शाकिब अल हसन पर हत्या का आरोप, बांग्लादेश के अस्थिरता के दौरान 146 अन्य के साथ एफआईआर में शामिल

बांग्लादेश के पूर्व कप्तान और प्रसिद्ध क्रिकेटर शाकिब अल हसन का नाम एक हत्या मामले में सामने आया है। यह मामला बांग्लादेश में अगस्त में हुए विरोध प्रदर्शन से जुड़ा है, जिसमें एक वस्त्र कर्मचारी मोहम्मद रुबेल की गोली लगने से मौत हो गई थी। यह घटना 5 अगस्त को ढाका के आदाबोर क्षेत्र में हुई थी। रुबेल के पिता रफीकुल इस्लाम ने इस मामले को लेकर आदाबोर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई है। एफआईआर में शाकिब का नाम 27वें या 28वें स्थान पर दर्ज किया गया है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि शाकिब अल हसन उस समय बांग्लादेश में नहीं थे। वह 26 जुलाई से 9 अगस्त तक कनाडा में ग्लोबल टी20 कनाडा लीग में बंगला टाइगर्स मिसिसॉगा टीम का नेतृत्व कर रहे थे। इससे पहले, वह जुलाई के मध्य तक यूएसए में मेजर लीग क्रिकेट में भाग ले रहे थे।
इन विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश में बहुत बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल हुआ, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। 16 जुलाई से 4 अगस्त तक चली इस अशांति के दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के अनुसार लगभग 400 लोगों की जानें चली गईं थीं।
मामले के बयान में आरोप लगाया गया है कि 5 अगस्त को कुछ आरोपियों ने विरोध कर रहे छात्रों पर गोली चलाई थी, जिसमें रुबेल भी शामिल था। आवामी लीग सरकार के पतन के बाद, बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड में भी बदलाव किए गए। पूर्व राष्ट्रीय कप्तान फरूक अहमद को बोर्ड का नया अध्यक्ष बनाया गया।
शाकिब, जो वर्तमान में पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी टेस्ट में खेल रहे हैं, मगुरा निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य भी हैं और उन्होंने बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व करते हुए 67 टेस्ट, 247 वनडे और 129 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। उन्हें विश्व क्रिकेट के शीर्ष ऑलराउंडरों में से एक माना जाता है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 14,500 से अधिक रनों और 703 विकेटों के साथ एक असाधारण करियर बनाया है।
शाकिब के खिलाफ एफआईआर का मामला उठने के बाद उनके समर्थकों में चिंता की लहर दौड़ गई है। क्रिकेट प्रेमियों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह केवल एक राजनीतिक चाल है या सचमुच में शाकिब का इस घटना में कोई संबंध है। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के नए अध्यक्ष फरूक अहमद ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि वह इस मामले की पूरी तरह से जांच करवाना चाहते हैं।
इस घटना ने बांग्लादेश में क्रिकेट और राजनीति के बीच समीकरण को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। शाकिब, जो अपने धीमे बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में माहिर हैं, ने अपने अन्तर्राष्ट्रीय करियर के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की हैं। परंतु क्या यह मामला उनके करियर पर असर डालेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
बांग्लादेश की जनता और खेल प्रेमियों की नजरें अब इस मामले की जांच और शाकिब के भविष्य पर टिकी हैं।
yatharth chandrakar
अगस्त 24, 2024 AT 12:33भाई लोग, शाकिब की क्यों फंसाई? सच्चाई ये है कि वह उस दिन कनाडा में था, ग्लोबल टी20 लीग खेल रहा था. इसलिए उसके पास उस स्थल पर होने का कोई मौका नहीं था. एफआईआर में उसके नाम को डालना शायद राजनीतिक दबाव का निशान है. अगर सच्चाई चाहिए तो कोर्ट को पूरी जांच करनी चाहिए. बांग्लादेशी राजनीति और क्रिकेट के बीच का खेल बहुत पुराना है, लेकिन अकल से खेलना जरूरी है.
Vrushali Prabhu
अगस्त 24, 2024 AT 12:43बिलकुल सहमत हूँ yatharth bhai, शाकिब तो बाहर ही था लेकिन लोग फिर भी usko पकड़ना चाहते हैं. हर बार ऐसे मामले में मीडिया भी थोडा overreact कर देता है. चलो देखेंगे सही‑सही क्या निकलता है...
parlan caem
अगस्त 24, 2024 AT 12:53ऐसे आरोप बेवकूफी होते हैं.
Mayur Karanjkar
अगस्त 24, 2024 AT 13:03विरोध प्रदर्शन के दौरान state‑level सुरक्षा प्रोटोकॉल में कई lacunas रह गए, जिससे अनिश्चितता बढ़ी। कोर्ट‑कलीरिक प्रणाली को इस क्षण में robust होना चाहिए।
Sara Khan M
अगस्त 24, 2024 AT 13:13देखते ही रह गए 😐 पर कोई बात नहीं, देखेंगे आगे क्या होता है 🙂
shubham ingale
अगस्त 24, 2024 AT 13:23दोस्तों शाकिब को support करना चाहिए 🚀 हर कोई जल्द‑ज्यादा सच्चाई देखेगा 😃
Ajay Ram
अगस्त 24, 2024 AT 13:33शाकिब अल हसन का क्रिकेट में योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपने करियर में कई यादगार पलों को जिंदा किया है, जैसे 200 शतक, 5‑विकेट hauls, और कई मैच‑winning performances। बांग्लादेश में उनका नाम सिर्फ एक खिलाड़ी से कहीं अधिक है; वह राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। इसलिए जब कोई ऐसे गंभीर आरोप लगाता है, तो जनता स्वाभाविक रूप से आश्चर्यचकित होती है। लेकिन इतिहास में कई बार देखा गया है कि राजनीतिक विवादों में खिलाड़ी को scapegoat बनाया जाता है। 5 अगस्त की घटना के समय शाकिब वास्तव में विदेश में था, जैसा कि लीग की शेड्यूल से स्पष्ट है। यह तथ्य कई अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों ने भी पुष्टि किया है। फिर भी एफआईआर में उनका नाम शामिल होना यह दर्शाता है कि कुछ शक्तियों को इसका political leverage चाहिए। बांग्लादेश में अस्थिरता के दौरान सत्ता परिवर्तन अक्सर खेल को भी प्रभावित करता है। इस संदर्भ में, शेख हसीना का इस्तीफा, नुएस के नेतृत्व में interim सरकार, और क्रिकेट बोर्ड में बदलाव सभी जुड़े हुए लगते हैं। खिलाड़ी के जीवन में ऐसी धुंधली परिस्थितियों का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर हो सकता है। इसलिए हमें शाकिब को सिर्फ एक आरोप के आधार पर दंडित नहीं करना चाहिए। न्यायिक प्रक्रिया को पूरी स्वतंत्रता से चलने देना चाहिए, ताकि तथ्य स्पष्ट हों। यदि सच्चाई में कोई दोष नहीं है, तो यह मामला फिर से सभी के सामने सफ़ाई के रूप में आएगा। अंत में, सार्वजनिक राय को भी संतुलित रखना ज़रूरी है, ताकि खेल और राजनीति के बीच संतुलन बना रहे।
Dr Nimit Shah
अगस्त 24, 2024 AT 13:43बहुत कुछ कह दिया तुमने, पर सच तो यही है कि राजनीति हमेशा खेल को अपने हाथ में ले लेती है। शाकिब जैसा सितारा भी इस दांव में फँस जाता है, और हमें उसे सहारा देना चाहिए।
Ketan Shah
अगस्त 24, 2024 AT 13:53आपकी बात सही है, पर क्या यह नहीं कि इस तरह के आरोपों से सार्वजनिक विश्वास भी टूटता है? जांच के दौरान सभी पक्षों की पारदर्शिता जरूरी है, ताकि जनता को भरोसा रहे।
Aryan Pawar
अगस्त 24, 2024 AT 14:03समय से पहले भाग्य नहीं बदलता लेकिन धीरज रखो हम सब मिलके सच्चाई जानेंगे