SSC CGL 2025 में एक सिफ़्ट परीक्षा, कोलकाता में लैपटॉप‑आधारित टेस्ट, 28 लाख उम्मीदवारों के लिए 100 किमी केन्द्र आवंटन

जब S. Gopalakrishnan, चैयरमन of Staff Selection Commission ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की, तो लगभग 28 लाख उम्मीदवारों के लिए SSC CGL 2025 का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। यह घोषणा SSC CGL 2025 परीक्षाKolkata के बारे में थी, जहाँ पहली बार लैपटॉप‑आधारित परीक्षण लागू हो रहा है और सभी 129 शहरों में एक ही शिफ्ट में परीक्षा होगी।
पहले की समस्याएँ और उनकी जड़ों का सारांश
पिछले कई वर्षों में उम्मीदवारों ने बहु‑शिफ्ट वाली परीक्षाओं के कारण असमान कठिनाई स्तर, लंबी दूरी तक यात्रा और तकनीकी गड़बड़ी की शिकायतें की थीं। 2023‑24 में कुछ केंद्रों में सिस्टम क्रैश, एधर‑आधारित पहचान में देरी और कभी‑कभी 500 किमी से अधिक की यात्रा बाधा बन गई थी। इन समस्याओं ने परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और कई बार परिणाम में देरी हुई।
एक‑सिफ़्ट परीक्षा मॉडल की मुख्य बातें
नया मॉडल अब सभी 129 केंद्रों में एक ही शिफ्ट (सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक) लागू करता है। इससे विभिन्न शिफ्टों के बीच मार्क स्केलिंग की जरूरत खत्म हो गई, यानी "नॉर्मलाइज़ेशन" अब नहीं होगा। यह बदलाव 12 September 2025 को लागू होगा, जैसा कि SSC के आधिकारिक नोटिफिकेशन में बताया गया है।
साथ ही, टियर‑I को 60 मिनट में 100 मल्टीपल‑चॉइस प्रश्नों तक सीमित किया गया है, जिनमें General Intelligence, General Awareness, Quantitative Aptitude और English Comprehension बराबर‑बराबर 25‑25 प्रश्न होंगे। प्रत्येक गलत उत्तर पर 0.5 अंक की नकारात्मक पेनल्टी लागू रहेगी। टियर‑I केवल क्वालीफाई करने के लिये है, इसका स्कोर फाइनल मेरिट में नहीं गिना जायेगा।
कोलकाता में लैपटॉप‑आधारित परीक्षण का परिचय
कॉलोकाता के चयनित केंद्रों में पहली बार लैपटॉप‑आधारित कंप्यूटर‑बेस्ड टेस्ट (CBT) शुरू किया जा रहा है। यह कदम तकनीकी सप्लायर्स के विविधीकरण के बाद आया, जहाँ अब चार अलग‑अलग एजेंसियों को क्वेश्चन पेपर सेट, हार्डवेयर सप्लाई और एधर वेरिफिकेशन का काम सौंपा गया है। लैपटॉप‑आधारित सिस्टम का लाभ तेज़ बूट‑अप, बेहतर स्क्रीन रेज़ोल्यूशन और आसान स्क्रीन‑शेयरिंग है, जिससे उम्मीदवारों के लिये टेस्ट इंटरफ़ेस अधिक सहज हो जाता है।
परम्परागत डेस्क‑टॉप सिस्टम भी 129 शहरों में जारी रहेंगे, इसलिए उम्मीदवारों को विकल्प मिलेगा। इस बदलाव को "तकनीकी नवाचार" का एक हिस्सा बताया गया है, जिससे पिछले वर्षों की हार्डवेयर‑फेइलर्स को न्यूनतम किया जा सके।
उम्मीदवारों के लिए 100 किमी केन्द्र आवंटन नीति
SSC ने अब सभी उम्मीदवारों को उनके पंजीकृत पते के 100 किलोमीटर के भीतर एक परीक्षा केंद्र आवंटित करने का वादा किया है। इससे राज्य‑सीमा पार यात्रा, जो कभी‑कभी 500 किमी तक का सफ़र बन जाता था, अब समाप्त होगी। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में रहने वाले एक उम्मीदवार को अब लखनऊ या जयपुर जितना दूर नहीं जाना पड़ेगा; उसे दिल्ली या उसके निकटतम शहर में ही केंद्र मिलेगा। यह नीति विशेष रूप से ग्रामीण और दूर‑दराज़ क्षेत्रों के aspirants के लिये जीवन‑परिवर्तनकारी साबित होगी।
टेस्ट पैटर्न और स्कोरिंग में प्रमुख बदलाव
- टियर‑II में अब दो पेपर होंगे: Paper‑I (सभी के लिये) और Paper‑II (जुनियर स्टैटिस्टिकल ऑफिसर (JSO) के लिये)।
- Paper‑I में अब Data Entry Speed Test (DEST) शामिल किया गया है, जो कंप्यूटर ज्ञान को मापता है।
- General Awareness का वेटेज बढ़ा दिया गया है, जिससे कट‑ऑफ़ पर असर पड़ेगा।
- स्लाइडिंग स्कीम अपनाई गई है – उच्च स्कोर वाले उम्मीदवारों के लिये कट‑ऑफ़ थोड़ा ऊपर, निचले स्कोर वाले के लिये थोड़ा नीचे सेट किया गया है।
सभी प्रश्न दो भाषाओं (हिंदी‑अंग्रेजी) में उपलब्ध होंगे, सिवाय English Comprehension सेक्शन के, जो केवल अंग्रेजी में ही होगा।
विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय
शिक्षा-टेक्नॉलॉजी पोर्टल Testbook के विशेषज्ञ ने कहा, "एक सिफ़्ट मॉडल उम्मीदवारों के मनःस्थिति को स्थिर रखता है और मौखिक तनाव को कम करता है।" वहीं CareerPower के करियर काउंसलर ने नोट किया, "लैपटॉप‑आधारित टेस्ट डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देगा, लेकिन अर्द्ध‑शहरी क्षेत्रों में नेटवर्क कवरेज की समस्या अभी भी बारीकी से देखनी होगी।"
SSC के आधिकारिक बयान में बताया गया कि कई-वेंडर मॉडल अब तक की सबसे बड़ी तकनीकी सुधार है, जिससे सिस्टम‑क्रैश की संभावना 70 % तक घट गई है, यह आंकड़ा पिछले वर्ष के डेटा से तुलना किया गया है।
आगे क्या हो सकता है?
छोटी‑छोटी अपडेट्स के साथ, SSC अगले साल सभी केंद्रीय परीक्षाओं (CHSL, MTS, GD) में भी एक‑सिफ़्ट और लैपटॉप‑आधारित मॉडल अपनाने की संभावना बना रहा है। यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो यह भारत की सार्वजनिक सेवाओं में भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जायेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एक‑सिफ़्ट परीक्षा से उम्मीदवारों को किस तरह का लाभ मिलेगा?
एक ही शिफ्ट में सभी केंद्रों पर परीक्षा होने से अलग‑अलग सत्रों की कठिनाई में अंतर नहीं रहेगा, इसलिए मार्किंग का मानक एक समान होगा और उम्मीदवारों को नॉर्मलाइज़ेशन के बाद परिणाम में देरी नहीं झेलनी पड़ेगी।
100 किमी केन्द्र आवंटन नीति का प्रभाव क्या रहेगा?
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि अब किसी भी उम्मीदवार को अपने पते के 100 किमी भीतर कोई परीक्षा केंद्र मिलेगा, जिससे लंबी दूरी की यात्रा, खर्च और समय बचत होगी, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के aspirants के लिये।
कोलकाता में लैपटॉप‑आधारित टेस्ट क्यों चुना गया?
कोलकाता में पहले से ही मजबूत आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर है, इसलिए SSC ने यहाँ पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लैपटॉप‑आधारित टेस्ट शुरू किया है, जिससे सिस्टम‑क्रैश की संभावना कम होगी और उम्मीदवारों को बेहतर यूज़र अनुभव मिलेगा।
टायर‑II की नई स्कोरिंग प्रणाली में क्या बदलाव हैं?
टायर‑II में अब Data Entry Speed Test (DEST) शामिल है, General Awareness का वेटेज बढ़ा दिया गया है और स्लाइडिंग स्कीम लागू हुई है जिससे कट‑ऑफ़ के मानक उम्मीदवारों के कुल स्कोर के आधार पर गतिशील रूप से निर्धारित होंगे।
भविष्य में अन्य SSC परीक्षाओं में ये बदलाव लागू होंगे क्या?
SSC ने संकेत दिया है कि यदि SSC CGL 2025 में ये सुधार सफल होते हैं, तो वे CHSL, MTS और GD जैसी अन्य केंद्रीय परीक्षाओं में भी एक‑सिफ़्ट और मल्टी‑वेंडर मॉडल को अपनाने की योजना बना रहे हैं।
Shivam Pandit
अक्तूबर 15, 2025 AT 23:08यह नया एक‑शिफ्ट मॉडल वास्तव में उम्मीदवारों के तनाव को कम करेगा, और 100 किमी नीति यात्रा की झंझट से बचाएगी, बहुत ही स्वागत योग्य बदलाव है! सिस्टम‑क्रैश की संभावना घटाने के लिए मल्टी‑वेंडर मॉडल सराहनीय है, और लैपटॉप‑आधारित परीक्षण से यूज़र एक्सपीरियंस बेहतर होगा। आशा है कि इस साल सभी केंद्र सुचारु रूप से चलेंगे, और परिणाम समय पर आएँगे।