बारिश और कृषि क्षति: भारत में बारिश के असर और किसानों की समस्याएँ
बारिश एक बारिश, जो भारतीय कृषि के लिए जीवन रेखा है, लेकिन अतिवृष्टि तब तबाही बन जाती है। ये बारिश न केवल फसलों को पानी देती है, बल्कि जमीन को उर्वर भी बनाती है। लेकिन जब ये बारिश अचानक बढ़ जाती है, तो यह कृषि क्षति, फसलों के नष्ट होने, जमीन के बह जाने और किसानों की आय में गिरावट का कारण बनती है में बदल जाती है। भारत में लगभग 58% आबादी कृषि पर निर्भर है, और उनकी जिंदगी बारिश के चक्कर में घूमती है।
मॉनसून एक मॉनसून, भारत की बारिश का प्रमुख स्रोत, जो हर साल जून से सितंबर तक देश को नमी देता है है। लेकिन अब ये मॉनसून अनिश्चित हो गया है। कभी बारिश देर से आती है, तो कभी एक ही दिन में महीनों की बारिश हो जाती है। इसी वजह से बाढ़, जो जमीन को बहा देती है और फसलों को बर्बाद कर देती है की घटनाएँ हर साल बढ़ रही हैं। दरजिलिंग में बारिश के कारण बवंडर आया, दुड़िया ब्रिज ढह गया, और 20 लोगों की जान चली गई। कोलंबो में भारत-पाकिस्तान महिला क्रिकेट मैच बारिश के कारण टाला गया। ये सिर्फ खबरें नहीं, ये किसानों के दिन की असली कहानियाँ हैं।
किसान बारिश का इंतज़ार करते हैं, लेकिन जब बारिश आती है, तो उनके लिए ये एक बड़ा डर बन जाती है। एक बारिश में पूरा साल का काम बर्बाद हो सकता है। फसल डूब जाती है, बीज बह जाते हैं, और जमीन की उर्वरता खत्म हो जाती है। इसके बाद उन्हें ऋण चुकाने के लिए तनाव में रहना पड़ता है। बारिश का असर सिर्फ फसलों तक ही नहीं, बल्कि राज्यों के बजट, खाद्य मूल्य और देश की आर्थिक स्थिति तक पहुँचता है।
इस पेज पर आपको ऐसी ही ताज़ा खबरें मिलेंगी जहाँ बारिश ने किसानों की जिंदगी बदल दी है। बाढ़ के बाद फसलों की हालत, बारिश के कारण बंद हुए राजमार्ग, और किसानों की आवाज़ — सब कुछ यहाँ मौजूद है। आप जानेंगे कि कैसे एक बारिश का असर एक गाँव से लेकर देश के बजट तक फैल जाता है।