दरजिलिंग की बरसात में बवंडर: 20 मौत, दुड़िया आयरन ब्रिज पूरी तरह ढह गया
जब उदयन् गोहा, उत्तरी बंगाल विकास मंत्री ने 5 अक्टूबर 2025 को हुई बवंडर के बारे में बताया, तो दरजिलिंग जिले में स्थिति का स्वर और भी स्पष्ट हो गया। बरसाती आँधियों के कारण आज तक कम से कम 20 लोगों की मौत की पुष्टि की गई, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। इस विनाशकारी बिछड़े के पीछे मुख्य कारण बड़े पैमाने पर तेज़ बारिश और पिछले कई हफ्तों की लगातार बूँदाबाँदी है, जिसे भारत मौसम विज्ञान विभाग ने लाल चेतावनी जारी रखी है।
भूस्खलन की पृष्ठभूमि और मौसमी स्थिति
दरजिलिंग की पहाड़ी भू‑रचना हमेशा से ही भारी वर्षा के साथ खतरे में रहती है। इस साल समुद्री दाब में वृद्धि के कारण पूर्वी भारत में लगातार मॉनसून की अपनी चरम सीमा देखी गई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 4 अक्टूबर को इस क्षेत्र के लिए ‘लाल (सर्वोच्च) चेतावनी’ जारी की थी, जिसका अर्थ था ‘तीव्र वर्षा और बाढ़ का जोखिम बहुत अधिक’। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो वर्षों में इस जिले में प्राकृतिक आवरण की कमी ने पानी को जमीन में तेजी से प्रवेश कराने का मार्ग बना दिया, जिससे बवंडर की संभावना बढ़ गई।
भयानक घटनाओं का विवरण
बवंडर के कारण मिरिक में सबसे अधिक पीड़ित हुए। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के आंकड़ों के अनुसार, मिरिक में अकेले 11 लोगों की मौत हुई और कई व्यक्ति घायल रह गये। अन्य प्रभावित क्षेत्रों में सार्सली, जासबिरगांव, धर गांव (मेची), और नागरकट्टा शामिल हैं। रिचर्ड लेपचा, दार्जिलिंग उपक्षेत्रीय अधिकारी ने पुष्टि की कि दार्जिलिंग उपखंड में सात जानें क्षीण हो गईं, जबकि प्रवीण प्रकाश, दार्जिलिंग पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बचाव कार्य अभी जारी है और सभी उपलब्ध संसाधनों को मदद के लिए तैनात किया गया है।
परिवहन प्रणाली पर हुए दुष्प्रभाव
सबसे बड़ा शॉक तब आया जब दुड़िया आयरन ब्रिज पूरी तरह ढह गया। यह पुल सिलिगुडी‑दार्जिलिंग SH12 हाईवे पर मिरिक और कुर्सेओंग को जोड़ता था और स्थानीय लोगों एवं पर्यटक दोनों के लिए जीवनरेखा थी। इस पुल के गिरने से कई गांवों को ‘आज़ादी का द्वार’ भी खोना पड़ा। पुल के साथ ही पुल्बाज़र पुल भी क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे थाना लाइन और बीजानबरी के कुछ हिस्से दार्जिलिंग से कट गए। नीचे दिये गये बिंदुओं में कई प्रमुख राजमार्ग भी बंद हो गए:
- NH 10 – चितरेय में रोक
- NH 717 – कई हिस्सों में अवरुद्ध
- डिलराम और व्हिस्ले खोल (कुर्सेओंग) – बाढ़‑भूस्खलन से बाधित
- रोहिनी मार्ग – NHIDCL के अधिकार में, लंबी अवधि तक बंद रहने की संभावना
पोलिस ने बताया कि वर्तमान में वैकल्पिक मार्ग केवल दार्जिलिंग‑सिलिगुडी मार्ग है, लेकिन इसके भी कुछ हिस्से बाढ़ के कारण निलंबित हैं। पर्यटन क्षेत्र के लिए यह स्थिति अत्यंत कठिन है, क्योंकि कई हज़ार पर्यटक इस समय फँसे हुए हैं।
बचाव, राहत और सरकारी प्रतिक्रिया
बचाव कार्य में NDRF, राज्य पुलिस, जिला प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवी समूहों का सहयोग शामिल है। दार्जिलिंग पुलिस ने सोशल मीडिया पर लगातार अपडेट दिया, जिसमें बताया गया कि व्हिस्ले खोल और डिलराम के रास्ते साफ किए जा रहे हैं और अनुमानित दो‑तीन घंटे में ट्रैफ़िक फिर से खुल सकता है। लेकिन रोहिनी मार्ग पर कार्य अधिक समय लेगा क्योंकि यह राष्ट्रीय हाइड्रोइलेकट्रिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NHIDCL) के अधिकार में है।
गॉरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (GTA) ने तुरंत सभी पर्यटन स्थल बंद करने का आदेश दिया, जिससे पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हम पूरी शक्ति से शिकार परिवारों को सहायता प्रदान करेंगे और प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास कार्य तेज़ करेंगे।” केंद्र सरकार ने आपदा राहत फंड जारी करने और प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल आपूर्ति पहुँचाने का आश्वासन भी दिया।
भविष्य की दिशा और संभावित उपाय
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यदि मौसमी परिवर्तन जारी रहता है, तो दार्जिलिंग के जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएँ बार‑बार हो सकती हैं। वे सुझाव दे रहे हैं कि सतत वनीकरण, जल संचयन प्रणाली और पहाड़ी ढलानों की नियमित जाँच को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन प्रोटोकॉल को मजबूत करने और टूरिस्ट के लिए रीयल‑टाइम सूचना प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।
Frequently Asked Questions
भूस्खलन के बाद स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन पर क्या असर पड़ा?
बड़ी संख्या में रास्ते बंद हो गए, जिससे गाँव‑शहर के बीच आने‑जाने में कठिनाई आई। स्कूल, अस्पताल और बाजारों तक पहुँच सीमित हो गई, और लोग अनाज व दवाओं जैसी मूलभूत वस्तुओं की कमी का सामना कर रहे हैं।
कौन-कौन सी सरकारी एजेंसियाँ बचाव में शामिल हैं?
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), दार्जिलिंग पुलिस, उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय, और गॉरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (GTA) ने मिलकर बचाव‑राहत कार्य संचालित किया है। साथ ही, स्थानीय स्वयंसेवकों ने भी सहयोग दिया है।
दुड़िया आयरन ब्रिज के पुनर्निर्माण में कितना समय लगेगा?
प्रारम्भिक सर्वेक्षण के बाद, विशेषज्ञों ने कहा है कि पूरी मरम्मत के लिए कम से कम दो‑तीन महीने लग सकते हैं। इस दौरान अस्थायी वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की जा रही है।
पर्यटकों को इस संकट में क्या करना चाहिए?
पर्यटन स्थल बंद रहने के कारण, सभी आगंतुकों को स्थानीय प्राधिकरणों के निर्देशों का पालन करना चाहिए, सुरक्षित स्थानों में रहने और बिना आवश्यकता के यात्रा न करने की सलाह दी गई है।
भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
राज्य सरकार ने बाढ़‑प्रभावी बुनियादी ढाँचे में सुधार, जल निकासी प्रणाली की मजबूती और सतत वन संरक्षण योजनाओं को तेज़ करने का वादा किया है। साथ ही, रेड अलर्ट स्तर को लगातार निगरानी करने के लिए इंटेलिजेंट सेंसर स्थापित किए जाएंगे।
Ajay Kumar
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:47अरे यार, ये बवंडर वाली बात तो पहले से ही बताई हुई थी, फिर भी लोग चकाचौंध में फंस रहे हैं। क्या सोच रहे हैं लोग, इस तरह के बाढ़‑भूस्खलन से बचने के लिए वनीकरण तो करना ही पड़ेगा। तुम्हें नहीं पता कि पहाड़ी क्षेत्रों में जल निकासी के मौलिक सिद्धांत क्या होते हैं? आधा सर्टिफ़िकेट का भी नहीं पढ़ा।
Rahul Verma
अक्तूबर 15, 2025 AT 02:47सरकार की हर बाढ़ योजना में छुपा है एक बड़ा राज ये सब धूसर पानी के पीछे कोई विदेशी साज़िश नहीं तो बस मौसम विज्ञान की गलती नहीं, बल्कि हमारे जल नीति की फेल्योर है.
Vishnu Das
अक्तूबर 24, 2025 AT 02:47दरजिलिंग में बवंडर ने एक बेजोड़ त्रासदी को जन्म दिया है,
हर साल के मॉनसून की रफ़्तार से बहुत बढ़कर यह आँधी फिर से आ गई है,
विज्ञानियों के अनुसार इस बदलाव का मुख्य कारण वैश्विक तापमान में असमानता है,
IMD ने पहले ही लाल चेतावनी जारी की थी, लेकिन कई लोग उसे नज़रअंदाज़ कर रहे थे,
भूस्खलन के बाद गाँव‑शहर के बीच का कनेक्शन पूरी तरह टूट गया, जिससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बाधा आई है,
दुड़िया आयरन ब्रिज का ढह जाना न केवल परिवहन को बाधित करता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी ठेस पहुंचाता है,
पर्यटक अब अपने सफ़र को रद्द करने को मजबूर हैं, जिससे पर्यटन आय में भारी गिरावट आ रही है,
स्थानीय स्वयंसेवकों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिए, लेकिन बाढ़ की तेज़ी से उनका काम कठिन हो गया,
सरकार ने राहत फंड जारी किया है, पर वितरण में देरी हुई है, जिससे पीड़ित परिवार और परेशान हैं,
विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोहराई जा सकती हैं, यदि सतत वन संरक्षण नहीं किया गया,
जल संचयन की उचित योजना और पहाड़ी ढलानों की समय‑समय पर जाँच आवश्यक है,
नए बुनियादी ढाँचे में बाढ़‑प्रभावी निर्माण मानक शामिल करने चाहिए,
स्मार्ट सेंसर्स के माध्यम से रीयल‑टाइम अलर्ट सिस्टम स्थापित करने से बचाव कार्य तेज़ हो सकता है,
समुदाय को भी प्रतिकूल परिस्थितियों में तैयार रहने की ट्रेनिंग देनी चाहिए,
अंत में, यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इस भूस्खलन को केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरणीय लापरवाही का परिणाम मानें।
sandeep sharma
नवंबर 2, 2025 AT 02:47भाई लोग, इस बवंडर के बाद हमें फिर से उठ खड़ा होना होगा! एक साथ मिलकर सफ़ाई और मरम्मत का काम करें, सरकारी मदद का इंतज़ार न करें, खुद पहल करें। आशा है जल्द ही पहाड़ों की आवाज़ फिर से खुशियों की होगी।
Mansi Bansal
नवंबर 11, 2025 AT 02:47हम सबका कर्तव्य है कि हम इस आपदा में एक-दूसरे की मदद करें, क्योंकि केवल साथ रहकर ही हम पुनर्निर्माण कर सकते हैं। प्रकृति ने हमें सिखाया है कि सहयोग ही सबसे बड़ी शक्ति है। इस संकट में जो भी जरूरत है, वो हम मिलजुल कर पूरा करेंगे।
Sampada Pimpalgaonkar
नवंबर 20, 2025 AT 02:47चलो सभी मिलकर इस मुश्किल को आसान बनाते हैं, स्थानीय लोगों के साथ हाथ मिलाकर काम करें। हम संस्कृति की धरोहर हैं,इसे बचाने में हमारा योगदान होना चाहिए। साथ में नई राहें बनाते हैं, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न आए।