शारदीय नवरात्रि 2024: माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व, और आरती
अक्तू॰, 5 2024शारदीय नवरात्रि का आदर और माँ चंद्रघंटा का महत्व
शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन माँ दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसमें माँ चंद्रघंटा का तीसरा दिन विशेष स्थान रखता है। यह स्वरूप देवी पार्वती का है जो शांति और शक्ति का संतुलन दर्शाता है। माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर चंद्र का घण्टा होता है, जिससे उन्हें यह नाम मिला। यह स्वरूप दैवीय सौंदर्य और अद्वितीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए भक्त विशेष तैयारी करते हैं, जिसमें सबसे पहले शुद्धिकरण और संकल्प होता है। इसके बाद देवी को फूल, अक्षत (चावल), सिंदूर और सुगंधित दीप अर्पण किया जाता है। घी का दीप और अगरबत्ती जलाकर ‘ओम् देवी चंद्रघंटायै विद्महे क्रन्दासनायै धीमहि, तन्नो क्रन्दि प्रचोदयात’ मंत्र का जाप किया जाता है। इस दिन माँ चंद्रघंटा को खीर विशेष भोग के रूप में चढ़ाया जाता है, जो मखाने और दूध से बनाई जाती है। इन उपायों से माँ प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
तीसरे नवरात्रि के लिए शुभ मुहूर्त
माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए कुछ विशेष मुहूर्त होते हैं जो पूजन को और भी मंगलमय बना देते हैं। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक होता है, अमृत काल सुबह 11:41 से 1:29 तक और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:16 से रात 9:33 तक उपलब्ध होता है। देवी की आराधना के लिए रविवार से सोमवार की सुबह तक रवि योग का समय भी शुभ माना गया है। भक्त इन सटीक समयों पर पूजा कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
भक्ति के माध्यम से शांति और शक्ति का संतुलन
माँ चंद्रघंटा की पूजा के दौरान भक्त धूसर रंग के वस्त्र पहनते हैं जिससे यह संतुलन और तटस्थता दर्शाते हैं। यह रंग माँ के स्वरूप का प्रतीक है जो अन्धकार और प्रकाश, सत्य और असत्य, आध्यात्मिकता और भौतिकता के बीच का संतुलन बनाता है।
मंत्र और आरती
माँ चंद्रघंटा की अराधना का एक अन्य महत्वपूर्ण अंग उनकी बड़ी शक्तियों को जाग्रत करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप है: ‘या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः’। इसके साथ ही ‘ओम् देवी चंद्रघंटाये नमः’ का भी पाठ किया जाता है। आरती का गहराई से पाठ भगवान को प्रसन्न करता है। इसमें भक्ति के सुमधुर संगीत से भरे भजनों का सामंजस्य होता है, जो कि भक्तों के मन को शांति और भक्ति से भर देता है। इस आरती में माँ के तीर्थ स्थानों के दर्शन और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना होती है।
भक्त जो भी उपाय और आराधनाएं करते हैं, उनका एक ही उद्देश्य होता है—अपनी भक्ति को माँ चंद्रघंटा के प्रति समर्पित करना और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को देवताओं की कृपा से समृद्ध बनाना। यह नवरात्रि के दौरान विशेष शक्ति का संचार करने की एक अद्वितीय विधि है।