Japan फिल्म की मिली-जुली समीक्षा: कर्‍थि के 25वें पर कई राय, आलोचकों की तेज़ प्रतिक्रिया

Japan फिल्म की मिली-जुली समीक्षा: कर्‍थि के 25वें पर कई राय, आलोचकों की तेज़ प्रतिक्रिया
26 सितंबर 2025 14 टिप्पणि jignesha chavda

फिल्म की कहानी और मुख्य बिंदु

रजु मुर्गन द्वारा निर्देशित, कर्‍थि की 25वीं फ़िल्म Japan फिल्म 10 नवंबर 2023 को थियेटरों में आती है। यह तमिल हीस्ट ड्रामा एक काल्पनिक कथा पर आधारित है, जिसमें तिरुवरुर मुर्गन नाम के कुख्यात चोर को दर्शाया गया है, जो वास्तविक जीवन के एक बड़े गहना चोरी मामले से प्रेरित माना जाता है। कर्‍थि ने जापान मुणि (Japan Muni) के किरदार में अंडरकवर चोर की भूमिका निभाई, जो 200 करोड़ रुपये की ज्वेलरी चोरी के बाद पुलिस के निशाने पर आ जाता है।

फ़िल्म की शुरुआत में हम देखते हैं कि कैसे जापान मुणि और उसकी टोली, चुपके से बड़े गहने चुराते हैं और फिर पुलिस के सामने एक और पहचान छुपाते हैं। कहानी का मोड़ तब आता है जब पुलिस, साक्ष्य की कमी के बावजूद, मुणि को मुख्य आरोपी ठहराती है। मुणि का दावा है कि वह निरपराध है, और असली अपराधी को उजागर करने के लिए वह अपने 95 चल रहे केसों को देखते हुए खुद को बचाने की कोशिश करता है। इस बीच, राजनीतिक हस्तियों, ज्वैलरी दुकान मालिकों और फिल्म इंदस्ट्री के किरदारों का एक बेतरतीब समूह जोड़ दिया गया है, जिससे कथा का ताना‑बाना थोड़ा उलझा हुआ दिखता है।

फ़िल्म में कई स्पूफ सीक्वेंस भी हैं, जहाँ रजु मुर्गन ने भारतीय सिनेमा की मौजूदा ट्रेंड्स को मज़ाकिया ढंग से उजागर किया है। इन दृश्यों में अनिरुद्ध की आगामी संगीत योजना का उल्लेख, सैटायरिक डायलॉग्स और मेटा‑कॉमेंट्री शामिल हैं, जिससे फ़िल्म को एक अलग रंग मिलता है। साथ ही, पुलिस की बर्बरता और सामाजिक असमानताओं को भी हल्के-फुल्के स्वर में पेश किया गया है, हालांकि यह पहल कई दर्शकों को असंगत लगी।

समालोचनात्मक प्रतिक्रिया

समालोचनात्मक प्रतिक्रिया

फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद कई प्रमुख मीडिया हाउस ने अपनी‑अपनी राय पेश की। Film Companion ने कहानी को बहुत पूर्वानुमेय और किरदारों को द्वैध (one‑dimensional) कहा, पर कर्‍थि की हँसी‑मज़ाक वाली प्रस्तुति की सराहना की। उन्होंने कहा कि अगर दर्शक फ़िल्म की ‘सिल्लीनेस’ को स्वीकार कर लें, तो इस में कुछ मज़ा है। कर्‍थि के आवाज़‑मॉड्यूलेशन और बॉडी लैंग्वेज को ‘जिरामी‑इगेओ को गिराकर नाज़ुकता दिखाने’ के रूप में प्रशंसा की गई।

दूसरी ओर, The News Minute ने फ़िल्म को केवल 2 में से 5 स्टार दी और इसे ‘हीस्ट ड्रामा का खराब पैरोडी’ कहकर बुरा बनाया। उन्होंने खासकर यह इंगित किया कि चोरों के बड़े‑बड़े ठिकानों पर भी थ्रिल नहीं बनी और कई किरदार—राजनीतिज्ञ, ज्वैलरी मालिक, फिल्म इन्डस्ट्री के लोग—सब बेमायने रहे, सिवाय राग‑पिकर सानाल अमन के किरदार के।

India Today ने फ़िल्म को ‘पूरी तरह से मिसफ़ायर’ कहा, और इसे ‘असार्थक एक्शन‑हीस्ट फिक्शन’ बताया, जो कर्‍थि और रजु मुर्गन की पिथली (उम्मीद) को निराश करता है। दोनों कलाकारों के पिछले काम—कर्‍थि का ‘बॉस’ और रजु मुर्गन की ‘कॉकू’, ‘जॉकर’, ‘मेहंदी सर्कस’—को देखते हुए यह निराशाजनक माना गया।

ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे Letterboxd और IMDb पर दर्शकों की प्रतिक्रियाएं भी अधिकतर नकारात्मक रही। कई यूज़र्स ने फ़िल्म को कर्‍थि की ‘सबसे ख़राब फ़िल्म’ कहा, और कहानी को ‘बेतुका’, ‘स्क्रीनप्ले में खामियां’, ‘गाने भूल जाने वाले’, ‘पात्रों की कमी’ जैसे शब्दों से उजागर किया। कुछ ने यह भी कहा कि कर्‍थि का बॉडी लैंग्वेज, जो अक्सर उनका हथियार होता है, इस फ़िल्म में भी प्रभावशाली नहीं रहा।

फिर भी, कुछ फैंस ने कर्‍थि की कोशिश को सराहा और फ़िल्म के कुछ व्यंग्यात्मक दृश्यों को ‘हास्य का तड़का’ बताया। विशेषकर स्पूफ सीज़र और सामाजिक मुद्दों पर हल्के‑फुल्के टिप्पणियों को कुछ दर्शकों ने ‘इंटरेस्टिंग’ कहा।

फ़िल्म की संगीत तालिका में जीवी प्रकाश कुमार ने धुनें दीं, पर समीक्षकों ने कहा कि गानों का असर बहुत कम रहा और वे कहानी से ‘बिलकुल अलग’ दिखते हैं। साथी कलाकार—अनु इम्मानुएल, सुनील, जित्थन रामेश—की भूमिका भी ‘भूले‑भुलाए जाने वाली’ रही। कुल मिलाकर, ‘Japan’ ने कर्‍थि के कैरियर में एक निराशाजनक मोड़ दिया है, जबकि रजु मुर्गन के फ़िल्ममेकिंग प्रोफ़ाइल पर भी धुंधली छाप छोड़ गई है।

जब हम समग्र रूप से देखेँ, तो Japan फिल्म ने दर्शक व समीक्षक दोनों को एक ही सवाल के साथ छोड़ दिया: क्या कॉमेडी के साथ सामाजिक टिप्पणी को मिलाकर एक समरस हीस्ट कथा बनाई जा सकती है, या फिर यह केवल ‘सिल्लीनेस’ का मिश्रण है? बहस अभी जारी है, और यह फ़िल्म तमिल सिनेमा की मनोरंजन‑सामाजिक संतुलन पर बहस को फिर से ज्वलंत कर देती है।

14 टिप्पणि

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    NARESH KUMAR

    सितंबर 26, 2025 AT 06:35

    भाई लोगो, अगर आप इस फ़िल्म को लेकर अटक रहे हो तो थोड़ा आराम करो 😊. रजु मुर्गन ने “Japan” में कुछ नया ट्राय करने की कोशिश की है, भले ही execution थोड़ा फिसल गया हो।
    हमें समझना चाहिए कि हर कलाकार का अपना प्रयोगात्मक phase होता है।

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    Purna Chandra

    सितंबर 27, 2025 AT 10:22

    सच कहा जाए तो यह फिल्म तमिल सिनेमा के लिये एक गंभीर गिरावट का प्रतीक है; विस्तृत कथानक की अनदेखी और चरित्रों की द्वैधता स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि निर्माता दर्शकों को मात्र बौके के रूप में पेश कर रहे हैं। यह न केवल एक बेकार हीस्ट कथा है, बल्कि सामाजिक टिप्पणी का भी बेवकूफी भरा मिश्रण है, जहाँ हर मोड़ पर मौखिक जटिलता का अभाव खुले तौर पर स्पष्ट है।

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    Mohamed Rafi Mohamed Ansari

    सितंबर 28, 2025 AT 14:08

    फ़िल्म की कहानी की मूलभूत संरचना में कई खामियाँ नज़र आती हैं।
    पहला मुद्दा यह है कि पात्रों की प्रेरणा को पर्याप्त रूप से नहीं दर्शाया गया है।
    दूसरा, पेसिंग बहुत अस्थिर है जिससे दर्शक बीच में ही बोर हो जाता है।
    मुख्य नायक के निर्णयों में लगातार परिवर्तन होते हैं जो कहानी को अनावश्यक रूप से जटिल बनाते हैं।
    इसके अलावा, तकनीकी पक्ष में लाइटिंग और साउंड मिक्सिंग में स्पष्ट त्रुटियाँ हैं।
    संगीत की पृष्ठभूमि अक्सर दृश्य के मूड से असंगत लगती है।
    थ्रिल के तत्व को स्थापित करने के लिए प्रयुक्त सस्पेंस सीन बहुत ही नकली लगते हैं।
    सामाजिक टिप्पणी के हिस्से में जो व्यंग्य दर्शाया गया है, वह अक्सर बहुत भारी-भरकम रह जाता है।
    यहाँ तक कि कुछ संवाद लेखन में बेमेल शब्द चयन दिखता है।
    स्क्रीनप्ले में कई जगह पर अनावश्यक डायलॉग्स को छोड़ दिया जाना चाहिए था।
    फिनाले में कहानी का समाधान काफी तुच्छ और अधूरा प्रतीत होता है।
    दर्शकों को इससे पहले ही संकेत मिल जाता है कि क्लाइमेक्स को कैसे सुलझाया जाएगा।
    इस कारण फिल्म की संपूर्णता में एक खालीपन छा जाता है।
    मैं यह कहना चाहूँगा कि एक मजबूत पटकथा के बिना कोई भी फिल्म अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकती।
    अंततः, यह फिल्म अपने हीस्ट ड्रामा की पहचान को खो देती है और एक बेमानी व्यंग्यात्मक प्रयास में बदल जाती है।

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    अभिषेख भदौरिया

    सितंबर 29, 2025 AT 17:55

    समग्र दृष्टिकोण से देखिए तो प्रत्येक प्रयास के पीछे एक सोच का विकास निहित है, चाहे परिणाम वैसा ही हो या नहीं। कलाकारों ने अपने सीमाओं को चुनौती दी, यही साहस हमें आगे बढ़ाता है। आशा है भविष्य में वे इन अनुभवों को आत्मसात कर एक संपूर्ण कृति प्रस्तुत करेंगे।

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    Nathan Ryu

    सितंबर 30, 2025 AT 21:42

    यह फ़िल्म नैतिक दिशा‑निर्देशों की स्पष्ट उल्लंघन है; दर्शकों को बेकार कंटेंट में खींचना अस्वीकार्य है। हमें ऐसी फिल्मों को समर्थन नहीं देना चाहिए।

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    Atul Zalavadiya

    अक्तूबर 2, 2025 AT 01:28

    बिलकुल, इस फ़िल्म ने आईपीएल के गए‑ये पिच की तरह प्रतिबंधों को तोड़ दिया है; न केवल कथा में बल्कि तकनीकी पक्ष में भी अंधाधुंध प्रयोग किया गया है। संगीत, दृश्य और संवाद का असमंजस दर्शक को भ्रमित कर देता है, जो एक पेशेवर समीक्षक के रूप में मैं सहन नहीं कर सकता।

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    Amol Rane

    अक्तूबर 3, 2025 AT 05:15

    एक कला के रूप में फिल्म होने की अपेक्षा से यह केवल दर्शकों के नज़र में एक व्यर्थ प्रयोग बन गया है; यह विचारधारा के बजाय खालीपन को ही दर्शाता है।

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    Venkatesh nayak

    अक्तूबर 4, 2025 AT 09:02

    उपर्युक्त उल्लेखित बिंदुओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि रचनाकारों ने आधारभूत सिद्धांतों को नज़रअंदाज़ कर दिया है। दुर्भाग्यवश, इस फिल्म में गहराई की कमी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। 😐

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    rao saddam

    अक्तूबर 5, 2025 AT 12:48

    यार, फिल्म की कोशिश तो देखी तो हुई, पर execution?? सही नहीं है!! कहानी में ओवर द्रामा और थ्रिल की कमी, दोनों ही वाकई में निराशाजनक हैं!!!

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    Prince Fajardo

    अक्तूबर 6, 2025 AT 16:35

    वई, आखिरकार हम सब ने वही देख लिया जो रजु ने इरादा किया था – एक बड़ी धूमधाम में बिखरी हुई कहानी, जैसे बिन सोचे समझे फेंके गये पॅपर बॉल।

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    Subhashree Das

    अक्तूबर 7, 2025 AT 20:22

    फ़िल्म का हर पहलू एक बेमानी विज्ञापन जैसा लगता है।

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    jitendra vishwakarma

    अक्तूबर 9, 2025 AT 00:08

    मैंने देखा कि कुछ सीन में कैमरा एंगल बहुत अजीब था और एडिटिंग में कई बार जंप कट्स दिखे, जिससे फोकस बिगड़ गया।

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    Ira Indeikina

    अक्तूबर 10, 2025 AT 03:55

    तुम्हें नहीं लगता कि ऐसी फिल्में दर्शकों की बौद्धिक समझ को कमज़ोर करती हैं? यह सिर्फ एक हल्का-फुल्का मनोरंजन नहीं, बल्कि एक बेवकूफ़ी भरी प्रयोग है।

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    Shashikiran R

    अक्तूबर 11, 2025 AT 07:42

    मैं कहूँगा कि इस तरह की फ़िल्में सिनेमा को नीचा दिखाती हैं और हमें इनसे दूर रहना चाहिए, नहीं तो हमारी संस्कृति पर बुरा असर पड़ेगा।

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