श्रावण माह: धार्मिक महत्व, रिवाज और भारतीय संस्कृति में इसकी भूमिका
श्रावण माह एक श्रावण माह, हिंदू धर्म में साल का सातवाँ और सबसे पवित्र माह, जिसमें शिव भक्ति और व्रतों का विशेष ध्यान दिया जाता है है। यह माह भारतीय जीवन के अनेक पहलुओं को छूता है — धर्म, सामाजिक रीति, और प्रकृति के साथ संबंध। इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, रविवार को व्रत रखना, और शिव मंदिरों में भीड़ जमा होना सामान्य दृश्य है। यह केवल एक धार्मिक अवधि नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है जो लाखों लोगों को एक साथ लाता है।
श्रावण माह के साथ जुड़ा शिव भक्ति, शिव के प्रति अटूट भक्ति और उनकी आराधना का एक गहरा संस्कार, जो इस महीने में विशेष रूप से बढ़ जाता है है। लोग न केवल मंदिर जाते हैं, बल्कि घर पर शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिव के लिए जल, बेलपत्र, और धूप की चढ़ावट एक दिन का अभ्यास नहीं, बल्कि एक जीवन शैली बन जाती है। इसी माह के दौरान रविवार व्रत, श्रावण में रविवार को उपवास रखने की परंपरा, जो शिव की कृपा पाने का एक माध्यम माना जाता है भी बहुत लोकप्रिय है। कई लोग इस दिन एक दिन का उपवास रखते हैं और शिव जी के नाम का जाप करते हैं। यह व्रत बस भोजन का त्याग नहीं, बल्कि मन की शुद्धि का एक तरीका है।
श्रावण में मंदिर यात्रा, शिव मंदिरों की ओर बढ़ने की भारतीय परंपरा, जिसमें लोग दूर-दूर से आकर शिवलिंग की पूजा करते हैं का भी बहुत बड़ा महत्व है। जैसे-जैसे यह महीना शुरू होता है, देश भर के शिव मंदिरों में भीड़ बढ़ने लगती है। काशी, भैरवनाथ, ओंकारेश्वर, और ज्योतिर्लिंग मंदिरों में लाखों भक्त आते हैं। ये यात्राएँ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी होती हैं। यहाँ लोग अपने अनुभव साझा करते हैं, नए लोगों से मिलते हैं, और अपने जीवन की चिंताओं को छोड़ देते हैं।
श्रावण माह का असली अर्थ यही है — एक ऐसा समय जब लोग अपने अंदर के शोर को शांत करते हैं, अपने आसपास के लोगों के साथ जुड़ते हैं, और अपनी जिंदगी को एक नए अर्थ से भर देते हैं। यह माह किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। इसके रिवाज आज भी जीवित हैं, क्योंकि ये लोगों के दिलों में बसे हैं। नीचे आपको श्रावण माह से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर आधारित ताज़ा खबरें, लेख और विश्लेषण मिलेंगे — चाहे वो धार्मिक रिवाज हों, मंदिरों की यात्राएँ हों, या फिर इस महीने के दौरान घटित होने वाली सामाजिक घटनाएँ।