गुरुवायूर अम्बालानादयिल मूवी रिव्यू: प्रिथ्वीराज और बेसिल जोसेफ की हास्यपूर्ण ब्रोमांस फिल्म आधे रास्ते में उत्साह खो देती है

गुरुवायूर अम्बालानादयिल मूवी रिव्यू: प्रिथ्वीराज और बेसिल जोसेफ की हास्यपूर्ण ब्रोमांस फिल्म आधे रास्ते में उत्साह खो देती है मई, 16 2024

प्रिथ्वीराज और बेसिल जोसेफ अभिनीत कॉमेडी फिल्म 'गुरुवायूर अम्बालानादयिल' दो संभावित साढ़ू भाइयों आनंदन (प्रिथ्वीराज) और विनु (बेसिल जोसेफ) के बीच की अनोखी बॉन्डिंग के चित्रण के लिए खास है। यह असामान्य रिश्ता फिल्म में अच्छी तरह निभाया गया है जो फिल्म को एक मजेदार सफर बनाता है।

हालांकि, फिल्म आधे रास्ते में उत्साह खो देती है जब दो मुख्य किरदारों के बीच की ब्रोमांस धीमी पड़ने लगती है। इसके बावजूद, दीपू प्रदीप की पटकथा के कारण फिल्म का हास्य एक मजबूत पक्ष है और प्रिथ्वीराज और बेसिल के बीच ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री के साथ अच्छी तरह काम करता है।

फिल्म का हास्य पुराने प्रियदर्शन फिल्मों की याद दिलाता है, लेकिन यह आधे रास्ते से आगे रुचि बनाए रखने में संघर्ष करता है। फिल्म में अनस्वरा राजन, निखिला विमल, सिजू सन्नी, साफबोई और योगी बाबू सहायक भूमिकाओं में हैं।

फिल्म का निर्देशन और अभिनय

गुरुवायूर अम्बालानादयिल का निर्देशन विपिन पी नायर ने किया है। उन्होंने फिल्म में दो मुख्य किरदारों के बीच की केमिस्ट्री को बखूबी दिखाया है। प्रिथ्वीराज और बेसिल जोसेफ ने अपने किरदारों को बहुत ही सहजता से निभाया है।

फिल्म में प्रिथ्वीराज के किरदार आनंदन को एक आकर्षक और मजाकिया व्यक्ति के रूप में पेश किया गया है। वहीं बेसिल जोसेफ का किरदार विनु एक सरल और भोला-भाला लड़का है। दोनों के बीच की नोंक-झोंक और मस्ती फिल्म को रोचक बनाती है।

सहायक भूमिकाओं में अनस्वरा राजन, निखिला विमल, सिजू सन्नी, साफबोई और योगी बाबू ने भी अच्छा अभिनय किया है। उनके किरदार फिल्म में अतिरिक्त हास्य का तड़का लगाते हैं।

फिल्म की कहानी और पटकथा

फिल्म की कहानी दो संभावित साढ़ू भाइयों आनंदन और विनु के इर्द-गिर्द घूमती है। आनंदन एक मजाकिया और थोड़ा बेपरवाह किस्म का व्यक्ति है जबकि विनु एक सीधा-सादा और भोला लड़का है।

दोनों की मुलाकात विनु की बहन की शादी के दौरान होती है और धीरे-धीरे उनके बीच एक अनोखी दोस्ती हो जाती है। फिल्म में उनकी इस दोस्ती को मजेदार अंदाज में पेश किया गया है।

हालांकि, फिल्म की कहानी आधे रास्ते के बाद थोड़ी कमजोर हो जाती है। फिल्म का दूसरा हाफ उतना प्रभावी नहीं है जितना पहला हाफ था। इसका कारण यह है कि फिल्म के दूसरे हाफ में आनंदन और विनु के रिश्ते को ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया गया है।

फिल्म की पटकथा दीपू प्रदीप ने लिखी है। उन्होंने आनंदन और विनु के किरदारों को अच्छी तरह से परिभाषित किया है। साथ ही, उन्होंने फिल्म में कई हास्यपूर्ण पलों को भी शामिल किया है जो दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहे हैं।

फिल्म की खामियां

गुरुवायूर अम्बालानादयिल एक औसत फिल्म है जिसमें कुछ खामियां भी हैं। फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह पूरे समय एक जैसी रफ्तार बनाए रखने में नाकाम रहती है।

फिल्म का पहला हाफ काफी मनोरंजक और हास्यपूर्ण है लेकिन दूसरा हाफ उतना प्रभावी नहीं है। फिल्म के दूसरे हाफ में कहानी कुछ खिंचाव महसूस कराती है और प्रिथ्वीराज और बेसिल के बीच की केमिस्ट्री भी फीकी पड़ जाती है।

इसके अलावा, फिल्म की कहानी में कुछ लूज एंड्स भी हैं जिन्हें ठीक से समेटा नहीं गया है। फिल्म का अंत भी थोड़ा अधूरा सा लगता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, गुरुवायूर अम्बालानादयिल एक ठीक-ठाक कॉमेडी फिल्म है जिसमें कुछ अच्छे हास्य पल हैं। हालांकि, फिल्म की कहानी और गति में निरंतरता की कमी के कारण यह एक औसत फिल्म बनकर रह जाती है।

फिल्म की सबसे बड़ी खूबी प्रिथ्वीराज और बेसिल जोसेफ की जोड़ी है जिन्होंने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। उनके बीच की केमिस्ट्री फिल्म को देखने लायक बनाती है।

यदि आप हल्की-फुल्की कॉमेडी पसंद करते हैं तो आप इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं। लेकिन अगर आप कहानी में गहराई और निरंतरता की उम्मीद करते हैं तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है।