आयकर के सभी पहलू: गाइड, अपडेट और उपयोगी टिप्स
जब हम आयकर, वित्तीय वर्ष में व्यक्ति या कंपनी द्वारा सरकार को दिया गया कर. Also known as टैक्स, it forms the backbone of public finances and affects every paycheck.
आयकर रिटर्न (ITR) वह दस्तावेज़ है जिसमें आप अपनी आय, व्यय और कर भुगतान की जानकारी देते हैं। आयकर रिटर्न, वर्ष के अंत में दाखिल किया जाने वाला कर विवरण दर्ज करने से सरकार को आपका टैक्स प्रोफ़ाइल मिलता है और आप किसी भी असंगतियों को जल्दी पकड़ सकते हैं। आयकर रिटर्न दाखिल करना आयकर का मुख्य कार्य है, इसलिए सही फॉर्म चुनना और समय पर फाइल करना जरूरी है।
पैन (स्थायी खाता संख्या) भारत में हर करदाता को अनिवार्य दिया जाता है। पैन, एक 10-अंकीय पहचान कोड जो कर उद्देश्यों के लिए प्रयोग होता है के बिना आप आयकर रिटर्न नहीं भर सकते। पैन होना आयकर रिटर्न भरने के लिये अनिवार्य है, इसलिए यदि आपका पैन नहीं है तो तुरंत आवेदन करें।
टैक्स स्लैब उन आय के स्तर को दर्शाते हैं जिनपर अलग-अलग कर दरें लागू होती हैं। टैक्स स्लैब, विभिन्न आय वर्गों के लिए निर्धारित कर प्रतिशत को समझना आपके कर दायित्व को कम करने में मदद करता है। टैक्स स्लैब आयकर की दर निर्धारित करता है, इसलिए आप अपनी आय को प्लान करके बेहतर स्लैब में फिट हो सकते हैं।
धारा 80C जैसी छूटें आपकी टैक्सेबल आय को घटा देती हैं। धारा 80C, निवेश और खर्चों पर लागू कर कटौती की धारा में आप पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, जीवन बीमा, एलआईसी आदि में निवेश कर अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक बचत कर सकते हैं। धारा 80C कटौतियां आयकर बोझ कम करती हैं, जिससे आपका नेट टैक्स भुगतान घटता है।
आयकर से जुड़ी प्रमुख प्रक्रियाएँ और टिप्स
पहले चरण में पैन बनवाना और ऑनलाइन पोर्टल पर अपने अकाउंट को लिंक करना जरूरी है। फिर आप अपने सभी स्रोतों से आय जोड़ते हुए खर्चों और निवेशों को दर्ज करें। यदि आपका वेतन आय है, तो फॉर्म 16 आपके पास होना चाहिए; फ्रीलांस या व्यवसायी आय के लिये फॉर्म 26AS से टैक्स क्लीयरेंस देखें। सभी दस्तावेज़ एकत्र करके, आप टैक्स रिटर्न फाइलिंग को सहज बना सकते हैं।
दूसरे चरण में आप सही फॉर्म चुनते हैं – आय वर्ग, आय के स्रोत और आय की रक्कम के आधार पर फॉर्म 1, 2, 3, 4, 5 या 7 में से एक चुनें। फॉर्म भरते समय त्रुटियों से बचने के लिए डिजिटल सिग्नेचर या ई-वीरफ़ाई का उपयोग करें। फाइलिंग के बाद, आयकर विभाग आपकी रिटर्न की प्रोसेसिंग करता है और अगर कोई बैलेंस बकाया है तो टैक्स का नोटिस भेजता है।
तीसरा चरण है रिफंड को ट्रैक करना। यदि आपने अधिक टैक्स जमा किया है, तो संबंधित बैंक अकाउंट में रिफंड पहुंचता है। रिफंड की स्थिति को आप आयकर पोर्टल या ई-एसटीआरएस के माध्यम से देख सकते हैं। साथ ही, रिफंड मिलने पर आप अपनी टैक्स प्लानिंग को फिर से देख सकते हैं ताकि अगले वित्तीय वर्ष में आप और अधिक बचत कर सकें।
आयकर की यह पूरी श्रृंखला – पैन बनवाना, आय के स्रोत जोड़ना, स्लैब के अनुसार नियोजन, 80C जैसी छूटें उपयोग करना और रिटर्न फाइलिंग – एक सरल प्रक्रिया बनी रहनी चाहिए। नीचे लिखे गए लेखों में आप प्रत्येक चरण के विस्तृत कदम, नई व्यवस्था और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब पाएँगे। अब आप तैयार हैं, तो नीचे दिए गए नए अपडेट और टिप्स की दुनिया में उतरें।