंतर के बारे में विभिन्न रिपोर्टों में क्या कारण है?

कुछ मीडिया आउटलेट्स ने प्रारंभिक राक्षस गणना को प्रकाशित किया, जबकि आधिकारिक मैच रिपोर्ट ने अंतिम स्कोर 54‑36 दर्शाया। यह अंतर पुनः सत्यापन की माँग करता है, पर अधिकांश भारतीय स्रोत इस अंतिम अंक को मान्य कर रहे हैं।

2 टिप्पणि

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    Aaditya Srivastava

    अक्तूबर 11, 2025 AT 03:18

    वाह! यही तो भारत की सांस्कृतिक धरोहर की जीत है।
    दोनों टीमों ने दिखा दिया कि ख़ो‑खो भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबदबा बना सकता है।
    इस जीत से युवा दिलों में ख़ो‑खो की धूम मच जाएगी, भरोसा है।
    सरकार ने जो समर्थन दिया, वो परिणाम में साफ़ दिख रहा है।
    अब हमें इस जोश को देश के प्रत्येक स्कूल में ले जाना चाहिए।

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    Vaibhav Kashav

    अक्तूबर 11, 2025 AT 11:38

    सरकार ने सोचा था सिर्फ़ क्रिकेट में ही चमकेगा, लेकिन ख़ो‑खो ने दिखा दिया कि बुनियादी खेल भी कॉम्पिटिटिव हो सकते हैं।
    बस, अब अगली बार हमें ओलंपिक में भी बैडमिंटन नहीं, ख़ो‑खो देखना पड़ेगा।

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