कांग्रेस का नया कदम: डॉ. मनमोहन सिंह फेलो प्रोग्राम से राजनीति में आएँ पेशेवर
डॉ. मनमोहन सिंह फेलो प्रोग्राम: उद्देश्य और रूपरेखा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए डॉ. मनमोहन सिंह फेलो प्रोग्राम की घोषणा की। इस पहल का मुख्य लक्ष्य अनुभवी पेशेवरों को राजनीति के मंच पर लाना है, ताकि नीति‑निर्माण में तकनीकी और प्रबंधकीय विशेषज्ञता का समावेश हो सके। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत को सम्मान देते हुए, यह कार्यक्रम "सैक्युलर प्रोग्रेसिव" राजनीति की एक नई लकीर रेखा बनाना चाहता है।
परम्परागत राजनीति‑प्रवेश के मार्गों से अलग, इस प्रोग्राम में न्यूनतम 10 साल का व्यावसायिक अनुभव आवश्यक है। वार्षिक 50 फेलो का लक्ष्य रखा गया है, जिन्हें सख्त चयन प्रक्रिया के बाद चुना जाता है। इन फेलो को केवल इंटर्नशिप नहीं, बल्कि पार्टी की विभिन्न कार्यवाहियों में वास्तविक जिम्मेदारी दी जाएगी।
2025 के बैच की चयन प्रक्रिया समाप्त होकर 50 उम्मीदवारों का चयन हुआ। चयन में विविधता को खास महत्व दिया गया, जिससे पार्टी के भीतर सामाजिक संतुलन को बढ़ावा मिले।
- कुल 50 फेलो, जिनमें 28 (56%) पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि हैं।
- लिंग अनुपात: 34 पुरुष, 16 महिलाएं।
- आयु वर्ग: 26 फेलो (30‑39 वर्ष), 20 फेलो (40‑49 वर्ष), 4 फेलो (50 वर्ष से अधिक)।
यह आंकड़े यह दिखाते हैं कि कांग्रेस केवल जेंडर या उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि सामाजिक वर्ग की व्यापक भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहती है।
फेलो की भूमिका, प्रशिक्षण और दीर्घकालिक योजना
प्रोग्राम के दौरान फेलो को पार्टी के कई प्रमुख विभागों में रोटेशनल कार्य सौंपा जाएगा। इनमें प्रमुख रूप से ट्रेजरी, कम्यूनिकेशन, सोशल मीडिया, डेटा मैनेजमेंट और ग्रासरूट स्तर के प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इसके अलावा, कांग्रेस पार्लियामेंटरी ऑफिस, सांसदों, राज्य कांग्रेस प्रमुखों और कांग्रेस अध्यक्ष एवं लीडर ऑफ़ ऑपोज़िशन के कार्यालयों में भी काम करने का अवसर मिलेगा।
मुख्य मेंटरों की भूमिका भी इस पहल में अहम है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, जिनके पास पेशेवर पृष्ठभूमि है, वे फेलो को रणनीतिक दिशा प्रदान करेंगे। कुछ फेलो, जिनका यूनाइटेड नेशन्स में काम करने का अनुभव है, उन्हें विशेष रूप से पूर्व बाहरी मामलों के मंत्री सलमान खुरशिद के साथ काम करने के लिए सौंपा जाएगा, जो पार्टी के नवीनीकृत विदेश मंत्रि विभाग के चेयरमैन हैं।
प्रशिक्षण अवधि सिर्फ कुछ हफ्तों तक सीमित नहीं है; फेलो को कई महीने या एक साल तक की दीर्घकालिक परियोजनाओं पर काम करने का निर्देश दिया गया है। इस दौरान उन्हें कास्ट सेंसेस, इलेक्टोरल इंटेग्रिटी जैसे राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर वास्तविक समाधान तैयार करने के लिये प्रयोग करने का मौका मिलेगा। यह न केवल फेलो को व्यावहारिक अनुभव देगा, बल्कि पार्टी को भी नई तकनीकी-आधारित रणनीति से सशक्त करेगा।
कार्यक्रम का एक और महत्वपूर्ण पहलू ग्रासरूट सक्रियता है। प्रारम्भिक प्रशिक्षण के बाद फेलो को अपने-अपने क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों और चुनावी अभियानों में भाग लेना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि उन्नत कौशल न केवल पार्टी के आंतरिक कार्यों में बल्कि जनता के सामने भी लागू हो।
कांग्रेस की इस पहल को कई विश्लेषकों ने राजनीतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक अहम कदम बताया है। भारत के तेजी से बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में, पेशेवर विशेषज्ञता की घटती भागीदारी को भरने के लिये ऐसी संरचनात्मक उपाय आवश्यक हैं। यदि फेलो प्रोग्राम सफल रहता है, तो भविष्य में कांग्रेस का नेतृत्व अधिक तकनीकी-प्रवीण, विविधतापूर्ण और त्वरित निर्णय‑लेने वाला बनने की संभावना है।
आगे चलकर कांग्रेस इस मॉडल को और भी विस्तारित कर सकती है, जैसे कि राज्य‑स्तर के फेलो प्रोग्राम, महिला‑केन्द्रित प्रोग्राम या छोटे‑उद्यमियों के लिए विशेष ट्रैक। इस प्रकार, डॉ. मनमोहन सिंह फेलो प्रोग्राम न केवल वर्तमान में, बल्कि भविष्य में भी भारतीय राजनीति में प्रोफेशनलिज़्म लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है।
manoj jadhav
सितंबर 27, 2025 AT 04:38वाह! कांग्रेस का यह नया फेलो प्रोग्राम वाकई में एक बड़ा कदम है, राजनीति में पेशेवरों को लाने की कोशिश की जा रही है, बहुत अच्छी बात है, उम्मीद है इससे नीति‑निर्माण में नई ऊर्जा आएगी!!!
saurav kumar
अक्तूबर 4, 2025 AT 21:15पेशेवरों की भागीदारी से विचारों में विविधता आएगी, यह सही दिशा में कदम है।
Ashish Kumar
अक्तूबर 12, 2025 AT 13:52डॉ. मनमोहन सिंह फेलो प्रोग्राम का उद्घाटन वास्तव में एक ऐतिहासिक मोड़ प्रतीत होता है। यह पहल भारतीय राजनीति के पारम्परिक ढांचे को चुनौती देती है। इस कार्यक्रम के तहत चयनित विशेषज्ञों को न केवल सैद्धान्तिक ज्ञान बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान किया जाएगा। कई लोगों ने इसे एक साहसी प्रयोग के रूप में सराहा है। फिर भी, कुछ आलोचकों ने इस कदम को आदर्शवादी कहा है, यह कहते हुए कि राजनीति में तकनीकी विशेषज्ञता एकत्रित करना कठिन कार्य है। परंतु, यह नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि पिछले दशकों में नीति‑निर्माण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी रही है। फेलो कार्यक्रम में विविधता का विशेष ध्यान रखा गया है, जो सामाजिक संतुलन को बढ़ावा देगा। उम्मीदवारों में से 56% पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि शामिल हैं, यह एक प्रशंसनीय प्रयास है। लिंग अनुपात के अनुसार, 34 पुरुष और 16 महिलाएं चयनित हुईं, यह भी महिला सहभागिता को दर्शाता है। आयु वर्ग में 30‑39 वर्ष के 26 फेलो, 40‑49 वर्ष के 20 फेलो, और 50 वर्ष से अधिक के 4 फेलो शामिल हैं। यह आँकड़े से पता चलता है कि पार्टी विभिन्न आयु वर्गों को लक्षित कर रही है। फेलो को विभिन्न विभागों में रोटेशनल कार्य सौंपा जाएगा, जिससे उन्हें व्यापक अनुभव प्राप्त होगा। इस दौरान उन्हें कास्ट सेंसेस, इलेक्टोरल इंटेग्रिटी जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर समाधान तैयार करने का अवसर मिलेगा। यह न केवल फेलो को व्यावहारिक ज्ञान देगा, बल्कि पार्टी को भी नई तकनीकी‑आधारित रणनीति से सशक्त करेगा। ग्रासरूट सक्रियता के माध्यम से फेलो अपने क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों में योगदान देंगे। यदि यह पहल सफल रहती है, तो भविष्य में कांग्रेस का नेतृत्व अधिक तकनीकी‑प्रवीण और त्वरित निर्णय‑लेने वाला बन सकता है।
Pinki Bhatia
अक्तूबर 20, 2025 AT 06:29यह पहल सामाजिक समावेशीता को बढ़ावा देती है।
NARESH KUMAR
अक्तूबर 27, 2025 AT 22:06बिलकुल सही कहा आपने! 🙌 यह कदम हमारे लोकतंत्र को और समृद्ध बना सकता है। 😊
Purna Chandra
नवंबर 4, 2025 AT 14:42सच कहूँ तो, कहीं यह फेलो प्रोग्राम एक बड़े वैश्विक एजेंडा का हिस्सा तो नहीं? पार्टी के भीतर गुप्त लाबों की चर्चा सुनाई देती है, जो शायद विदेशी प्रभावों को अंदरूनी नीति में घुसेरे।
Mohamed Rafi Mohamed Ansari
नवंबर 12, 2025 AT 07:19संदेह की जगह तथ्यों पर गौर करना बेहतर होगा। वर्तमान में फेलो चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है, और कोई भी बाहरी हस्तक्षेप सिद्ध नहीं हुआ है।
अभिषेख भदौरिया
नवंबर 19, 2025 AT 23:56राजनीति को प्रौद्योगिकी के साथ समन्वित करना केवल एक रणनीतिक विकल्प नहीं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य हेतु एक नैतिक दायित्व है; इस प्रकार के कार्यक्रम सामाजिक प्रगति की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।
Nathan Ryu
नवंबर 27, 2025 AT 16:33नैतिकता के इस प्रवाह को समझना आसान नहीं, परंतु जब हम पेशेवरों को राजनीति में लाते हैं तो यह हमारे मूल्यों की परीक्षा बन जाता है; हमें यह देखना चाहिए कि क्या ये फेलो जनता की सेवा में सच्चे दिल से कार्य करेंगे।
Atul Zalavadiya
दिसंबर 5, 2025 AT 09:10ऐसी पहलों की सफलतापूर्ण कार्यान्वयना के लिए स्पष्ट KPI निर्धारित करना आवश्यक है; इसलिए सामरिक रूप से फेलो की प्रगति को मापने हेतु नियमित मूल्यांकन सत्र आयोजित किए जाने चाहिए।
Amol Rane
दिसंबर 13, 2025 AT 01:47परिणामों की चर्चा में अक्सर गुप्त कारणों को नज़रअंदाज़ किया जाता है; शायद हमें इस फेलो प्रोग्राम को एक दार्शनिक प्रयोग के रूप में देखना चाहिए, जहाँ प्रत्यक्ष प्रभाव के अलावा अप्रत्यक्ष विचारधारात्मक परिवर्तन भी महत्व रखते हैं।
Venkatesh nayak
दिसंबर 20, 2025 AT 18:24यह दृष्टिकोण दिलचस्प है, परन्तु पहल की स्पष्ट दिशाएँ और व्यावहारिक परिणाम ही अंतिम सत्य साबित होंगे। 🙂