सुधा मूर्ति: सादगी और परोपकार की मिसाल
नव॰, 11 2024सुधा मूर्ति की जीवनशैली और मूल्यों की कहानी
सुधा मूर्ति, जो इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं और नारायण मूर्ति की पत्नी हैं, ने हाल ही में 'द कपिल शर्मा शो' पर अपनी सादगी और मूल्यों को साझा किया। इस शो के दौरान उन्होंने बताया कि क्यों वे अपने पति नारायण मूर्ति की सलाह के बावजूद भी हमेशा अर्थव्यवस्था श्रेणी में यात्रा करने का चुनाव करती हैं। सुधा मूर्ति का कहना है कि वे पैसे को परोपकार में खर्च करना पसंद करती हैं, न कि व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं पर। उनके अनुसार जीवन में जरुरी है अच्छा खाना और सेहतमंद जीवन के लिए जरूरी चीजें, महंगे कपड़े और आरामदायक यात्रा के साधन नहीं।
परोपकार की महत्वता
सुधा मूर्ति का यह विश्वास है कि धन का सही उपयोग समाज की उन्नति और जरूरतमंदों की सहायता में होना चाहिए। उनके विचार में अधिकतर लोग जीवन में माया-मोह में फंस कर अपने मूल्यों को भूल जाते हैं। परंतु सुधा मूर्ति साफ कहती हैं कि परोपकार ही उनके जीवन का मकसद है। इसी कारण वे इसको ज्यादा अहमियत देती हैं। एक इंटरव्यू के दौरान सुधा ने बताया कि उनका मानना है कि 'जो मिलता है वो अस्थाई है, पर जो दिया जाता है वो स्थाई है'। उनके इस विचार को उनके पति नारायण मूर्ति भी थोड़ा अलग नजरिए से देखते हैं कि कहीं न कहीं, उन्हें भी संतोष मिलता है।
खुद के अनुभव से सीखी बातें
सुधा मूर्ति ने अपने अनुभव से भी बताया कि कैसे एक बार लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर एक व्यक्ति ने उनके साधारण लिबास को देख उन्हें 'कैटल क्लास' में यात्रा करने वाला सोचा। उनका वह अनुभव उनके लिए एक सीख था कि जीवन में असली कद्र हमारे पहनावे में नहीं, बल्कि हमारे व्यवहार में होती है। जब सुधा ने उस व्यक्ति को इस बारे में बताया, तो वो चकित रह गया। सुधा की सरलता और ग्रेस उनके व्यवहार में झलकती है।
यात्रा का सरल तरीका
सुधा अनगिनत बातचीतों में 'मितव्ययिता' शब्द का व्यापक प्रयोग करती हैं। उनका यह मानना है कि यात्रा करना किसी भी व्यक्ति की जरूरत को पूरा करता है, सिर्फ महंगे टिकट खरीदने से यात्रा का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। उनके हिसाब से भले ही अंतर दिखे, मंजिल तो दोनों तरीकों द्वारा एक ही रहती है। यह आदर्श उनके पति नारायण मूर्ति की सोच से मेल नहीं खाता, जो उन्हें हमेशा व्यापार वर्ग में यात्रा करने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन सुधा इस विचार को अलग प्रदर्शित करती हैं।
जीवन का वास्तविक अर्थ
सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के जीवन में भले ही खर्च की प्राथमिकताएं अलग हो सकती हैं, लेकिन उनके बीच की समझ और सम्मान हमेशा ही स्थिर है। 'विपरीत आकर्षित करते हैं'—यह जुमला सुधा और नारायण की कहानी को एक अद्भुत व वास्तविक उदाहरण में बदल देता है। कहीं न कहीं ये उनकी सफलता का भी राज़ है। आज के समय में जहाँ भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाती है, सुधा का ये दृष्टिकोण सच्चे जीवन मूल्य को संजोए रखने का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
अर्थव्यवस्था और सरलता का अर्थ
नारायण मूर्ति के जीवन की कई घटनाएं भी आज उनकी सफलता का हिस्सा रही हैं। एक घटना का हवाला देते हुए सुधा ने बताया कि कैसे एक बार नारायण को व्यापार वर्ग में यात्रा करते समय एक एयर होस्टेस ने पहचाना नहीं था, यह उस समय की बात है जब इन्फोसिस नई ऊँचाइयों पर जा रहा था। सुधा की यही सरलता उन्हें दूसरों से अलग करती है। उनके इस साधारण परंतु महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से यह सीख मिलती है कि जिंदगी में सरलता से जीना और परोपकार में विश्वास रखना ही असली सफलता है।