विश्वविद्यालय हिंसा: पहचानें और तुरंत कदम उठाएँ
क्या आपका कैंपस सच में सुरक्षित है? विश्वविद्यालयों में हिंसा सिर्फ शारीरिक हमला नहीं होती—रैगिंग, यौन उत्पीड़न, साइबर धमकी और मानसिक दबाव भी हिंसा की ही शक्ल हैं। समझना जरूरी है ताकि आप समय पर बचाव और शिकायत कर सकें।
विश्वविद्यालय हिंसा किस तरह की होती है?
कैंपस पर मिलने वाली आम घटनाएँ ये हैं: रैगिंग या बुलिंग, यौन छेड़खानी/उत्पीड़न, शारीरिक झगड़े, जाति/धर्म-आधारित हिंसा, ऑनलाइन धमकियाँ और स्टॉकिंग। कई बार ये छोटे संकेतों से शुरू होती हैं—जो बाद में गंभीर घटनाओं में बदल सकती हैं।
छात्रों में अचानक पढ़ाई में गिरावट, डिप्रेशन, बर्नआउट या बार-बार बिना वजह छुट्टी लेने जैसी चीजें दिखें तो सतर्क हो जाएँ। चोट-घाव, डर से किसी से मिलना-जुलना टालना, और नोट्स या मैसेज में धमकी—ये सब लाल झंडे हैं।
अगर आप या कोई मित्र हिंसा का शिकार हुए तो क्या करें?
पहला कदम: सुरक्षित जगह पर जाएँ। अगर घटना अभी हुई है तो अपनी सुरक्षा पहले सुनिश्चित करें। साथी छात्र, रूममेट या किसी विश्वसनीय स्टाफ को तुरंत बताएं।
दूसरा कदम: सबूत जुटाएँ। चोट की तस्वीरें लें, धमकी के मैसेज/ईमेल का स्क्रीनशॉट रखें, गवाहों के नाम नोट कर लें। सबूत पुलिस शिकायत या कॉलेज की जांच में काम आते हैं।
तीसरा कदम: मेडिकल और कानूनी मदद। शारीरिक या यौन हमले की स्थिति में अस्पताल जाकर मेडिकल रिपोर्ट (Medico-legal) जरूर बनवाएँ। कानूनी कार्रवाई के लिए आप पुलिस में FIR दर्ज करवा सकते हैं। आपातकाल के लिए 112 और महिलाओं के लिए 181 नंबर उपयोगी हैं। बच्चों के मामले में 1098 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
चौथा कदम: संस्थागत शिकायत। ज्यादातर कॉलेजों/विश्वविद्यालयों में Anti-Ragging कमेटी, Internal Complaints Committee (ICC) और छात्र कल्याण अधिकारी होते हैं। इनसे लिखित शिकायत दें और फॉलो-अप मांगें। UGC/AICTE के निर्देशों के तहत संस्थान जांच के लिए बाध्य हैं।
पांचवां कदम: भावनात्मक सपोर्ट लें। घटना के बाद अकेले रहने से बचें। कैंपस काउंसलर, भरोसेमंद शिक्षक या परिवार से बात करें। यदि संस्थान काउंसलिंग नहीं देता तो लोकल NGOs और हेल्पलाइन्स मदद कर सकते हैं।
रोकथाम के सरल उपाय: रात में अकेले सुनसान रास्तों से न चलें, दोस्तों को अपना लोकेशन शेयर करें, जोखिम वाले इलाकों में CCTV और अच्छी रोशनी की मांग करें, और संस्थान पर नियमित सुरक्षा ऑडिट की अपील रखें।
व्यवस्थित शिकायत प्रणाली और पारदर्शी कार्रवाई ही कैंपस को सुरक्षित बनाती है। अगर आप घटना देखते हैं तो चुप न रहें—एक छोटी सी रिपोर्ट या गवाही किसी की ज़िंदगी बदल सकती है। याद रखें, मदद मांगना कमजोरी नहीं, हक मांगना है।