शारदा सिन्हा की चिकित्सा स्थिति गम्भीर: एआईआईएमएस में भर्ती, उनके स्वास्थ्य की कामना

शारदा सिन्हा की चिकित्सा स्थिति गम्भीर: एआईआईएमएस में भर्ती, उनके स्वास्थ्य की कामना नव॰, 5 2024

भारत की अमूल्य लोक संपदा: शारदा सिन्हा की मधुर आवाज़

लोक और शास्त्रीय गायिकी की प्रतिमूर्ति शारदा सिन्हा भारतीय संगीत की एक उत्कृष्ट धरोहर रही हैं। बिहार की मिट्टी में जन्मी शारदा सिन्हा को 'बिहार कोकिला' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी लोकप्रियता का एक बड़ा हिस्सा उनके छठ पूजा के पारंपरिक गीतों पर आधारित है, जिनमें उनकी अद्वितीय आवाज़ की जादूगरिता की झलक मिलती है। वर्तमान में वह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं और दिल्ली के एआईआईएमएस अस्पताल में भर्ती हैं।

संगीत की साधना: शारदा सिन्हा की संघर्षशील यात्रा

शारदा जी का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को बिहार में हुआ था। अपने संगीत के सफर की शुरुआत में ही उन्होंने पारंपरिक गीतों को अपनाया और उन्हें आधुनिक रंग देने की कोशिश की। ठेठ देहाती माहौल की पहचान, छठ पर्व, पे उनका योगदान अतुलनीय है। उनकी आवाज में 'केलवा के पात पर उगेलन सूरज' और 'ओ दिनानाथ' जैसे गीतों ने समारोहों में चार चांद लगा दिए। इनके अलावा, उनकी विवाह गीतों का भी खास महत्व है क्योंकि ये शादियों की धूमधाम में एक अलग तरह की धुन जोड़ते हैं।

छठ के गीतों में दिल की धड़कन

शारदा सिन्हा के छठ पर्व के गीत हर साल इस महोत्सव के अवसर पर घर-घर गूंजते हैं। उनकी गायकी ने छठ पर्व को संगीत के माध्यम से जीवंत बना दिया है, जो उन्हें एक विशेष सम्मान दिलाता है। 'बहंगी लचकत जाए', 'रोजे रोजे उगेला', एवं 'सुपवा का जोड़े' जैस छठ के गीत बिहार के गांवों में मानों नयी जीवंतता का संचार कर देते हैं। उनकी अनमोल धुनें आज भी लोगों के रोजमर्रा की गतिविधियों का हिस्सा बन जाती हैं, खासकर छठ के उत्सव में।

बॉलीवुड में अद्वितीय असर

बॉलीवुड में भी शारदा सिन्हा की खास जगह थी। उन्होंने 'मैने प्यार किया' के 'कहे तो से सजना' और 'हुम आपके हैं कौन' के 'बाबुल जो तुमने सिखाया' जैसे गानों में अपनी आवाज़ दी। इसकी वजह से लोग उनकी आवाज़ के दीवाने बन गए और बॉलीवुड ने उनकी अतुलनीय प्रतिभा को अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी आवाज का आकर्षण 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के 'तार बिजली' गीत में साफ सुनाई देता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा उनकी कला के लिए नहीं बल्कि उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारियों के लिए भी सम्मानजनक है। उन्होंने भारतीय संस्कृति और लोक गीतों की परंपरा को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। उनका काम, उनके गीत आज भी लाखों खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं और आगे आ रहे कलाकारों के लिए एक मार्गदर्शक स्तंभ की तरह हैं।

कई लोग उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और आशा कर रहे हैं कि वह शीघ्र स्वस्थ होकर फिर से संगीत के मंच पर अपनी छाप छोड़ेंगी। उनके योगदान को देखते हुए, यह प्रार्थना वाकई में दिल से की जा रही है।