कुट्टा आटा विषाक्तता से 200 से अधिक लोग अस्पताल पहुँचे, दिल्ली में नवरात्रि फास्टिंग के दौरान

कुट्टा आटा विषाक्तता से 200 से अधिक लोग अस्पताल पहुँचे, दिल्ली में नवरात्रि फास्टिंग के दौरान
24 सितंबर 2025 18 टिप्पणि jignesha chavda

विषाक्तता की लकीर

नवरात्रि के उत्सव में कई दिल्लीवाल अपने उपवास को कुट्टा आटे से बने व्यंजनों से पूरा करते हैं। इस साल के पाँचवें दिन, जयपुरपुरी, महेंद्र पार्क, सामायपूर, भाल्सवा डेयरी, लाल बाग और स्वरुप नगर जैसे क्षेत्रों में 200 से अधिक लोग बेतहाशा असुविधा के कारण अस्पताल पहुँचे। सुबह लगभग 6:10 बजे जयपुरपुरी पुलिस स्टेशन को कई सूचनाएँ मिलीं, जिनमें पेट में दर्द, उल्टी और हल्की डायरिया की शिकायतें शामिल थीं।

इन्हीं शिकायतों के बाद बी.जे.आर.एम. हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में भीड़ जमा हो गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि प्रारम्भिक आँकड़े के अनुसार दो सैंकड़ से लेकर तीन सैंकड़ तक लोग उपचार हेतु आए हैं, जबकि लगभग 40 रोगियों को निगरानी के लिये भर्ती किया गया। अधिकांश रोगियों की स्थिति स्थिर थी और उनको किसी गंभीर उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ी।

रोगियों ने बताया कि उन्होंने नवरात्रि के vrat के दौरान कुट्टा आटे से बनी रोटी, पकोड़े और हलवा ख़ाया था। इस आटे की अचानक उपलब्धता के चलते कई छोटे-छोटे विक्रेताओं ने बिना सही जांच के इसे बाजार में उतारा, जिससे सम्भावित मिलावट का खतरा बढ़ गया।

जाँच एवं प्रतिक्रिया

जाँच एवं प्रतिक्रिया

दिल्ली सरकार के खाद्य विभाग ने तुरंत जांच प्रारम्भ की और संदिग्ध आटे के नमूने लैब में भेजे। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम सभी संभावित स्रोतों की पहचान कर रहे हैं, चाहे वह थोक विक्रेता हों या स्थानीय दुकानें। यदि मिलावट सिद्ध होती है तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"

पुलिस ने भी इस मामले को शामिल कर उपभोक्ताओं को सतर्क करने के लिये सार्वजनिक घोषणा प्रणाली और पावरफुल बीट स्टाफ का प्रयोग किया। उन्होंने दुकानों को सख्त चेतावनी दी कि उपभोक्ताओं को सटीक लेबलिंग और शुद्धता के प्रमाण प्रदान करना अनिवार्य होगा। इस बीच, कई स्थानीय NGOs ने भी जागरूकता अभियानों को तेज किया, ताकि उपभोक्ता भविष्य में ऐसी स्थिति से बच सकें।

डॉक्टरों ने सलाह दी कि उपवास के दौरान यदि कोई अजनबी या अनजाने स्रोत से आटा ले रहे हों, तो उसकी गुणवत्ता की जाँच अवश्य करें। साधारण अल्कोहल टेस्ट या रंग परीक्षण से भी मिलावट की संकेत मिल सकते हैं। साथ ही, अगर पेट में दर्द, उल्टी या दस्त की तीव्रता बढ़ती दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

वर्तमान में, बी.जे.आर.एम. हॉस्पिटल ने बताया कि सभी रोगियों को परामर्श देना जारी है और उनका फॉलो‑अप किया जा रहा है। शहर के स्वास्थ्य विभाग ने इस घटना को एक चेतावनी के रूप में ले कर भविष्य में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिये अतिरिक्त निरीक्षण बैंड लगाए हैं।

18 टिप्पणि

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    fatima blakemore

    सितंबर 24, 2025 AT 01:09

    कभू सोचा है कि रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी चीज़ें हमारे शरीर के साथ किस तरह का करार बनाती हैं? नवरात्रि के दिन कई लोग कुट्टा आटा लेते हैं, लेकिन अगर वो साफ़ न हो तो असुविधा का कोड एरे बन जाता है। यही छोटी‑सी अनदेखी हमें बड़ा दर्द दे सकती है। तो शायद हमें अपनी थाली को थोड़ा और ज़्यादा सजग देखना चाहिए।

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    vikash kumar

    सितंबर 27, 2025 AT 12:29

    यह मामला केवल खाद्य‑सुरक्षा का ही नहीं, बल्कि नियामक निरीक्षण की प्रणाली की भी तड़प दर्शाता है। कुट्टा आटे की गुणवत्ता को लेकर अनियमितता देखकर प्रशासन को तत्क्षण कड़े कदम उठाने चाहिए। नत्र उपवासियों को बार‑बार स्वास्थ्य‑सम्बंधी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इस तरह के प्रसंग भविष्य में भी दोहराए नहीं जाने चाहिए।

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    Anurag Narayan Rai

    सितंबर 30, 2025 AT 23:49

    नवरात्रि के दौरान कई दिल्लीवाल उपवास के लिए कुट्टा आटा चुनते हैं, यह एक प्राचीन परंपरा है।
    पर इस साल की घटनाओं से स्पष्ट हुआ कि बाजार में आए अनजाने आटे की गुणवत्ता पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता।
    आइए देखें, किस तरह छोटे‑छोटे विक्रेताओं की सावधानियों की कमी ने स्वास्थ्य‑संकट को जन्म दिया।
    जिन लोगों ने कुट्टा आटे से बनी रोटी, पकोड़े और हलवा खाए, उनमें पेट में दर्द, उल्टी और दस्त जैसी लक्षण उभरे।
    समय पर संकेत मिलने पर अस्पतालों में इकठा हुए रोगियों की संख्या दो‑सैंकड़ से अधिक थी, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
    भोजन की शुद्धता जांचने के साधन आसान हैं-सरल अल्कोहल टेस्ट या रंग‑परिक्षण से ही मिलावट के संकेत मिल सकते हैं।
    सरकार ने तुरंत जांच शुरू की और संदिग्ध आटे के नमूने लैब में भेजे, यह एक सकारात्मक कदम है।
    पर यह भी आवश्यक है कि भविष्य में खाद्य विभाग अधिक कड़े निरीक्षण बैंड लगाकर दावे को साकार करे।
    निवासियों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे अनजाने स्रोतों से आटा न खरीदें, खासकर जब वह बड़ी मात्रा में उपलब्ध हो।
    स्थानीय NGOs ने भी इस मुद्दे पर जागरूकता अभियान तेज़ किया, जिससे जनता को व्यावहारिक टिप्स मिल सके।
    डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि उपवास के दौरान अगर कोई भी असहज स्थिति बनी रहे, तो तुरंत चिकित्सकीय मदद लेनी चाहिए।
    यह घटना हमें याद दिलाती है कि परम्पराओं का सम्मान करते हुए भी वैज्ञानिक तर्क को नहीं भूला जाना चाहिए।
    भविष्य में खाद्य‑सुरक्षा के नियमों को सख्त करके हम ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।
    साथ ही उपभोक्ताओं की सतर्कता और शिकायत प्रणाली को तेज़ करके समस्या के मूल कारण तक पहुँचा जा सकता है।
    अंत में यह कहा जा सकता है कि सामान्य सवेतन जनसमुदाय की भागीदारी ही इस प्रकार की सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को समाप्त करने की कुंजी है।

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    Sandhya Mohan

    अक्तूबर 4, 2025 AT 11:09

    जीवन में अक्सर छोटे‑छोटे चुनाव हमारे बड़े दर्द बन जाते हैं। कुट्टा आटा जैसे साधारण पदार्थ भी अगर ठीक से जांचा न हो तो परेशानी बढ़ा सकता है। अपने स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा सतर्क रहना ज़रूरी है, खासकर उपवास जैसे समय में। आशा है कि आगे से सभी लोग अधिक सावधानी बरतेंगे।

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    Prakash Dwivedi

    अक्तूबर 7, 2025 AT 22:29

    ऐसी छोटी सी लापरवाही भी बड़े रोगी बना देती है।

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    Rajbir Singh

    अक्तूबर 11, 2025 AT 09:49

    सही कहा, एक बार में ही नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। अगर आटे में मिलावट हो तो इसका असर बहुत बड़ा हो सकता है। इसलिए ख़रीदते समय लायबिलिटी चेक करना ज़रूरी है।

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    Swetha Brungi

    अक्तूबर 14, 2025 AT 21:09

    भाई लोगों, ये सब देख कर मुझे लगता है कि हम सबको अपनी थाली के साथ थोड़ा ज़्यादा डिसिप्लिन चाहिए। अगर दुकान वाले साफ‑सफ़ाई नहीं कर रहे, तो हमें खुद ही जांच करनी चाहिए। कुछ बेसिक टेस्ट करके ही खाएँ, नहीं तो फिर से वही समस्या। थोड़ी सी सावधानी से बड़ी बीमारी से बचा जा सकता है।

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    Govind Kumar

    अक्तूबर 18, 2025 AT 08:29

    आपकी बात बिल्कुल सही है। उपवास के दौरान भी हमें खाद्य‑सुरक्षा के मानकों को नहीं भूलना चाहिए। आधिकारिक निरीक्षण से ही इस तरह की घटनाएँ रोकी जा सकती हैं। आशा है प्रशासन इस पर कड़ी कार्रवाई करेगा।

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    Shubham Abhang

    अक्तूबर 21, 2025 AT 19:49

    वाओ, क्या बात है, कुट्टा आटा, नवरात्रि, अस्पताल,, लोग पडे़, खाणे, साइड इफ़ेक्ट,, सही में, क्या बात है...

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    Trupti Jain

    अक्तूबर 25, 2025 AT 07:09

    है ना रोचक, रंग‑बिरंगी रोटी के साथ असुविधा, जैसे कहानी में ट्विस्ट! पर कब तक अंधाधुंध खाएँगे? थोड़ा सोच‑विचार करिए।

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    deepika balodi

    अक्तूबर 28, 2025 AT 17:29

    कुत्ता आटे की सफ़ाई में कमी बड़ी समस्या बन गई। इसे अब तुरंत ठीक करना चाहिए।

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    Priya Patil

    नवंबर 1, 2025 AT 04:49

    बिल्कुल सही कहा, छोटी‑छोटी चीज़ें बड़ी परेशानी का कारण बन सकती हैं। सबको जागरूक होना चाहिए।

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    Rashi Jaiswal

    नवंबर 4, 2025 AT 16:09

    यार, ऐसे मामलों में दिल से 🙏 भरोसा रखो, लेकिन आँखें खुली रखो! अगर कुछ सही ना लगे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाओ। 🙌

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    Maneesh Rajput Thakur

    नवंबर 8, 2025 AT 03:29

    सोचो, अगर ये सब सियासत की योजना का हिस्सा हो तो हमें कहीं और नहीं देखना चाहिए। लेकिन हकीकत में, हमें सिर्फ़ बेसिक टेस्ट करके ही बचाव करना चाहिए। कोई षड्यंत्र नहीं, बस सतर्कता चाहिए।

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    ONE AGRI

    नवंबर 11, 2025 AT 14:49

    हमें इस तरह के घटित घटनाओं से सीखना चाहिए और अपने देश की स्वच्छता को आगे बढ़ाना चाहिए। अगर हम अपनी संस्कृति को नहीं बचाएंगे तो बाहर वाले हमें कमज़ोर समझेंगे। कुट्टा आटा की सफ़ाई में लापरवाही हमारे राष्ट्रीय गौरव को धूमिल करती है। इसलिए हमें कड़े कदम उठाने चाहिए, नहीं तो इस प्रकार की घटनाएँ बार‑बार होंगी।

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    Himanshu Sanduja

    नवंबर 15, 2025 AT 02:09

    बहुत बढ़िया बात है, हमें सामुदायिक स्तर पर भी जागरूकता फैलानी चाहिए। ऐसा करने से भविष्य में ऐसे मामले कम हो सकते हैं।

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    Kiran Singh

    नवंबर 18, 2025 AT 13:29

    सही में, सबको ध्यान रखना चाहिए! 😊

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    Balaji Srinivasan

    नवंबर 22, 2025 AT 00:49

    मैं भी यही मानता हूँ, मिलकर ही हम इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।

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