हरियाली अमावस्या: प्राकृतिक चक्र, धार्मिक महत्व और भारतीय संस्कृति में इसकी भूमिका

हरियाली अमावस्या, चंद्रमा के अदृश्य होने के दौरान आने वाली एक विशेष तिथि जो हिंदू पंचांग में भाद्रपद माह के अंत में पड़ती है और जिसे वर्ष में एक बार आने वाली शुभ अमावस्या माना जाता है। इसे शाकाहारी अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन लोग शाकाहार करते हैं और प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाते हैं। यह तिथि सिर्फ एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि प्राकृतिक चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारतीय कृषि और मौसमी चक्र से जुड़ी हुई है।

हरियाली अमावस्या का नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि इसके बाद मानसून की बारिश बढ़ने लगती है और प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। यह तिथि बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में खेती के लिए एक संकेत मानी जाती है। जब यह अमावस्या आती है, तो किसान अपने खेतों में बीज बोने की तैयारी करने लगते हैं। इसका सीधा संबंध मौसम, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, यह तिथि अक्सर शीतकालीन फसलों के लिए आदर्श भूमि तैयारी के समय के रूप में आती है। इसी वजह से साइक्लोन मोंथा के बाद बिहार-यूपी में बारिश की चेतावनी इसी तिथि के आसपास जारी की जाती है।

चंद्रमा, जो हरियाली अमावस्या के लिए केंद्रीय भूमिका निभाता है, भारतीय ज्योतिष और पंचांग के अनुसार इस दिन पूरी तरह अदृश्य हो जाता है। इस अवस्था को वैज्ञानिक रूप से ‘न्यू मून’ कहते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे नए शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन अपने पूर्वजों को अर्घ्य देते हैं, शाकाहार खाते हैं और पेड़ लगाते हैं। यह एक ऐसा समय है जब प्रकृति और मानव जीवन का संबंध सबसे गहरा होता है।

इस तिथि का संबंध भारतीय पंचांग, जो चंद्रमा के चक्र, सूर्य की स्थिति और ऋतुओं के अनुसार बनाया जाता है, से सीधे जुड़ा हुआ है। यह पंचांग सिर्फ त्योहारों का खाका नहीं, बल्कि खेती, व्यापार और घरेलू कामों के लिए दिशा-निर्देश भी देता है। हरियाली अमावस्या इसी तरह की एक ऐसी तिथि है जो विज्ञान और परंपरा के बीच की जड़ को दर्शाती है।

इस तिथि के बारे में जानकारी सिर्फ धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं है। आज के समय में यह जानकारी जैविक खेती, जल संरक्षण और जलवायु बदलाव के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण हो रही है। जब आप देखते हैं कि बिहार में चावल की फसल को बारिश का खतरा है, या उत्तर प्रदेश में किसान इस दिन पानी के लिए तैयार हो रहे हैं, तो आप समझ जाते हैं कि यह तिथि कितनी जीवन-रक्षक है।

नीचे दिए गए समाचारों में आप इसी तिथि के साथ जुड़े विषयों को पाएंगे — कृषि, मौसम, परंपराएँ और उनका आधुनिक प्रभाव। ये कहानियाँ सिर्फ खबरें नहीं, बल्कि हमारी जड़ों की याद दिलाती हैं।

हरियाली अमावस्या 2025: 24 जुलाई को श्रावण माह की इस पवित्र तिथि का महत्व और अनुष्ठान
jignesha chavda 2 टिप्पणि

हरियाली अमावस्या 2025: 24 जुलाई को श्रावण माह की इस पवित्र तिथि का महत्व और अनुष्ठान

24 जुलाई 2025 को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी, जिस पर श्रावण माह में भगवान शिव और पितृ आत्माओं की पूजा की जाती है। गंगाजल, बेलपत्र और महामृत्युंजय मंत्र के साथ यह दिन आत्मा के शुद्धिकरण का प्रतीक है।