CAT ने आयआरएस अधिकारी समीर वंखड़े का मुंबई‑चेंनई ट्रांसफर रद्द किया, विभाग ने अपने नियम तोड़े
पृष्ठभूमि और विवाद का उद्भव
राजस्व विभाग के एक उच्च‑स्तरीय अधिकारी, समीर वंखड़े, ने 2021 में नशा नियंत्रण ब्यूरो (NCB) मुंबई के ज़ोनल डायरेक्टर के रूप में काम करते हुए अपनी पहचान बनाई। उस समय उनका नाम बड़े धूमधाम से जुड़ा, जब उन्होंने बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को शामिल करने वाले कोर्डेलिया क्रूज़ ड्रग केस को सुलझाया। इस केस में वंखड़े पर 25 करोड़ रुपये की माँग करने का आरोप लगा – यह आरोप उनके परिवार को भी धमकी के रूप में महसूस हुआ।
केस के बाद वंखड़े को पहली बार डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एनालिटिकल रिस्क मैनेजमेंट (DGARM), मुंबई में नियुक्त किया गया। उन्होंने 4 जनवरी 2022 को इस पद की शपथ ली और पाँच महीने बाद, 30 मई 2022 को, विभाग ने उन्हें दक्षिण भारत के चेंनई स्थित डायरेक्टरेट जनरल ऑफ टैक्सपेयर सर्विसेज (DGTS) में स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया। यह ट्रांसफर कई कारणों से सवालों में घिर गया – खासकर तब जब वंखड़े ने कहा कि यह उनके NCB कार्यों के कारण बदला लेने जैसा है।
वंखड़े ने तुरंत इस आदेश को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि उनके और उनके परिवार के सदस्यों को निरंतर धमकी मिल रही थी और यह ट्रांसफर दंडात्मक स्वरूप का है। उन्होंने कई बार केंद्र सरकार को लिखित आवेदन करके मुंबई वापस आने की मांग की, पर सभी को नजरअंदाज किया गया।
CAT का फैसला और इसका असर
फ़रवरी 20, 2025 को CAT ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सामान्य तौर पर ट्रांसफर मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करता, पर जब निर्णय ‘मनमाना’ या ‘निर्देशों के विरुद्ध’ हो, तो हस्तक्षेप वैध है। इस मामले में CAT ने राजस्व विभाग द्वारा 2018 के ट्रांसफर‑प्लेसमेंट गाइडलाइन्स को नज़रअंदाज़ करने को स्पष्ट रूप से उल्लंघन माना।
ट्रिब्यूनल ने दो प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला:
- आदेश जारी करने में पारदर्शिता की कमी – विभाग ने वंखड़े को अचानक चेंनई भेजा, बिना किसी औपचारिक परामर्श या कारण बताए।
- विनियामक प्रक्रिया का उल्लंघन – गाइडलाइन्स के अनुसार, किसी भी अधिकारी को स्थानांतरित करने से पहले उसके सेवा रिकॉर्ड, व्यक्तिगत परिस्थितियों और मौजूदा पद की जरूरतों का मूल्यांकन होना चाहिए।
CAT के अध्यक्ष जस्टिस रंजीत मोरे और सदस्य राजिंदर कश्यप ने कहा कि "सरकारी अधिकारियों को सभी‑भारत सेवा की उत्तरदायित्व तो होती है, पर ट्रांसफर नीति को निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से लागू किया जाना चाहिए"। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "विभाग की इस कार्रवाई में स्पष्ट पक्षपात स्पष्ट है और यह उनके अपने नीतियों के विरुद्ध है"।
इस फैसले के बाद समीर वंखड़े को लगभग तीन साल के संघर्ष के बाद अपना पद वापस मुंबई में मिल सकता है। यह फैसला प्रशासनिक आदेशों के निष्पादन में नियम‑पालन की महत्ता को रेखांकित करता है, विशेषकर जब वही आदेश दंडात्मक प्रतीत हो। भविष्य में किसी भी अधिकारी को यदि ऐसे ही ‘बदला लेने के’ रूप में ट्रांसफर का सामना करना पड़े, तो वे भी इस मिसाल का हवाला दे सकते हैं।
वंखड़े के केस ने यह भी उजागर किया कि राजस्व विभाग को अपने आंतरिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने की जरूरत है। विशेष रूप से, ट्रांसफर के समय स्पष्ट कारण लिखित रूप में देना, अधिकारी की व्यक्तिगत परिस्थितियों को ध्यान में रखना और सभी संबंधित पक्षों को उचित सूचना देना अब अनिवार्य हो गया है।
जब विभाग की नीति का पालन नहीं किया जाता, तो न केवल अधिकारी की करियर पर असर पड़ता है, बल्कि सार्वजनिक विश्वास भी हिलता है। इस कारण से CAT का यह निर्णय प्रशासनिक न्याय के लिये एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
Prince Raj
सितंबर 26, 2025 AT 16:49यह स्पष्ट है कि आयआरएस विभाग ने अपने आधिकारीक प्रक्रियाओं को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया है।
समीर वंखड़े को बिना किसी पारदर्शी मूल्यांकन के चेंनई भेजना एक झूठी नीति का प्रतीक है।
ऐसे ट्रांसफर का मूल उद्देश्य ‘बदला’ लेना नहीं, बल्कि सेवा की कुशलता बढ़ाना होना चाहिए।
परंतु यहाँ तो बस व्यक्तिगत दुश्मनी और पावर प्ले का नतीजा दिखता है।
विभाग ने 2018 के गाइडलाइन को पूरा नहीं किया, जोकि एक गंभीर प्रशासनिक उल्लंघन है।
यदि विभाग यह सब कर सकता है, तो आम जनता के अधिकारों की सुरक्षा पर क्या भरोसा किया जा सकता है?
इस केस में ‘पारदर्शिता’ शब्द का ही मज़ाक बना दिया गया है।
राज्य के बड़े स्तर पर ऐसी अनियमितताएँ फिर से दोहराने से रोकना आवश्यक है।
जो लोग इस नीति को लागू करते हैं, उन्हें उत्तरदायित्वपूर्ण होना चाहिए, न कि शर्तों को मोड़‑मरड़ कर लागू करना।
CAT का फैसला यह सिद्ध करता है कि न्याय प्रणाली में न्याय की अहमियत है।
भले ही अधिकारी व्यक्तिगत रूप से क्षुब्ध हों, प्रणाली को व्यक्तिगत भय से नहीं डरा जाना चाहिए।
भविष्य में यदि इसी तरह के मामलों में विभाग इस दिशा‑निर्देश को तोड़ता रहता है, तो यह पूरे प्रशासनिक ढाँचे को बिगाड़ देगा।
विलंबित निर्णय और अनावश्यक विवाद राष्ट्रीय विश्वास को भी क्षति पहुंचाते हैं।
परिणामस्वरूप, अब हमें सिस्टम में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
अंततः, ऐसे मामलों का न्यायसंगत निपटारा सार्वजनिक भरोसे को पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा।
समय के साथ, विभाग को अपने नियमों का पालन करके ही अपना अधिकार बचाना चाहिए।
Gopal Jaat
सितंबर 26, 2025 AT 17:56समीर साहब का ट्रांसफर वास्तव में कई सवाल उठाता है; विभाग ने प्रक्रिया में स्पष्टता नहीं दिखायी। सावधानीपूर्वक जांच के बिना ऐसे बड़े निर्णय लेना अनुचित प्रतीत होता है।
UJJAl GORAI
सितंबर 26, 2025 AT 19:02हाहाहा, विभाग की नीति के मानक तो जैसे हवा में झुलसा रहे हों।
वह लोग तो बस कहानियों का ही खजाना उधार ले रहे हैं।
लगता है कि नियम तो कागज में लिखे होते हैं, पर असल में उनका उपयोग नहीं किया जाता।
अब तो ऐसा लग रहा है कि हर ट्रांसफर का पीछे कोई निजी दुश्मनी छिपी है।
Satpal Singh
सितंबर 26, 2025 AT 20:09वाक्यांशों में स्पष्टता और व्याकरण का सम्मान होना चाहिए, इसलिए मैं इस मामले में कहा जाता है कि नीति के उल्लंघन को गंभीरता से लेना आवश्यक है।
Devendra Pandey
सितंबर 26, 2025 AT 21:16वास्तव में, इस जैसे निर्णय अक्सर बड़ी शक्ति की ताने-बाने को दिखाते हैं, लेकिन वास्तविक मुद्दा तो यह है कि व्यक्तिगत प्रेरणाओं का भरपूर असर हो सकता है।
manoj jadhav
सितंबर 26, 2025 AT 22:22अरे, दोस्तों! इस टॉपिक पर बात करते हुए मैं कहूँगा, हम सबको मिलकर ऐसी अनियमितताओं को रोकना चाहिए! दस्तावेज़ीकरण और पारदर्शिता के बिना कोई भी कदम सही नहीं माना जा सकता!!!
saurav kumar
सितंबर 26, 2025 AT 23:29समझ गया, हमें नियमों का पालन करना चाहिए।
Ashish Kumar
सितंबर 27, 2025 AT 00:36यह निर्णय बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है; विभाग ने हमेशा यही किया है, कभी‑कभी नियम तोड़कर व्यक्तिगत कारणों को आगे बढ़ाने की कोशिश की है।
Pinki Bhatia
सितंबर 27, 2025 AT 01:42सिर्फ यही कहूँगा, न्याय आया।