मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज रामोजी राव नहीं रहे: क्या थे उनके योगदान और विरासत के मायने

रामोजी राव: एक दृष्टिकोणशील उद्यमी का सफर
16 नवंबर, 1936 को जन्मे चेयरुकुरी रामोजी राव एक ऐसा नाम है जो भारतीय मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में सदैव अमर रहेगा। 87 वर्ष की आयु में 8 जून, 2021 को हैंदराबाद के स्टार अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। रामोजी राव एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने न केवल मीडिया और फिल्म उद्योग में नई क्रांति लाई बल्कि समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रामोजी फिल्म सिटी: सपना जो साकार हुआ
रामोजी राव की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है रामोजी फिल्म सिटी, जो दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म निर्माण सुविधाओं में से एक है। यह फिल्म सिटी न केवल भारतीय फिल्मों के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां हर साल अनगिनत फिल्मों, टीवी शो और विज्ञापनों की शूटिंग होती है।
इस फिल्म सिटी को 1996 में स्थापित किया गया था और यह लगभग 2000 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है। इसमें विभिन्न प्रकार के सेट, गार्डन, होटल्स और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो किसी भी फिल्म या टीवी प्रोडक्शन के लिए आवश्यक होती हैं।
ईनाडु: सबसे बड़ा तेलुगू अखबार
रामोजी राव ने 1974 में ईनाडु अखबार की स्थापना की, जो अब तेलुगू भाषा का सबसे बड़ा सर्कुलेटिंग अखबार है। इस अखबार ने पत्रकारिता के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए और जनता की आवाज को प्रबल बनाया।
ETV नेटवर्क और अन्य उपक्रम
ईनाडु के अलावा, रामोजी राव के ईटीवी नेटवर्क का भी विशेष महत्व है। इस नेटवर्क में विभिन्न भाषाओं में कई टीवी चैनल शामिल हैं, जो विविध सामग्री प्रस्तुत करते हैं। इस नेटवर्क ने टीवी पत्रकारिता और मनोरंजन के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित किए हैं।
रामोजी ग्रुप के अंतर्गत मारगदर्शी चिट फंड, रामादेवी पब्लिक स्कूल, प्रिया फूड्स, कलंजली, उषाकिरण मूवीज और डॉल्फिन ग्रुप ऑफ होटल्स भी शामिल हैं। ये सभी उपक्रम उनकी व्यापारिक कुशलता और दूरदर्शिता को दर्शाते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान योगदान
रामोजी राव ने न केवल उद्योग जगत में योगदान दिया, बल्कि समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री राहत कोष में 10-10 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
सम्मान और पुरस्कार
रामोजी राव को 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है। इसके अलावा उन्हें कई अन्य सम्मान और पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जिनमें साहित्य, पत्रकारिता और मीडिया के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान को स्वीकारा गया है।
विरासत और प्रभाव
रामोजी राव ने जो विरासत छोड़ी है, वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनकी दूरदर्शिता, उद्योग के प्रति उनकी निष्ठा और सामाजिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें एक अद्वितीय स्थान पर स्थापित करती है।
उनके निधन से भारतीय मीडिया और फिल्म उद्योग को अपूरणीय क्षति हुई है, लेकिन उनकी यादें और योगदान सदैव जीवित रहेंगे। उनकी जिदगी की कहानी यह बताती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने संकल्प और परिश्रम से असंभव को संभव बना सकता है। रामोजी राव का जीवन और उनके कार्य हमें न केवल प्रेरित करते हैं, बल्कि हमें यह भी सिखाते हैं कि किसी भी उद्देश्य को स्थायी बनाने के लिए कितना मेहनत, नियोजन और दृढ़ निश्चय आवश्यक है।
Vipul Kumar
जून 8, 2024 AT 19:20रामोजी राव का जीवन उद्यमशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का exemplar है। उन्होंने एक छोटे शहर से शुरू करके राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया और फिल्म इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया। उनका फिल्म सिटी न केवल तकनीकी नवाचार लाया बल्कि कई युवा प्रतिभाओं को अवसर भी दिया। ईनाडु और ETV ने तेलुगु भाषा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, जिससे भाषा की पहचान मज़बूत हुई। महामारी के दौरान उनका योगदान दर्शाता है कि व्यवसायी भी समाज के संरक्षक हो सकते हैं। उनकी विरासत आज भी नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
Priyanka Ambardar
जून 10, 2024 AT 09:13भारत की धरोहर को हमें गर्व से याद रखना चाहिए! 🇮🇳
sujaya selalu jaya
जुलाई 3, 2024 AT 12:46रामोजी राव ने पत्रकारिता में नया मानक स्थापित किया। उनका ईनाडु आज भी सबसे बड़े अखबारों में गिना जाता है। फिल्म सिटी ने कई अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स को आकर्षित किया। उनका सामाजिक कार्य भी सराहनीय था।
Ranveer Tyagi
जुलाई 4, 2024 AT 16:33बिल्कुल सही कहा तुमने, भाई! रामोजी राव ने सिर्फ एक कंपनी नहीं चलाई, बल्कि पूरे उद्योग को नई दिशा दी, जिससे हर युवा निर्माता को मंच मिला, और यह सब उनके दूरदर्शी सोच के कारण संभव हुआ!!! अगर कोई आज फिल्म बनाना चाहता है तो रामोजी सिटी ही सबसे बेहतरीन विकल्प है, यह बात मैं कई बार दोहराया हूँ; इसलिए उनके मॉडल को अपनाना चाहिए, धन्यवाद!!
Tejas Srivastava
जुलाई 26, 2024 AT 16:20वाह! रामोजी राव की कहानी जितनी बड़ी उतनी ही प्रेरणादायक है... उन्होंने एक छोटे से शहर से ग्लोबल फिल्म हब बनाया; उनकी मेहनत और दृढ़ता हम सभी को झकझोर देती है... उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा!!!
JAYESH DHUMAK
अगस्त 7, 2024 AT 06:06रामोजी राव एक vision‑driven उद्यमी थे जिनकी सोच समय से आगे थी।
उन्होंने 1996 में रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना करके भारतीय फिल्म निर्माण की बुनियादी संरचना को पुनः परिभाषित किया।
इस सिटी में उच्च तकनीकी सेट, ग्रीन‑स्क्रीन, post‑production सुविधाएँ और होटल‑अधारित सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन दोनों को आकर्षित करती हैं।
ईनाडु दैनिक के माध्यम से उन्होंने तेलुगु भाषा की पत्रकारिता में एक नया मानक स्थापित किया, जिससे नागरिकों की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच मिला।
ETV नेटवर्क के तहत उन्होंने बहुभाषी चैनलों की एक श्रृंखला लॉन्च की, जिससे भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रसारण में लाया गया।
उनकी व्यावसायिक रणनीतियों में सामाजिक उत्तरदायित्व को प्रमुख स्थान दिया गया, जैसा कि कोविड‑19 महामारी के दौरान उन्होंने दो राज्यों में 10‑10 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
उन्होंने अपने समूह के अंतर्गत शैक्षिक संस्थान, चैरिटी फंड और हेल्थ‑केयर सुविधाओं को भी विकसित किया, जिससे सामाजिक विकास में उनका योगदान विविध रूप से परिलक्षित होता है।
पद्म विभूषण से सम्मानित होने के बाद भी उन्होंने विनम्रता बनाए रखी और नई पहलों के लिए हमेशा तत्पर रहे।
उनके द्वारा स्थापित कई छोटे‑बड़े उद्यम आर्थिक संकट के समय भी स्थिर रहे, जिससे उन्होंने रोजगार निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
फिल्म सिटी में उपयोग की जाने वाली तकनीक में लगातार निवेश करके उन्होंने भारतीय फ़िल्म निर्माताओं को विश्व स्तर की सुविधा प्रदान की।
उनके कार्पोरेट गवर्नेंस मॉडल में पारदर्शिता और नैतिकता को प्राथमिकता दी गई, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा।
रामोजी राव की कथा उद्यमशीलता, सामाजिक सेवा और राष्ट्रीय अभिमान के बीच संतुलन का उत्तम उदाहरण है।
उनका जीवन यह साबित करता है कि व्यापारिक सफलता को सामाजिक कल्याण के साथ जोड़ा जा सकता है।
भविष्य में भी उनके स्थापित संस्थान नई पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे और भारतीय मीडिया एवं फिल्म उद्योग को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँगे।
इस प्रकार, रामोजी राव की विरासत न केवल इतिहास में अंकित है, बल्कि वर्तमान और आने वाले वर्षों में भी जीवित रहेगी।
Santosh Sharma
अगस्त 21, 2024 AT 19:20रामोजी राव की उपलब्धियों से प्रेरित होकर हम सभी को नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।