नवरात्रि फास्टिंग: पूरी जानकारी और सही अभ्यास

जब हम नवरात्रि फास्टिंग, नवरात्रि के नौ दिनों में भगवान दुर्गा की आराधना के साथ किया जाने वाला विशेष उपवास, नवरात्रि व्रत की बात करते हैं, तो यह सिर्फ खाना नहीं रोकना है; यह मन‑ध्यान, शुद्ध आहार और सकारात्मक ऊर्जा का मिश्रण है। इस फास्टिंग में शारीरिक व्रत, मानसिक शांति और धार्मिक अनुशासन एक साथ जुड़ते हैं, जिससे शरीर और आत्मा दोनों को लाभ मिलता है। नवरात्रि फास्टिंग का लक्ष्य शुद्धता, शक्ति और भक्तिरस के साथ दुर्गा के नौ रूपों का सम्मान करना है।

मुख्य घटक और सम्बंधित अवधारणाएँ

पहला मुख्य घटक है नवरात्रि, ज्येष्ठ या आशvin महीने में दुर्गा के नौ दिनों का उत्सव। नवरात्रि के प्रत्येक दिन एक विशेष रूप (जैसे दुर्गा, काली, काली, आदि) को समर्पित होता है, और फास्टिंग उसी के अनुसार अनुकूलित रहता है। दूसरा घटक पंचामुत्री व्रत, पाँच अमृत दिन, आमतौर पर नवरात्रि के अंतिम पाँच दिनों में किया जाने वाला उपवास है, जो पवित्र जल, फल और हल्के भोजन पर केंद्रित होता है। तीसरा संबंध है दुर्गा पूजा, नवरात्रि के दौरान दुर्गा माँ की आराधना और अनुष्ठान। इन तीनों में बारीकी से जुड़ाव है: नवरात्रि के सातवें दिन से पंचामुत्री की शुरुआत होती है, और दुर्गा पूजा के स्वरूपों का अनुष्ठान प्रतिदिन फास्टिंग के नियमों को तय करता है।

नवरात्रि फास्टिंग के डिटेल में दो प्रमुख नियम हैं: पहला, उपवास का प्रकार – पूर्ण (सिर्फ पानी) या आंशिक (एक फल, साबुत अनाज, दही) – जो व्यक्तिगत स्वास्थ्य और आयु के अनुसार चुना जाता है। दूसरा, प्रार्थना और जप – हर सुबह और शाम दुर्गा के मंत्र, जयमाता, और कथा सुनना अनिवार्य है। ये दो तत्व मिलकर शारीरिक शुद्धता और आध्यात्मिक जागरण का द्वैध प्रभाव बनाते हैं। यदि आप फास्टिंग को सही समय पर शुरू करते हैं (आमतौर पर शुभ मुहूर्त में) और समाप्ति को नवरात्रि के अंत में करती हैं, तो ऊर्जा स्तर, नींद की गुणवत्ता और त्वचा में निखार महसूस करेंगे।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है सामाजिक भागीदारी। नवरात्रि के दौरान सभा, मण्डली या मंदिर में सामूहिक अनुष्ठान में भाग लेना फास्टिंग को एक सामुदायिक अनुभव बनाता है। इस सामूहिक ऊर्जा से व्यक्तिगत उपवास का बोझ कम होता है और मन की शांति बढ़ती है। साथ ही, कई परिवार अपने किचन में विशेष ‘व्रत का भोजन’ तैयार करते हैं – बेसन के लड्डू, चने का भुजिया, कच्ची सब्जियां – जो न केवल पोषक हैं बल्कि धर्म के अनुसार शुद्ध भी माने जाते हैं। यह सामाजिक आयाम फास्टिंग को केवल व्यक्तिगत कार्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परम्परा में बंधी एक क्रिया बनाता है।

अब आप समझ गए होंगे कि नवरात्रि फास्टिंग सिर्फ खाना नहीं रोकना, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली का हिस्सा है। नीचे हम इस टैग के अंतर्गत विगत दिनों की प्रमुख खबरें, टिप्स और विशेषज्ञों के विचारों को एकत्रित किए हैं ताकि आप अपने उपवास को वैज्ञानिक, धार्मिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतर बना सकें। इन लेखों में आप विभिन्न उम्र‑समूह के लिए उपयुक्त आहार, फास्टिंग के दौरान मनःस्थिति को संभालने के उपाय और नवरात्रि के विशेष अनुष्ठानों का विस्तृत विवरण पाएँगे। आगे पढ़ें और अपना नवरात्रि फास्टिंग अनुभव को और भी फलदायक बनाएं।

कुट्टा आटा विषाक्तता से 200 से अधिक लोग अस्पताल पहुँचे, दिल्ली में नवरात्रि फास्टिंग के दौरान
jignesha chavda 4 टिप्पणि

कुट्टा आटा विषाक्तता से 200 से अधिक लोग अस्पताल पहुँचे, दिल्ली में नवरात्रि फास्टिंग के दौरान

नवरात्रि के उपवास में इस्तेमाल किए गए कुट्टा आटे से दिल्ली के उत्तर‑पश्चिमी क्षेत्रों में 200 से अधिक लोगों को खांसी, उल्टी और पेट दर्द के लक्षण हुए। रोगी सुबह 6 बजे से अस्पताल में भर्ती हुए, लेकिन अधिकांश को गंभीर स्थिति नहीं रही। पुलिस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और दवा विभाग ने जांच का आदेश दिया। खाने में मिलावट की पुष्टि होने पर कड़ी कारवाई का वादा किया गया।