सोने की कीमतें 2029 तक $10,000 प्रति औंस पहुँचने का अनुमान, ट्रम्प की नीतियों और डॉलर कमजोरी के बीच
अक्टूबर 2025 में सोने की कीमतें पहली बार $4,000 प्रति औंस के ऊपर पहुँच गईं — यह एक ऐसा स्तर है जिसे 1979 के बाद कभी नहीं छूआ गया था। और ये सिर्फ शुरुआत है। वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि अगर वर्तमान रुझान बने रहे, तो 2028-2029 तक सोना $10,000 प्रति औंस तक पहुँच सकता है। ये नहीं कोई असंभव सपना है — ये एक तूफान का नतीजा है, जिसमें राजनीति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक अस्थिरता एक साथ जुड़ गई हैं।
सोने की कीमतों में तेजी के पीछे क्या है?
अक्टूबर 10, 2025 को डॉनल्ड ट्रम्प ने चीन पर 100% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की, जिसके बाद बाजार गिरे और सोने की कीमतें 1.5% बढ़कर $4,000 प्रति औंस हो गईं। ये नहीं कोई बेकार की उछाल थी — ये एक बड़े बदलाव का संकेत था। जब दुनिया डॉलर पर भरोसा करना बंद करने लगे, तो सोना एकमात्र विश्वसनीय संपत्ति बन गया।
जेपी मॉर्गन रिसर्च की अध्यक्ष नताशा कानेवा के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक सोने की औसत कीमत $3,675 प्रति औंस होगी, और 2026 के दूसरे तिमाही तक $4,000 तक पहुँच सकती है। ये उनकी पिछली भविष्यवाणी से 30% अधिक है। वहीं, यार्डेनी रिसर्च के प्रमुख एड यार्डेनी ने अपना लक्ष्य $5,000 प्रति औंस (2026) तक बढ़ा दिया है, और उनका मानना है कि अगर ट्रम्प की नीतियाँ जारी रहीं, तो 2029 तक $10,000 तक पहुँचना संभव है।
डॉलर कमजोर हो रहा है, और दुनिया इसे नोटिस कर रही है
रूस के विदेशी संपत्ति जमा करने के बाद से, दुनिया के कई देशों ने अपने रिजर्व में डॉलर की जगह सोना बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीन, भारत, तुर्की और रूस ने 2024-25 में संयुक्त रूप से लगभग 1,200 टन सोना खरीदा — ये इतिहास का सबसे बड़ा एकल वर्ष था। ये बस एक रुझान नहीं, बल्कि एक विद्रोह है — डॉलर के एकाधिकार के खिलाफ।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी कमजोर हो रही है। जुलाई 2025 में वस्तुओं का व्यापार घाटा $103 बिलियन रहा — जून 2025 के बाद सबसे अधिक। बेरोजगारी भत्ते के दावे भी चार साल में सबसे अधिक थे। इन संकेतों ने फेडरल रिजर्व के ब्याज दर काटने की उम्मीद को बढ़ा दिया। और जब ब्याज दरें गिरती हैं, तो सोना खरीदना और अधिक आकर्षक हो जाता है — क्योंकि यह ब्याज नहीं देता, लेकिन अस्थिरता में भी अपनी कीमत बनाए रखता है।
फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर सवाल
यहाँ एक और चिंता का बिंदु है: लिसा कूक, फेडरल रिजर्व की एक प्रमुख नीति निर्माता, के खिलाफ जस्टिस डिपार्टमेंट ने आपराधिक जांच शुरू कर दी है। ये जांच अभी तक विस्तार से सार्वजनिक नहीं हुई, लेकिन बाजार इसे एक चेतावनी के रूप में ले रहा है। अगर फेड की स्वतंत्रता कमजोर होती है, तो अमेरिकी मुद्रा का भरोसा और गिरेगा — और सोना उसकी जगह लेगा।
स्टेट स्ट्रीट ग्लोबल एडवाइजर्स का कहना है कि अब $3,000 प्रति औंस सोने का नया आधार है — पहले ये $2,000 था। ये सिर्फ एक नंबर नहीं, ये एक नई वास्तविकता है। अब जब भी सोना $3,000 के नीचे जाता है, तो निवेशक इसे एक अवसर मानते हैं, न कि एक गिरावट।
भारत क्या कर रहा है?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोना खपतकर्ता है — और अब यह एक बड़ा निवेशक भी बन रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2024 में 200 टन से अधिक सोना खरीदा। ये डॉलर से बचने की नीति नहीं, बल्कि देशी आर्थिक सुरक्षा की रणनीति है। भारतीय निवेशक भी अब अपने घरों में सोने की निवेश को बढ़ा रहे हैं — शहरों में भी, गाँवों में भी।
कोई नहीं जानता कि अक्टूबर 30, 2025 को डॉनल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग के बीच होने वाली बैठक क्या लाएगी। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि इससे पहले सोने की कीमतें $3,950 प्रति औंस के आसपास रुक सकती हैं। लेकिन लंबे समय के लिए? सभी बड़े बैंक एक ही बात कह रहे हैं — सोना ऊपर की ओर जा रहा है।
चांदी भी बढ़ रही है — लेकिन अस्थिर
चांदी की कीमतें भी सितंबर 2025 में $41 प्रति औंस तक पहुँच गईं — 2011 के बाद सबसे ऊँची। लेकिन ये अधिक अस्थिर है। जब बाजार डरता है, तो चांदी भी ऊपर जाती है — लेकिन जब एक निश्चितता आती है, तो ये तेजी से गिर जाती है। इसलिए निवेशक अभी भी सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
क्या अगला कदम है?
अगले 12 महीने में हम देखेंगे कि क्या फेडरल रिजर्व ब्याज दरें काटता है। अगर हाँ, तो सोना तेजी से $4,500 की ओर बढ़ेगा। अगर नहीं, तो अर्थव्यवस्था के बारे में डर बढ़ेगा — और फिर से सोना ऊपर जाएगा। दुनिया अब एक नए युग में प्रवेश कर रही है — जहाँ सोना न केवल एक धातु है, बल्कि एक राजनीतिक संदेश है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सोने की कीमतें $10,000 प्रति औंस तक कैसे पहुँच सकती हैं?
यह संभव तब होगा जब डॉलर का वैश्विक वर्चस्व टूटे, फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता संकट में पड़े, और विश्व अर्थव्यवस्था में गहरी मंदी आए। ट्रम्प के 100% शुल्क, चीन की आर्थिक समस्याएँ और रूस जैसे देशों की डॉलर से दूरी इस दिशा में योगदान दे रही हैं। अगर ये तीनों घटनाएँ एक साथ घटित हों, तो $10,000 का लक्ष्य असंभव नहीं।
भारतीय निवेशकों को अभी सोना खरीदना चाहिए?
हाँ, लेकिन बुद्धिमानी से। अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो $3,500-$4,000 के बीच कीमतों पर सोने का एक छोटा हिस्सा अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना समझदारी है। यह आपको अस्थिरता और मुद्रास्फीति से बचाएगा। लेकिन अगर आप तेजी से लाभ की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह जोखिम भरा है — सोना तेजी से गिर सकता है अगर बाजार में शांति आ जाए।
फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?
अगर फेडरल रिजर्व राजनीतिक दबाव में आ जाए, तो वह ब्याज दरों को नियंत्रित नहीं कर पाएगा — जो अमेरिकी डॉलर की कीमत को प्रभावित करता है। अगर डॉलर कमजोर होता है, तो दुनिया भर में लोग उसकी जगह सोना खरीदने लगते हैं। इसलिए फेड की स्वतंत्रता सीधे सोने की कीमतों से जुड़ी है।
चीन के घरेलू बाजार का बुलबुला कैसे सोने को प्रभावित कर रहा है?
चीन के घरेलू बाजार में आर्थिक अस्थिरता ने लाखों निवेशकों को अपनी संपत्ति बचाने के लिए बाहर देखने के लिए मजबूर कर दिया है। अब वे सोने को अपना बचाव बना रहे हैं। यह भारत और रूस जैसे देशों के साथ मिलकर वैश्विक मांग को बढ़ा रहा है — जिससे कीमतें ऊपर जा रही हैं।
क्या सोने की कीमतें गिर सकती हैं?
हाँ, अगर अमेरिका में अचानक आर्थिक स्थिरता आ जाए, फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाए, और ट्रम्प की नीतियाँ बदल जाएँ। लेकिन ऐसा होने की संभावना कम है — क्योंकि अमेरिका के ऋण, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता अभी भी बनी हुई हैं। सोना अब एक सुरक्षा निवेश है — और उसकी मांग गिरने के बजाय बढ़ रही है।