साइक्लोन मोंथा: भारत और दक्षिण एशिया में तूफानों का प्रभाव और बचाव
जब बारिश और हवा एक साथ बहुत तेज़ हो जाती हैं, तो वो साइक्लोन, एक विशाल वायुमंडलीय चक्रवात जो समुद्र से बनता है और तटीय क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुँचाता है कहलाता है। साइक्लोन मोंथा इन्हीं में से एक था, जिसने 2025 के मानसून में भारत के पूर्वी तट और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों को तबाह कर दिया। ये तूफान सिर्फ बारिश नहीं लाते, बल्कि 100 किमी/घंटा से ज्यादा तेज़ हवाएँ, बाढ़ और समुद्री ज्वार भी लेकर आते हैं। इनका असर तब देखने को मिलता है जब घर उड़ जाते हैं, बिजली चली जाती है, और राहत की टीमें बचाव के लिए रवाना होती हैं।
साइक्लोन मोंथा जैसे तूफान मॉनसून, भारत में हर साल आने वाली वर्षा की ऋतु जो तूफानों को पलटने का माहौल बनाती है से घनिष्ठ तरीके से जुड़े होते हैं। जब समुद्र का पानी गर्म होता है, तो वहाँ से नमी उठती है और हवाओं के साथ घूमने लगती है। यही घूमने वाली हवाएँ बड़े तूफान बन जाती हैं। इनकी ताकत का पता चलता है जब बाढ़, जमीन पर जल का अत्यधिक जमाव जो नदियों या समुद्र के बाहर निकलने से होती है आती है। दरजिलिंग और बिहार जैसे क्षेत्रों में बाढ़ के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं, लोग बेघर हो जाते हैं, और अस्पतालों में आपातकालीन स्थिति बन जाती है। इसीलिए तूफानों के बाद राहत कार्य इतना ज़रूरी होता है।
भारत में तूफानों का प्रबंधन सिर्फ चेतावनी देने तक सीमित नहीं है। यहाँ लोगों को अलर्ट मिलता है, स्कूल बंद हो जाते हैं, और सरकारी टीमें खाना, पानी और दवाइयाँ लेकर आती हैं। जब दुड़िया आयरन ब्रिज ढह गया या बर्सात में 20 लोग मारे गए, तो यह साबित हुआ कि तूफान की ताकत को कम नहीं समझना चाहिए। इसीलिए हर साल जब भी कोई नया साइक्लोन बनता है, तो हम उसकी राहत और नुकसान की जानकारी तुरंत देते हैं।
इस पेज पर आपको साइक्लोन मोंथा और उसके जैसे अन्य तूफानों से जुड़ी सभी ताज़ा खबरें मिलेंगी — चाहे वो बाढ़ का नुकसान हो, राहत कार्य हो, या फिर भविष्य में ऐसे तूफानों को कैसे रोका जा सकता है। यहाँ कोई अनुमान नहीं, सिर्फ असली घटनाएँ और उनका असर।