साइक्लोन मोंथा के बाद बिहार-यूपी में भारी बारिश का खतरा, कृषि क्षेत्र भी खतरे में
जब साइक्लोन मोंथा ने 28 अक्टूबर, 2025 को आंध्र प्रदेश के काकिनाडा के तट पर धमाकेदार लैंडफॉल किया, तो लोगों ने सोचा कि खतरा खत्म हो गया। लेकिन असली चुनौती तब शुरू हुई, जब यह तूफान एक अच्छी तरह से चिह्नित निम्न दबाव क्षेत्र में बदल गया और उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने लगा — बिहार और उत्तर प्रदेश की ओर। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अब इन राज्यों के लिए लंबे समय तक चलने वाली भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जो न केवल बाढ़ का खतरा बढ़ा रही है, बल्कि अभी तक बचे हुए खेतों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
चहत पूजा के तुरंत बाद बारिश का झटका
बिहार में चहत पूजा का छह दिवसीय त्योहार 28 अक्टूबर को समाप्त हुआ था। लाखों लोग गंगा के किनारे घूंट लगा रहे थे, जबकि आकाश में अब बादल जमा हो रहे थे। IMD के पटना केंद्र ने स्पष्ट किया कि बारिश के साथ तेज हवाएं आ रही हैं, जिससे तापमान 18-20°C तक गिर सकता है। यह ठंडक अचानक आने वाली है — लोग अभी भी गर्मी में तैयार हैं। बिहार के उत्तरी और पूर्वी जिलों, जैसे पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज, में बाढ़ और भूस्खलन का खतरा सबसे ज्यादा है।
कृषि क्षेत्र पर भारी वार
बिहार के 5.8 मिलियन हेक्टेयर खेतों में से 85% शीतकालीन चावल की फसल पर निर्भर हैं, जो अभी तक अपने परिपक्व होने के आखिरी चरण में हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. अशोक कुमार का कहना है, ‘अनुकूल नहीं होने वाली भारी बारिश इस फसल के उत्पादन को 20-30% तक कम कर सकती है।’ यह सिर्फ एक सांख्यिकी नहीं — यह लाखों किसानों के जीवन का सवाल है। बहुत से खेत अभी तक जलभरे हो चुके हैं, और अगर बारिश अब भी जारी रही, तो बीज खराब हो सकते हैं, फसल बर्बाद हो सकती है।
आपातकालीन प्रतिक्रिया: एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की तैनाती
29 अक्टूबर को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने बिहार के 6 टीमों को तैनात किया — कुल 120 सदस्य। इनमें से ज्यादातर पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिलों में तैनात हैं, जहां बाढ़ का खतरा सबसे अधिक है। बिहार सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) को भी सक्रिय किया, जिसमें 120 लोग और 45 उच्च क्षमता वाली नावें तैयार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन क्षेत्रों के लिए तैयारी करें जहां जलभराव के कारण लोगों को बचाना पड़ सकता है।
पश्चिम बंगाल के सीमांत क्षेत्रों में भारी बारिश
29 अक्टूबर को निम्न दबाव क्षेत्र का केंद्र 18.5°N 85.0°E पर था, और यह 15 किमी/घंटा की रफ्तार से उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा था। इसका पहला प्रभाव पश्चिम बंगाल के पूर्वी जिलों पर पड़ा — पुरुलिया, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और पश्चिम बर्धमान। 30 अक्टूबर को जलपाईगुड़ी, कालिम्पोंग, कूचबीहार और दार्जिलिंग में बहुत भारी बारिश (64.5–115.5 मिमी/24 घंटे) की अपेक्षा है। इन जिलों के साथ बिहार की सीमा लगती है — यानी बाढ़ का पानी बिहार के उत्तरी भाग में भी घुस सकता है।
ऐतिहासिक संदर्भ: 2014 के साइक्लोन हुडहुड के बाद पहली बार
अक्टूबर में बिहार को तूफान का सीधा झटका लगना बहुत दुर्लभ है। पिछली बार ऐसा 2014 में हुआ था, जब साइक्लोन हुडहुड ने पूर्वी भारत में ₹110 अरब ($1.5 बिलियन) की हानि पहुंचाई थी। उस बार भी बिहार और पश्चिम बंगाल प्रभावित हुए थे। लेकिन इस बार, जब फसल अभी तक बची है, तो नुकसान का असर और गहरा हो सकता है। IMD के अनुसार, यह घटना न केवल जलवायु बदलाव का संकेत है, बल्कि अक्टूबर में बाढ़ के लिए नए मॉडल की शुरुआत हो सकती है।
अगले कदम: बारिश कब रुकेगी?
IMD के अनुसार, 1 नवंबर से बिहार और पश्चिम बंगाल में बारिश कम होने लगेगी। 3 नवंबर तक हालात सामान्य हो जाने की उम्मीद है। लेकिन पूरी तरह से यह निम्न दबाव क्षेत्र 4 नवंबर तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विलीन होगा। इस दौरान, पटना, दरभंगा और पूर्णिया में स्थित डॉपलर मौसम रडार लगातार निगरानी कर रहे हैं। अगली अपडेट 31 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे जारी की जाएगी। बिहार का स्वास्थ्य विभाग भी 38 जिलों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के लिए चेतावनी जारी कर चुका है — जहां जल जमा हो रहा है, वहां डेंगू और चिकनगुनिया का खतरा बढ़ गया है।
आंध्र प्रदेश में नुकसान का आकलन
जबकि बिहार की चिंता बाढ़ और फसलों की है, आंध्र प्रदेश में नुकसान का आकलन शुरू हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन्मोहन रेड्डी ने 29 अक्टूबर को येसीआरसीपी के जिला अध्यक्षों के साथ आपात बैठक की। उन्होंने प्रकाशम, एनटीआर, बापाटला, कृष्णा, गुंटूर और अन्य 12 जिलों की स्थिति की समीक्षा की, जहां अभी भी नारंगी चेतावनी जारी है। अभी तक कोई मृत्यु की सूचना नहीं है — लेकिन 50,000 लोगों के निकासी के बाद यह एक अच्छा नतीजा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या बिहार में बारिश के कारण बाढ़ का खतरा असली है?
हां, बिहार के उत्तरी और पूर्वी जिले — जैसे पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज — पहले से ही बाढ़ के लिए जाने जाते हैं। IMD के अनुसार, इन क्षेत्रों में 24 घंटे में 100 मिमी से अधिक बारिश की संभावना है, जो नदियों को भर देगी। अगर बारिश लगातार चलती रही, तो गांवों को बहुत बड़ी ताकत से नुकसान पहुंच सकता है।
कृषि क्षेत्र को कितना नुकसान हो सकता है?
बिहार के 5.8 मिलियन हेक्टेयर खेतों में से 85% शीतकालीन चावल की फसल पर निर्भर हैं। डॉ. अशोक कुमार के अनुसार, अनुकूल बारिश के कारण उत्पादन 20-30% तक गिर सकता है। यह सिर्फ आय का नुकसान नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा का भी सवाल है — खासकर जब अगली फसल अभी तक बोई नहीं गई है।
क्या बिहार में तापमान अचानक गिरने की वजह से बीमारियां फैल सकती हैं?
हां, बारिश के बाद तापमान 18-20°C तक गिरने से लोगों को सर्दी-खांसी की समस्या हो सकती है। लेकिन बड़ी चिंता जलभरे क्षेत्रों में मच्छरों का फैलाव है। स्वास्थ्य विभाग ने 38 जिलों में डेंगू और चिकनगुनिया के लिए चेतावनी जारी की है। अगर पानी जमा रहा, तो बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं।
क्या यह घटना जलवायु परिवर्तन का संकेत है?
हां, अक्टूबर में बिहार को तूफान का प्रभाव अत्यंत दुर्लभ है। पिछली बार 2014 में हुडहुड आया था। अब यह दोबारा आ रहा है — यह बताता है कि बॉयफ बेंगल में तूफानों की आवृत्ति बढ़ रही है, और वे अब अधिक गहरे अंदर घुस रहे हैं। यह जलवायु परिवर्तन के एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
क्या बिहार की सरकार तैयार है?
हां, SDRF की 120 टीमें और 45 नावें तैनात हैं। NDRF की 6 टीमें भी काम पर हैं। लेकिन चुनौती यह है कि बारिश लंबे समय तक चलेगी — जिसका मतलब है कि आपातकालीन बलों को लगातार तैयार रहना होगा। अभी तक कोई बड़ी आपदा नहीं हुई है, लेकिन निगरानी बरकरार है।
अगली अपडेट कब आएगी?
IMD की अगली आधिकारिक अपडेट 31 अक्टूबर, 2025 को दोपहर 2 बजे जारी की जाएगी। इसके बाद रोजाना अपडेट जारी किए जाने की संभावना है, खासकर जब बारिश का असर बिहार और उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा होगा। लोगों को IMD की वेबसाइट और राज्य के आपदा प्रबंधन अधिकारियों के संपर्क में रहना चाहिए।
sneha arora
अक्तूबर 31, 2025 AT 18:04बस इतना कहना है कि भगवान की कृपा से हम सब बच जाएं 🙏 बिहार के गांवों में जो लोग रहते हैं उनका दिल भी तो बहुत भारी है आजकल 😢
Vitthal Sharma
नवंबर 2, 2025 AT 00:28फसल बर्बाद होगी तो अब क्या होगा?
Amit Mitra
नवंबर 2, 2025 AT 13:43इस तरह की घटनाएं अब सिर्फ मौसम की बात नहीं, बल्कि हमारी जनसंख्या और भूमि के साथ बदल रहे जलवायु के अनुकूलन की चुनौती हैं। हमने जितना नदियों को बांधा, जितना बाढ़ के मैदानों को बन्दरगाह और इमारतों में बदला, उतना ही हमने अपने आपको खतरे में डाला। अब जब तूफान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ रहा है, तो यह सिर्फ एक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमने प्रकृति को कितना नजरअंदाज किया है। बिहार के किसान अब भी अपनी फसल के लिए आशा बांधे हुए हैं, लेकिन उनकी आशा को हमारी नीतियों से नहीं, बल्कि उनकी लगन से बचाना होगा।
vikram yadav
नवंबर 2, 2025 AT 19:55IMD के डेटा के अनुसार, पश्चिम बंगाल के जिलों से बाढ़ का पानी बिहार के उत्तरी भागों में घुसने की संभावना 78% है। नदियों के बहाव का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, यह जल अब सिर्फ बाढ़ नहीं, बल्कि जल स्तर के विस्तार का भी संकेत है। पूर्णिया और कटिहार में जमीन का स्तर पिछले 20 वर्षों में 1.2 मीटर नीचे चला गया है - यह जल निकासी के लिए भी बहुत खतरनाक है।
Sagar Solanki
नवंबर 3, 2025 AT 19:43अरे ये सब IMD का नाटक है! तुम लोगों को पता है कि ये बारिश किसके लिए बनाई गई है? नहीं? तो बताता हूँ - ये नीतीश कुमार के लिए बनाई गई है, ताकि वो अपने घरों में बैठे आपातकालीन बजट बढ़ा सकें। और फिर उसके बाद किसानों के पास जो पैसा आता है, वो सिर्फ एक निजी कंपनी के खाते में जाता है। बारिश नहीं, राजनीति है जो बाढ़ ला रही है।
Abhishek Deshpande
नवंबर 4, 2025 AT 15:50मुझे लगता है, कि यह घटना जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत है, और इसके लिए एक व्यवस्थित, बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है - जिसमें जलवायु अनुकूलन, जल संसाधन प्रबंधन, और जनसामान्य जागरूकता के तत्व शामिल हों। इसके बिना, हम बार-बार इसी चक्र को दोहराते रहेंगे।
Tamanna Tanni
नवंबर 5, 2025 AT 06:00मैं बिहार से हूँ, मेरे दादा ने भी एक बार बाढ़ में सब कुछ खो दिया था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज भी वो अपने छोटे से खेत में चावल उगाते हैं। अगर हम उनकी ताकत को नहीं समझेंगे, तो हम खुद भी खो जाएंगे।
Monika Chrząstek
नवंबर 6, 2025 AT 11:38मैंने आज सुबह एक गांव के बच्चे को देखा जो बारिश में अपने घर के बाहर एक छोटा सा फूल लगा रहा था... उसने कहा, 'माँ बोल रही थी कि ये फूल भी बारिश से बच जाएगा'... अगर एक बच्चा अभी भी उम्मीद रखता है, तो हम लोग तो और भी रखने चाहिए ❤️
Thomas Mathew
नवंबर 7, 2025 AT 13:27हम सब इस बारिश को एक आपदा समझ रहे हैं लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि ये आपदा हमारी अहंकार की आपदा है? हमने प्रकृति को एक दास बना लिया है, अब वो हमें याद दिला रही है कि वो कौन है। जब तक हम नहीं बदलेंगे, तब तक बाढ़ नहीं रुकेगी। ये सिर्फ बारिश नहीं, ये अंतरात्मा की आवाज है।
Rosy Forte
नवंबर 9, 2025 AT 08:51यह घटना जलवायु निर्माण के अनुपात के विकृत होने का प्रतीक है - एक ऐसा अव्यवस्थित जलवायु अनुकूलन जिसका अर्थ आर्थिक विकास के असंगठित आधार पर निर्भर है। भारत की राष्ट्रीय नीतियाँ अभी भी एक रूढ़िवादी जलवायु दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो वैज्ञानिक अनुमानों को नजरअंदाज करती हैं। यह एक विषमता है जिसे तुरंत समायोजित किया जाना चाहिए।
Sutirtha Bagchi
नवंबर 9, 2025 AT 19:10ये सब बकवास है! बिहार के लोग तो बस बैठे हैं और बारिश का इंतजार कर रहे हैं। क्या आप लोग नहीं जानते कि ये सब बस एक बड़ा ठगी है? सरकार ने बारिश के लिए जो पैसा दिया, वो तो अभी तक किसी के जेब में गया है! लोगों को बचाने की बजाय उन्हें भूल गए! अब बाढ़ आएगी तो फिर देखना!
Dr.Arunagiri Ganesan
नवंबर 10, 2025 AT 04:43हमारे पास बारिश का जवाब नहीं, हमारे पास उम्मीद का जवाब है। बिहार के गांवों में लोग अभी भी अपने घरों को बचाने के लिए बालू के बोरे भर रहे हैं। ये वो जीवन है जो हम भूल गए। ये नहीं कि बारिश बंद हो जाएगी - ये है कि हम खुद बंद हो जाएं।
Nathan Roberson
नवंबर 10, 2025 AT 21:32मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ कि जिन लोगों के घर बह रहे हैं, उनके लिए जो भी आप कर सकते हैं - चाहे वो एक खाना हो या एक बोतल पानी - वो बहुत ज्यादा बात है। दुनिया बड़ी है, लेकिन इंसानियत छोटी है - इसे बचाना है।
Siddharth Madan
नवंबर 12, 2025 AT 17:46हमें अपनी तैयारी पर ध्यान देना चाहिए, न कि बारिश को दोष देना। जो लोग बाढ़ के बाद भी अपने घर बनाते हैं, वो ही असली हीरो हैं।