कार्तिक आर्यन की 'चंडू चैंपियन' में बदलाव भरी यात्रा: सपने देखने से जीवित रहने तक

कार्तिक आर्यन की 'चंडू चैंपियन' में बदलाव भरी यात्रा: सपने देखने से जीवित रहने तक
19 मई 2024 10 टिप्पणि jignesha chavda

कार्तिक आर्यन की प्रेरणादायक भूमिका

बॉलीवुड अभिनेता कार्तिक आर्यन की आगामी फिल्म 'चंडू चैंपियन' का ट्रेलर हाल ही में ग्वालियर में रिलीज़ किया गया। यह फिल्म भारत के पहले पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता मूर्लीकांत पेटकर के जीवन से प्रेरित है। ट्रेलर में कार्तिक के किरदार को विभिन्न अवस्थाओं और उम्र में दिखाया गया है, जो एक चैंपियन बनने के सपने से लेकर भारतीय सेना में शामिल होने और खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने तक की यात्रा को दर्शाता है।

कार्तिक का किरदार एक युवा लड़के से एक सैनिक, एक मुक्केबाज़ और अंततः एक सर्वाइवर में बदलता हुआ नज़र आता है। ट्रेलर 1965 के युद्ध के दौरान उस पल को भी दिखाता है जब गोलियां चंडू के शरीर को छेदती हैं, जिसके बाद वह हार मानने से इनकार करता है और सभी बाधाओं के खिलाफ उठता है।

कहानी का प्रेरणादायक पहलू

ट्रेलर में एक बूढ़े चंडू को भी दिखाया गया है, जो भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ मुकदमा दायर करने के लिए दृढ़ संकल्पित है क्योंकि वह अपने पदक सामने रख देता है। निर्देशक कबीर खान, जो 2021 की फिल्म '83' के लिए जाने जाते हैं, ने 'चंडू चैंपियन' की घोषणा की, जिसकी शूटिंग जुलाई 2023 में शुरू हुई।

कार्तिक आर्यन ने इस भूमिका के लिए एक महत्वपूर्ण शारीरिक बदलाव से गुजरना पड़ा, जिसमें उन्होंने स्टेरॉयड का उपयोग किए बिना अपनी बॉडी फैट को 39 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया। यह फिल्म कार्तिक की हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्मों 'शहजादा' और 'सत्यप्रेम की कथा' के बाद और उनकी आगामी फिल्म 'भूल भुलैया 3' से पहले 14 जून को रिलीज़ होने वाली है।

मूर्लीकांत पेटकर की सच्ची जीवन कहानी

मूर्लीकांत पेटकर एक सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया था। युद्ध के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उनके पैरों को काटना पड़ा। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और पैरालिंपिक खेलों की तरफ रुख किया।

उन्होंने 1972 के हीडलबर्ग पैरालिंपिक में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता और इतिहास रच दिया। वह 50 मीटर फ्रीस्टाइल, 100 मीटर फ्रीस्टाइल और 100 मीटर बैकस्ट्रोक में विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले पहले भारतीय पैरा-एथलीट भी बने। उनकी सफलता ने पीढ़ियों को प्रेरित किया है।

कबीर खान की दमदार निर्देशन शैली

कबीर खान एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने 'कभी ख़ुशी कभी ग़म', 'न्यू यॉर्क', 'एक था टाइगर', 'बजरंगी भाईजान' और '83' जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। उनकी फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देती हैं।

'चंडू चैंपियन' एक ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है, जो एक सैनिक के संघर्ष और जज़्बे को दर्शाती है। कबीर खान ने पहले भी खेलों और देशभक्ति पर आधारित फिल्में बनाई हैं, जिनमें '83' क्रिकेट पर और 'बजरंगी भाईजान' भारत-पाक के रिश्तों पर केंद्रित थी।

कार्तिक आर्यन का जबरदस्त अभिनय

कार्तिक आर्यन ने इस फिल्म के लिए अपने आप को पूरी तरह समर्पित कर दिया है। उन्होंने न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी इस भूमिका के लिए तैयार किया है। फिल्म के कई दृश्यों में उनका अभिनय देखते ही बनता है।

विशेषकर वह दृश्य जहां वह युद्ध के बाद अपनी चोटों से उबरने की कोशिश करते दिखाई देते हैं, दर्शकों को भावुक कर देगा। कार्तिक ने अपने अभिनय से एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक हैं।

'चंडू चैंपियन' से जुड़ी उम्मीदें

फिल्म 'चंडू चैंपियन' से दर्शकों को बहुत उम्मीदें हैं। एक तरफ जहां यह मूर्लीकांत पेटकर के संघर्ष और जज़्बे की कहानी है, वहीं दूसरी तरफ यह कार्तिक आर्यन के करियर की अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिका भी है।

कबीर खान का निर्देशन और कार्तिक का अभिनय इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं। फिल्म के गीत और पृष्ठभूमि संगीत को भी दर्शकों द्वारा सराहा जा रहा है। फिल्म के ट्रेलर ने दर्शकों में फिल्म के प्रति उत्सुकता पैदा कर दी है।

निष्कर्ष

'चंडू चैंपियन' एक ऐसी फिल्म है जो न केवल मनोरंजन करेगी बल्कि प्रेरणा भी देगी। यह फिल्म हमें सिखाती है कि जीवन में कोई भी बाधा हमारे सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकती, बस हमें दृढ़ निश्चय और लगन के साथ आगे बढ़ते रहना होगा। कार्तिक आर्यन और पूरी टीम को इस शानदार फिल्म के लिए बधाई।

10 टिप्पणि

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    JAYESH DHUMAK

    मई 19, 2024 AT 23:07

    कार्तिक आर्यन की इस नई फिल्म ‘चंडू चैंपियन’ का ट्रेलर न केवल एक मार्मिक कथा प्रस्तुत करता है, बल्कि सामाजिक बदलाव की प्रेरणा भी देता है। यह फिल्म मूर्लीकांत पेटकर की असाधारण जीवनी पर आधारित है, जो भारत के प्रथम पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। ट्रेलर में दिखाए गए विभिन्न आयु वर्ग के पात्र दर्शकों को एक विस्तृत समयरेखा में ले जाते हैं, जहाँ बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक के संघर्ष स्पष्ट होते हैं। कार्तिक द्वारा निभाया गया युवा चंडू, सैनिक, मुक्केबाज़, और अंततः एक दृढ़ जीवित रहने वाला व्यक्ति, सभी चरणों में सुस्पष्ट विकास दर्शाते हैं। 1965 के युद्ध में गोलियों की चोट के बाद भी वह हार मानने से इंकार करता है, यह दृश्य मनोविज्ञान में प्रतिरोध शक्ति के सिद्धांत को स्पष्ट करता है। फिल्म का निर्देशन कबीर खान ने किया है, जिन्होंने ‘83’ जैसी राष्ट्रीय स्तर पर सराही गई फिल्मों का कार्य किया है, जिससे इस प्रोजेक्ट में आशावादी दृष्टिकोण जुड़ जाता है। कार्तिक ने अपने शारीरिक परिवर्तन में स्टेरॉयड के बिना बॉडी फैट को 39 % से घटाकर 7 % तक लाने का अद्वितीय प्रयास किया है, जो एक कलाकार के समर्पण को दर्शाता है। उनका यह परिवर्तन न केवल शारीरिक परिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि मानसिक दृढ़ता को भी उजागर करता है। मूर्लीकांत पेटकर की कहानी, जहाँ उन्होंने पैर कटने के बाद भी पैरालिंपिक में इतिहास रचा, वह हर भारतीय की प्रेरणा बनती है। इस फिल्म के माध्यम से सामाजिक बाधाओं को तोड़ने की शक्ति को पुनः स्थापित किया गया है, जो आज के युवा वर्ग के लिए अत्यंत आवश्यक है। ट्रेलर में दिखाए गए प्रभावशाली दृश्य, जैसे कि युद्ध के बाद चंडू की पुनर्प्राप्ति, दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं। इस प्रकार, ‘चंडू चैंपियन’ न केवल एक व्यावसायिक फिल्म है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह फिल्म दर्शकों के भीतर आशा और दृढ़ निश्चय की भावना को जगाने का काम करती है। अंत में, इस प्रकार का सिनेमा भारतीय फ़िल्म उद्योग में एक नई दिशा स्थापित कर सकता है, जहाँ प्रेरणा और मनोरंजन का संतुलन स्पष्ट है।

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    Santosh Sharma

    मई 21, 2024 AT 16:47

    कार्तिक ने इस भूमिका के लिए जो शारीरिक परिवर्तन किया है, वह वाकई प्रशंसनीय है। उनका मेहनती रवैया युवा वर्ग में बहुत ऊर्जा भर देगा।

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    yatharth chandrakar

    मई 23, 2024 AT 10:27

    यह फिल्म न सिर्फ़ एक सैनिक की कहानी है, बल्कि यह दिखाती है कि जब मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी बाधा अस्थायी ही रहती है। ट्रेलर से यह स्पष्ट है कि कार्तिक ने अपने अभिनय में गहरी खोज की है, जिससे दर्शक भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। साथ ही, मूर्लीकांत पेटकर के वास्तविक अनुभवों को स्क्रीन पर लाना एक सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है।

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    Vrushali Prabhu

    मई 25, 2024 AT 04:07

    बहुत बधाई अरे बधाइयाँ, इस ट्रेलर ने तो दिल को छू लिया! फिल्म में दिखने वाले जज़्बे का असर देख के लग रहा है कि हम सबको मिलकर सपनो की तरफ़ धकेलना चाहिए। बिल्कुल स्पैसल इफेक्ट भी काफ़ी बढ़िया है, थ्रिल और इमोशन दोनों का बेजोड़ मिश्रण।

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    parlan caem

    मई 26, 2024 AT 21:47

    ट्रेलर देख के लगता है की बस बड़े जमीनी असर के साथ पहनावा सिटीकैम है, कोई असली कहानी नहीं बस पिंडुब्बी बॉलवर्ड। ऐसे सिचुएशन में कइसे भी एक्टिंग फोकस किया जाए, यह तो उल्टा ही काम करता है। जाहिर है, प्रेरणा नहीं बल्कि मार्केटिंग के लिये बना है।

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    Mayur Karanjkar

    मई 28, 2024 AT 15:27

    सांस्कृतिक परिप्रक्ष्य में देखे तो यह फिल्म आत्म-परिचय का एक महत्वपूर्ण मंच बनती है, जहाँ संघर्ष-परिचय को रूपक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

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    Sara Khan M

    मई 30, 2024 AT 09:07

    वाह! 🎬 सुपर फन! 😍

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    shubham ingale

    जून 1, 2024 AT 02:47

    सही काम है 😊👍

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    Ajay Ram

    जून 2, 2024 AT 20:27

    ‘चंडू चैंपियन’ का ट्रेलर देख कर मन में कई विचार उभरते हैं – यह सिर्फ़ एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं, बल्कि सामाजिक सीमाओं को तोड़ते हुए राष्ट्रीय पहचान की पुनर्संरचना का एक शानदार प्रयास है। पहली बार जब हम कार्तिक को इस तरह की शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन में देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सिनेमा अब सिर्फ़ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि जागरूकता बढ़ाने के लिए भी सशक्त मंच बन गया है। इस फिल्म में कबीर खान का निर्देशन एक नया आयाम लाता है, जहाँ उन्होंने ‘83’ जैसी ऐतिहासिक फिल्म से सिखी हुई तकनीकें और भावनात्मक गहराई को अपने इस प्रोजेक्ट में मिश्रित किया है। पात्र के विभिन्न चरणों – बचपन, सैनिक, मुक्केबाज़ और सर्वाइवर – को दर्शाते हुए, यह फिल्म दर्शकों को याद दिलाती है कि जीवन में निरंतर बदलाव ही स्थायी विकास का मूल मंत्र है। ट्रेलर में दिखाए गए युद्ध के दृश्य, जहाँ गोलियों ने शारीरिक रूप से चंडू को चोट पहुँचाई, लेकिन उसकी आत्मा को नहीं झकझोर पाई, वह एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं कि शारीरिक सीमाएँ केवल अस्थायी होती हैं। मूर्लीकांत पेटकर की वास्तविक कहानी, जो पेरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी दोबारा परखा गया, इस फिल्म को सामाजिक प्रेरणा का स्रोत बनाती है। साथ ही, कार्तिक का बॉडी ट्रांसफ़ॉर्मेशन, जिसमें स्टेरॉयड के बिना ही फैट को 39 % से 7 % तक लाया गया, यह दर्शाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अंत में, इस फिल्म का संगीत और पृष्ठभूमि ध्वनि प्रभाव, जो दृश्यों के साथ समरसता से मिलते हैं, दर्शकों को भावनात्मक जुड़ाव प्रदान करते हैं। इस प्रकार, ‘चंडू चैंपियन’ न केवल एक फिल्म है, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन का प्रारम्भ भी हो सकता है, जो हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा।

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    Dr Nimit Shah

    जून 4, 2024 AT 14:07

    कोई भी फिल्म इस तरह के झूठे प्रशंसा से नहीं बच सकती, सही बात तो यही है कि असली हीरो तो पेटकर हैं, न कि कार्तिक का दिखावा।

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