ट्रम्प टैरिफ: समझिए इसके प्रभाव और भारत के लिए क्या मतलब
डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के दौरान अमेरिका ने कई देशों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाए। ये टैरिफ मुख्य रूप से चीन के सामान पर लगाई गई थोक दरें थीं, लेकिन बाद में यूरोप, भारत और कुछ विकासशील देशों तक भी फैल गईं। अगर आप व्यापार या निवेश की बात कर रहे हैं, तो इन टैरिफों को समझना ज़रूरी है, क्योंकि ये सीधे आपके कीमतों, सप्लाई चेन और मुनाफ़े को छू सकते हैं।
ट्रम्प टैरिफ का मूल सिद्धांत
ट्रम्प ने टैरिफ को दो मुख्य कारणों से अपनाया: एक तो घरेलू उद्योगों को बचाना और दूसरा विदेशियों को वैकल्पिक व्यापार संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहन देना। उदाहरण के तौर पर, स्टील और एल्यूमीनियम पर 25% से 30% टैक्स लगाया गया, जिससे स्थानीय निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा में थोडा बरादा मिला। चीन से आयातित तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषी उत्पादों पर भी 10%‑25% की दर से अतिरिक्त शुल्क लगाया गया। यह नीति ‘वॉर ऑन ट्रेड’ के नाम से जानी गई और इसके पीछे विचार था कि अमेरिकी कंपनियों को अपना उत्पादन बढ़ाना चाहिए, न कि सस्ते आयात पर निर्भर रहना।
भारत में टैरिफ का प्रभाव
भारत के लिए ट्रम्प टैरिफ का असर दो तरफ़ा रहा। एक ओर, अमेरिकी टैरिफ से भारत को अमेरिका से निर्यात करने वाले कंपनियों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, खासकर कृषि उत्पादों और फैशन वस्तुओं में। दूसरी ओर, भारत ने इस अवसर को चीन के बाजार में दबाव कम करने के लिए इस्तेमाल किया और अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित किया। कई अमेरिकी फर्में अब भारत में उत्पादन शिफ्ट कर रही हैं, जिससे स्थानीय श्रमिकों को नई नौकरियां मिल रही हैं।
व्यापार डेटा से पता चलता है कि 2018‑2020 के बीच भारत‑अमेरिका दो‑तरफा व्यापार में 12% की बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा टेक्नोलॉजी और मेडिकल उपकरणों में आया, जहाँ भारत ने कम लागत वाले हिस्से बनाकर अमेरिकी बाजार में प्रवेश किया। लेकिन छोटे व्यापारियों को अभी भी टैरिफ के कारण कीमतों में उतार‑चढ़ाव देखना पड़ता है, इसलिए उन्हें लागत नियंत्रण और वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए।
यदि आप एक उद्यमी या निवेशक हैं, तो कुछ व्यवहारिक कदम मददगार हो सकते हैं:
- सप्लाई चेन को विविध बनाएं – सिर्फ एक देश पर निर्भर न रहें।
- स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा दें ताकि टैरिफ का बोझ कम हो सके।
- कस्टम निकायों से रिवर्स टैरिफ या छूट की संभावना पर चर्चा करें।
- अमेरिकी बाजार में प्रवेश के लिए वैकल्पिक बाइडर या सहयोगी कंपनियों से जुड़ें।
सार में, ट्रम्प टैरिफ ने वैश्विक व्यापार को हिला दिया, लेकिन इससे भारत को नई संभावनाएं भी मिलीं। समझदारी से कदम उठाने पर आप इस परिवर्तन को अपना फायदा बना सकते हैं। याद रखें, टैरिफ स्थायी नहीं होते; नीति बदलाव के साथ बाजार भी बदलता है, इसलिए अपडेटेड रहना और रणनीति को फिर से देखना जरूरी है।