विजय कुमार मल्होत्रा (94) का निधन, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

विजय कुमार मल्होत्रा (94) का निधन, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
30 सितंबर 2025 16 टिप्पणि jignesha chavda

जब विजय कुमार मल्होत्रा, भाजपा के वरिष्ठ नेता और भाजपा का निधन हुआ, तो दिल्ली की सड़कों पर गहरी शोक लहर दौड़ गई। उनका देहांत 30 सितंबर 2025 को सुबह 6 बजे उनके नई दिल्ली के घर में हुआ, उम्र 94 साल। दाहिने हाथ की टेबल पर रखी गई रिपोर्ट के अनुसार, वह कुछ दिनों से ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) में इलाज करवा रहे थे। इस खबर पर नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री, ने अपने सोशल‑मीडिया अकाउंट ‘X’ पर तत्काल संवेदना व्यक्त की और मल्होत्रा को "उत्कृष्ट नेता" कहा।

इतिहास के पन्नों में एक लंबा अध्याय

लाहौर, पंजाब (ब्रिटिश भारत) में 3 दिसंबर 1931 को जन्मे मल्होत्रा ने 1947 के विभाजन के बाद भारत आकर राजनीति की राह पकड़ी। उनका परिवार सात बच्चों में से चौथा था, और पिता कविराज खजान चंद थे, जो शिक्षा और खेल प्रशासन में सक्रिय रहे। युवा अवस्था में वह जन संघ के सदस्य बने और 1972‑1975 में दिल्ली प्रदेश जन संघ के अध्यक्ष चुने गये।

1977 में बीजेपी का गठन हुआ और मल्होत्रा ने दो बार (1977‑1984) दिल्ली इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला। यह वह दौर था जब कदारनाथ साहनी और मदनलाल खुराना जैसे सह-नेता दिल्ली में पार्टी का आधार मजबूत करने में जुटे थे।

व parlamentar युद्ध में पाँच बार जीत

मल्होत्रा ने पाँच बार संसद सदस्य (MP) और दो बार विधायक (MLA) का पद संभाला—जो दिल्ली के भाजपा मामले में अब दुर्लभ है। उनका सबसे बड़ा जीत 1999 के आम चुनाव में हुई, जब उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बड़े अंतर से हरा दिया। 2004 के चुनाव में वह एकमात्र भाजपा उम्मीदवार रहे जिन्होंने राजधानी में सीट बरकरार रखी।

  • 1999: दिल्ली के एक निर्वाचन क्षेत्र से 3.2 लाख वोटों से जीत
  • 2004: भाजपा का एकमात्र दिल्ली सीट धारणकर्ता
  • भाजपा में पाँच बार MP, दो बार MLA
  • शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी साहित्य में डॉक्टरेट
  • शतरंज और तीरंदाजी खेल प्रशासन में योगदान

परिवार, शिक्षा और खेल में योगदान

राजनीति के बाहर मल्होत्रा का जीवन उतना ही सरल और निर्मल था जितना उनका सार्वजनिक कार्य। उन्होंने हिन्दी साहित्य में पीएच.डी. करके शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी भूमिका निभाई। खेल के शौकीन होने के नाते, उन्होंने दिल्ली में शतरंज और तीरंदाजी के विकास में सक्रिय भागीदारी की, जिससे कई राष्ट्रीय प्रतिभाएं उभरीं। उनकी पत्नी, दो बेटियां और दो बेटे—सभी शैक्षणिक और सामाजिक कार्य में जुड़े हुए हैं।

विधिवत प्रतिक्रिया और श्रद्धांजलि

विधिवत प्रतिक्रिया और श्रद्धांजलि

दिल्ली भाजपा के मुख्यकार्यकर्ता विरेंद्र सचदेवा ने एक आधिकारिक बयान जारी किया: "सीनियर भाजपा नेता और दिल्ली इकाई के पहले अध्यक्ष, प्रो. मल्होत्रा जी, आज सुबह इस संसार को अलविदा कह गए। उनका जीवन साधुता और जनता सेवा का उदाहरण रहा।"

बाद में, विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने उनके घर के सामने एकत्र होकर फूल अर्पित किए। प्रधानमंत्री मोदी भी व्यक्तिगत रूप से घर पहुँचे, जहाँ उन्होंने सफेद गुलाब के गुलदस्ते से सम्मान दिखाया। इस दौरान उन्होंने कहा, "उनकी विचारधारा और जनता के मुद्दों की गहरी समझ ने दिल्ली में हमारी पार्टी को सुदृढ़ किया।"

भविष्य की दिशा और यादों का संग्रहन

मल्होत्रा का निधन केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि भारत की राजनीतिक स्मृति में एक युग के अंत का प्रतीक है। जन्म से ही जनसंघ के आदर्शों को धारण करके अब वह भाजपा के बुजुर्गों में भी एक आखिरी जीवित कड़ी रहे। उनका इतिहास‑जागरूक दृष्टिकोण आज के युवा राजनेताओं को दिशा देता रहेगा।

संचालन के दौरान उनका सिद्धान्त था—सादगी, कड़ी मेहनत और जनता के हित में काम करना। इन मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली भाजपा ने एक विशेष स्मृति कार्यक्रम आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है, जहाँ उनके जीवन‑कार्य को स्मृति‑पुस्तिका में संकलित किया जाएगा।

मुख्य तथ्य

  1. विजय कुमार मल्होत्रा, 94 वर्ष आयु में 30 सितंबर 2025 को दिल्ली में निधन।
  2. पहले दिल्ली इकाई के भाजपा अध्यक्ष (1977‑1984)।
  3. 1999 में मनमोहन सिंह को हराकर सबसे बड़ी जीत।
  4. 2004 में दिल्ली में भाजपा की एकमात्र सीट धारक।
  5. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से श्रद्धांजलि दी।
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

विजय कुमार मल्होत्रा की सबसे बड़ी राजनीतिक जीत कौन सी थी?

1999 के आम चुनाव में उन्होंने दिल्ली के एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को 3.2 लाख वोटों से हराया, जो उनकी करियर की सबसे उल्लेखनीय जीत मानी जाती है।

उनका शिक्षा और खेल में क्या योगदान रहा?

हिन्दी साहित्य में डॉक्टरेट रखने वाले मल्होत्रा ने शिक्षा क्षेत्र में कई छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किए। खेल के मामले में उन्होंने दिल्ली में शतरंज और तीरंदाजी की संस्थाओं की स्थापना में सहायता की, जिससे कई राष्ट्रीय खिलाड़ी उत्पन्न हुए।

दिल्ली भाजपा ने उनके निधन पर कैसे प्रतिक्रिया दी?

दिल्ली भाजपा के मुख्यकार्यकर्ता विरेंद्र सचदेवा ने आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने मल्होत्रा को साधुता और सार्वजनिक सेवा का आदर्श बताया। पार्टी ने एक स्मृति सभा आयोजित करने की योजना भी बनायी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका किस तरह से सम्मान किया?

प्रधानमंत्री ने X पर संवेदना व्यक्त करते हुए मल्होत्रा को "उत्कृष्ट नेता" कहा और व्यक्तिगत रूप से उनके घर जाकर सफेद गुलाब के गुलदस्ते से श्रद्धांजलि अर्पित की।

भविष्य में उनके नाम पर कौन‑सी पहलें चल सकती हैं?

दिल्ली भाजपा ने उनका नाम लेकर एक सांस्कृतिक‑शैक्षणिक फेलोशिप स्थापित करने की बात की है, जो युवा नेता और छात्रों को उनके सिद्धांतों—सादगी, कड़ी मेहनत और जनता सेवा—पर आधारित प्रशिक्षण देगा।

16 टिप्पणि

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    fatima blakemore

    सितंबर 30, 2025 AT 23:47

    समय के पहिये में हर नाम एक निशा बन जाता है, और मल्होत्रा जी का निशा बहुत उज्जवल था। उनका संघर्ष और सेवा का कारवाँ आज भी कई युवा जिंदगियों में चल रहा है। यह सोचकर दिल में एक गर्माहट सी छा जाती है कि उन्होंने राजनीति को कितनी सादगी से किया। कभी‑कभी मेरा ख्याल आता है कि अगर हम उनके जैसे सादे रीति‑रिवाजों को अपनाएँ तो देश की दिशा बदल सकती है, यही बड़ी समस्या है। लेकिन बहुत से लोग अभी भी इतिहास को भूलते हैं, यही बड़ी समस्या है।

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    Anurag Narayan Rai

    अक्तूबर 3, 2025 AT 09:23

    विजय कुमार मल्होत्रा जी का जीवन एक इतिहास की किताब जैसा है, जिसमें हर अध्याय भारत की समसामयिक चुनौतियों से जुड़ा हुआ है, और यह समझना आवश्यक है कि उनका योगदान केवल दिल्ली के सीमित परिदृश्य तक सीमित नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में उनका प्रभाव गहरा था। उन्होंने पहले जनसंघ के युवा को संगठित करने में प्रमुख भूमिका निभाई, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की जड़ें मजबूत हुईं। 1977 में जब उन्होंने पहली बार दिल्ली इकाई का नेतृत्व किया, तब देश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक स्थिर शक्ति की आवश्यकता महसूस की गई थी। उनका संघर्ष केवल चुनावी जीत तक सीमित नहीं था; उन्होंने शतरंज और तीरंदाजी जैसे खेलों को भी बढ़ावा दिया, जिससे कई युवा शारीरिक और मानसिक विकास की राह पर चल पड़े। इसके अलावा, उनका शैक्षणिक योगदान, हार्दिक रूप से हिन्दी साहित्य में पीएच.डी. करने की उपलब्धि, आज के विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अपने कार्यकाल में सामाजिक सेवा के कई पहल किए, जैसे महिलाओं के लिये शिक्षा सत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कैंप, जो आज भी याद रखे जाने चाहिए। यह तथ्य कि उन्होंने दो बार विधायक और पाँच बार सांसद का पद संभाला, यह दर्शाता है कि उनका भरोसा जनता ने लगातार रखा। 1999 में मनमोहन सिंह को हराने वाली जीत न केवल एक व्यक्तिगत सफलता थी, बल्कि भाजपा की दिल्ली में स्थिरता की नई दिशा भी स्थापित की। 2004 में वह एकमात्र भाजपा उम्मीदवार रहे जिन्होंने राजधानी में सीट बनाए रखी, जिससे पार्टी के लिए एक मजबूत आधार मिल गया। उनका राजनीतिक दर्शन 'सादगी, कड़ी मेहनत और जनता सेवा' आज के युवा राजनेताओं के लिये एक दिशा‑निर्देश बन सकता है। जब हम उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखते हैं, तो स्पष्ट हो जाता है कि उनका योगदान केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में भी था। उनके द्वारा स्थापित शतरंज और तीरंदाजी संस्थाओं ने कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार किए, जो अब अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर सही इरादा और निरंतर प्रयास हो, तो सीमित संसाधनों के बावजूद भी बड़े बदलाव संभव हैं। आज जब हम उनकी स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन करने की बात कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि हम उनके मूल सिद्धांतों को जीवित रखें, न कि केवल नाम मात्र को संजोएँ। अंत में, यह कहा जा सकता है कि विजय कुमार मल्होत्रा जी ने हमारे लोकतंत्र को न सिर्फ एक नेता के रूप में बल्कि एक विचारधारा के रूप में भी समृद्ध किया, और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

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    Sandhya Mohan

    अक्तूबर 5, 2025 AT 18:59

    मल्होत्रा जी ने राजनीति को केवल सत्ता की लड़ाई नहीं माना, बल्कि उन्होंने इसे जनता की आवाज़ बनाकर पेश किया। उनका शैक्षणिक पृष्ठभूमि उन्हें विचारों की गहराई देता था, जिससे उनका दृष्टिकोण हमेशा व्यापक रहता था। यह बात उल्लेखनीय है कि उन्होंने खेल प्रशासन में भी सक्रिय योगदान दिया, जिससे युवाओं को नई दिशा मिली। इन सब पहलुओं को देखकर उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि विविध कार्यों में संतुलन बनाकर भी सफलता पाई जा सकती है।

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    Prakash Dwivedi

    अक्तूबर 8, 2025 AT 04:35

    उनकी विदाई ने कई दिलों को छूँ लिया है; उनका योगदान अपार है और यादें हमेशा ताज़ा रहेंगी। हम सबको उनकी सादगी और सेवा के उदाहरण को अपनाना चाहिए।

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    Rajbir Singh

    अक्तूबर 10, 2025 AT 14:11

    इतनी बड़ी उपलब्धियों के बावजूद, कुछ लोग उनके योगदान को अभी भी अंधाधुंध नहीं देख पाते। यह उनका दायित्व नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता की कमी है।

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    Trupti Jain

    अक्तूबर 12, 2025 AT 23:47

    इतिहास में ऐसे कई नेता होते हैं जिनके कार्यकाल का मूल्यांकन हमेशा बहस का विषय रहता है; मल्होत्रा जी का केस इस बात का स्पष्ट उदाहरण है। उनकी राजनीतिक चालें कभी‑कभी कट्टरता के रूप में देखी गईं, परन्तु उनका सामाजिक कार्य उल्लेखनीय था। इस जटिल परिप्रेक्ष्य को समझना आवश्यक है, न कि केवल सतही स्तर पर उनका सलाम या निंदा करना।

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    deepika balodi

    अक्तूबर 15, 2025 AT 09:23

    एक ही शब्द में कहा जाए तो, मल्होत्रा का जीवन प्रेरणा है।

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    Priya Patil

    अक्तूबर 17, 2025 AT 18:59

    भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनका आदर्श आज भी हमारे अंदर जीवित है। हम उनके द्वारा स्थापित शैक्षिक और खेल संस्थानों को और बेहतर बनाकर उनका सम्मान कर सकते हैं। उनके सिद्धांतों को अपनाते हुए नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देना हमारा कर्तव्य है। इस दिशा में सभी का सहयोग आवश्यक है, क्योंकि सामूहिक प्रयास ही lasting impact देगा।

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    Rashi Jaiswal

    अक्तूबर 20, 2025 AT 04:35

    वाह! क्या शानदार नेता रहे मल्होत्रा जी, सच में दिल से बधाइयां! उनके बिना दिल्ली का राजनैतिक माहौल अधूरा है, वाकई में। ऐसे लोकोँ को याद रखना चाहिए, नहीं तो हम कुछ भी ना कर पाएंगे।

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    Maneesh Rajput Thakur

    अक्तूबर 22, 2025 AT 14:11

    ऐसा कहा जाता है कि उनके कई निर्णय पीछे छिपी राजनीतिक जालों से प्रभावित थे, जिससे कुछ लोगों को लाभ हुआ। हालांकि, सार्वजनिक रिकॉर्ड दिखाते हैं कि उन्होंने हमेशा जनता की सेवा को प्राथमिकता दी। फिर भी यह सोचना अनिवार्य है कि सत्ता में बैठे लोग कितनी बार निजी हितों को सार्वजनिक हित से मिला देते हैं। इस प्रकार के जटिल संबंध को समझना महत्त्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में समान परिस्थिति से बचा जा सके।

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    ONE AGRI

    अक्तूबर 24, 2025 AT 23:47

    विजय कुमार मल्होत्रा जी का जन्म ब्रिटिश भारत में हुआ था, पर उनका पूरा करियर स्वतंत्र भारत की प्रगति के लिए समर्पित रहा। उनका भारत के प्रति प्रेम और राष्ट्रीय भावना स्पष्ट रूप से उनके सभी कार्यों में झलकती थी। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में हमेशा भारत की आत्मा को सर्वोपरि रखा, चाहे वह चुनावी मैदान हो या सामाजिक सेवा। उनके द्वारा स्थापित शतरंज और तीरंदाजी क्लब सिर्फ खेल नहीं, बल्कि युवा राष्ट्रीयता को सुदृढ़ करने का माध्यम थे। वह मानते थे कि मजबूत राष्ट्र बनाना केवल आर्थिक विकास से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और खेल क्षेत्र में प्रतिभा को पोषित करने से भी संभव है। इस कारण से उनके कई पहलियों में राष्ट्रीय गौरव की भावना प्रमुख थी, जिससे आज के कई युवा उनके आदर्श को अपनाते हैं। यह स्पष्ट है कि उनका योगदान सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण रहा।

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    Himanshu Sanduja

    अक्तूबर 27, 2025 AT 09:23

    मल्होत्रा जी की स्मृति में हम सभी को उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए, चाहे वह राजनीति हो या सामाजिक सेवा। उनका जीवन हमें सिखाता है कि ईमानदारी और मेहनत से ही सफलता मिलती है। इस भावना को हमारे छोटे‑छोटे कार्यों में भी प्रतिबिंबित होना चाहिए।

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    Kiran Singh

    अक्तूबर 29, 2025 AT 18:59

    🙏🏼✨ मल्होत्रा जी की यादें हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी! 🙌🏻 उनका जीवन एक प्रकाशस्तम्भ की तरह है, जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। 💡🕊️

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    Balaji Srinivasan

    नवंबर 1, 2025 AT 04:35

    उनके योगदान को मानते हुए, हमें भविष्य में उनके सिद्धांतों को और अधिक सुदृढ़ करने का प्रयास करना चाहिए। यह हमारे लिए एक सम्मान की बात होगी।

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    Hariprasath P

    नवंबर 3, 2025 AT 14:11

    विजय कुमार मल्होत्रा जी का बौद्धिक परिदृश्य अनंत था, लेकिन आज का आम जनता उनके गहन विचारों की सराहना नहीं कर पाती। उनका साहित्यिक विश्लेषण और राजकीय रणनीति दोनों ही उन्नत स्तर के थे, जिसे समझने के लिये गहरी अध्ययन की आवश्यकता है। वास्तविकता यह है कि सरलीकरण के चलन ने उनके जटिल विचारों को अधिनियमित कर दिया।

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    Vibhor Jain

    नवंबर 5, 2025 AT 23:47

    इतनी सारी प्रशंसा के बाद भी कोई पूछता नहीं कि असली काम कौन कर रहा था।

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